बौखलाहट में फिसल रही है कांग्रेसियों की जुबान

ऐसा लगता है की आजकल कांग्रेसी आने वाले चुनाव को लेकर काफी डरे हुए हैं। इस डर की वजह से उनके बौखलाहट है और उसी चलते आए दिन उसके नेताओं की जुबान फिसलने लगी है।
कभी कपिल सिब्बल तो कभी दिग्विजयसिंह, कभी प्रकाश जायसवाल तो कभी जयराम रमेश। जयराम रमेश के तो नाम में ही मर्यादापुरुषोत्तम राम का नाम शामिल है, फिर भी मर्यादाविहीन व्यवहार कर रहे हैं। फिर ध्यान आता है की नाम में क्या रखा है, आप तो काम की बात करें। ये वैसे ही है जैसे नाम आंख के अंधे और नाम नयन सुख।
बहुत ही सोचनीय बात है कि इन महाशय को शौचालय और मंदिर में कोई फर्क ही नजर नहीं आया, तभी तो बड़े आराम से कह दिया कि भारत में हमारे मंदिर से ज्यादा शौचालय पवित्र हैं। यह मति भ्रम का ही परिणाम, जो कि हार के डर में बौखलाहट के रूप में उभर आया है। वैसे भी इनका विवादों से पुराना नाता है। यदि हम कुछ दिन पुराने अखबार उठा कर देखें तो जान जायेंगे कि इन महाशय की जुबान कहां कहां फिसली है। चाहे साईं बाबा के जिन्दा होने का प्रमाण या आसाम में लड़कियों से छेडख़ानी वाली बात, या फिर रेलवे दुनिया का सब से बड़ा शौचालय।
ये तो कुछ ही उदाहरण हैं उनके बयानों के। सब से बड़ी बात ये है कि ये अपने आप को गांधीवादी कहते हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलाते के सामने ही सूत की माला से अपने जूते साफ करते नजर आते हैं।
मैं श्री जयराम रमेश से पूछना चाहती हूं कि आपके पूर्वज कहीं इटली से तो नहीं थे जो कहीं भी खड़े होकर अपने हाथों से क्रोस बना लेते हैं। यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो या तो आप अपने नाम से राम शब्द को हटा दें या इस्तीफा दे दें, क्योकि आपको मंदिर और शौचालय में कोई फर्क नजर नहीं आ रहा है। न जाने इस देश की जनता को ऐसे नेताओं को कब तक झेलना पड़ेगा। मुझे तो ये लोग भारतीय कम विदेशी ज्यादा नजर आने लगे हैं। बाकी तो राम ही राखे..
-वनिता जेमन
जिला संगठन मंत्री
शहर जिला भाजपा, अजमेर

error: Content is protected !!