भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक का आदेश बेमानी

तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने गत दिवस दुर्घटना में एक मासूम की मृत्यु होने पर एक आदेश जारी कर शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर चौबीस घंटे रोक लगा दी। जाहिर तौर पर ऐसे सख्त आदेश से लगा कि जिला प्रशासन जनता की भलाई के लिए कितना चिंतित है। मगर सच्चाई ये है कि न तो भारी वाहनों को चलाने वाले ड्राइवरों को इसकी खास परवाह है और न ही यातायात पुलिस को चिंता। हालत ये है कि भारी वाहन अब भी धड़ल्ले से शहर में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसा या तो यातायात पुलिस की अनदेखी से हो रहा है, या फिर दाल में कुछ काला है।
वस्तुत: इस किस्म का आदेश दिखने में तो अच्छा लगता है, मगर है वह अव्यावहारिक। छह लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में प्रतिदिन कितना माल बाहर से आता है, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। यदि उसे चौबीस घंटे शहर से बाहर ही रोक दिया जाएगा तो समझा जा सकता है कि उस व्यवस्था का हश्र क्या होगा? अगर छोटे वाहनों के जरिए माल शहर में लाया जाता है तो वह कितना महंगा पड़ेगा? महंगा वह व्यापारी को नहीं पड़ेगा, बल्कि उसका बोझ आम जनता को ही भोगना होगा।
अमूमन होता ये है कि रात में 11 बजे के बाद व सुबह 6 बजे तक शहर की सड़कों पर यातायात का दबाव काफी कम होता है। इसी कारण ये व्यवस्था रही है कि इस दरम्यान भारी वाहनों को शहर में आने दिया जाए। मगर हो ये रहा था कि यातायात पुलिस की अनदेखी के चलते दिन में भी भारी वाहन आ जा रहे थे। उनकी गति पर भी कोई नियंत्रण नहीं था। नतीजतन हादसा हुआ। ऐसे में जिला कलेक्टर को चाहिए था कि यातायात पुलिस को सख्त आदेश देते कि दिन में किसी भी सूरत में भारी वाहन शहर में आता जाता नहीं दिखाई देना चाहिए। मगर उन्होंने अति उत्साह में चौबीस घंटे प्रतिबंध का आदेश जारी कर दिया, जो कि पूरी तरह से अव्यावहारिक था। परिणाम भी सामने है। न केवल रात में अपितु दिन में भी आप शहर में भारी वाहनों की आवाजाही देख सकते हैं। विशेष रूप से रात को नौ बजे बाद शहर की हार्ट लाइन स्टेशन रोड पर यात्रियों को लेने के लिए प्राइवेट बसें खड़ी हो जाती हैं। यह तब है, जबकि इसी रोड पर क्लॉक टॉवर पुलिस थाना है। इसी प्रकार हजारी बाग से भी बसें रवाना होती हैं।
कुल मिला कर जिला कलेक्टर के आदेश से आमजन को राहत मिली या नहीं, मगर यातायात पुलिस को जरूर भ्रष्ट होने का अवसर दे दिया गया। सब जानते हैं कि यातायात पुलिस अपनी ओर से भ्रष्ट नहीं है, उसे तो नियम तोडऩे वाले न्यौता देते हैं। जिनको अपने फायदे के लिए नियम तोडऩे हैं, वे यातायात पुलिस कर्मियों से आर्थिक अनुनय-विनय कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। उन्हें आम जनता की तो फिक्र होती नहीं। यातायात पुलिस कितनी भी ईमानदार या सख्त क्यों न हो, उसे बेईमान बनाना उनके लिए आसान है। वैसे भी कहते हैं न कि इस दुनिया में अब ईमानदार वही रह गया है, जिसे कि बेईमानी का मौका नहीं मिला। तो भला यातायात पुलिस कैसे बच सकती है?
बेहतर ये होगा कि जिला कलेक्टर महोदय अपने आदेश की पुनर्समीक्षा करें और अलसुबह से रात दस बजे तक भारी वाहनों के आवागमन पर कड़ाई से रोक लगवाएं। केवल आदेश जारी करने से कुछ नहीं होगा, उसकी मोनिटरिंग भी करवाएं, तभी वह कारगर होगा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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