ये कैसी देशभक्ति

ओम माथुर
ओम माथुर
कल से शहर मे देशभक्ति की धूम मची है। कई रैलियां निकाली गई। भारत माता की जय और वंदेमातरम के नारे गूंज रहे थे। डीजे पर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गानों के साथ मोटरसाइकिल पर सवार युवक हाथों में तिरंगा लिए जोश के साथ गुजरते दिखे। लेकिन इन सब को देखकर मन में यह सवाल अचानक कौंध गया कि क्या यही आजाद भारत मे देशभक्ति की परिभाषा है? रैलियों में किसी मोटरसाइकिल चालक के सिर पर हेलमेट नहीं था। एक बाइक पर 3-3 युवक और कई पर तो चार-चार लोग बैठे हुए थे। जो कुछ लोग जीप में सवार थे उनके हाथों में खुली तलवारें थी,जिसे लहरा कर वह पता नही अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे या राह चलते लोगों को डरा रहे थे। Dj पर चल रहे गानों की आवाज मधुर संगीत नहीं ,कानफोडू शोर लग रहा था। सड़क पर अपनी साइड में चलने की बजाए बाइक सवार पूरी सड़क पर ऐसे फैलकर चल रहे थे मानो सड़कों पर दूसरी तरफ से किसी को आना ही नहीं है।
हो सकता है मैं गलत हूं,लेकिन मेरी नजर में देशभक्ति का मतलब नियमों की पालना और कानून के अनुसार चलना होता है। ऐसा कोई काम नहीं करना, जिससे दूसरों को परेशानी हो देशभक्ति है। अपना काम ईमानदारी से करना है देशभक्ति है। दूसरों पर आक्षेप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना देशभक्ति है। आप जो भी काम करें,उसे जिम्मेदारी और ईमानदारी से करें, यही तो देशभक्ति हैं। लेकिन जब आप हेलमेट लगाने के नियम के पालन नहीं कर सकते । जब बाइक पर दो सवारी ही बैठाने के कानून की सरेआम धज्जियां उडाते हैं। जब यह जानते हुए भी कि तेज आवाज में डीजे बजाने से वायु प्रदूषण होता है और सडक पर वाहन ऐसे चलाने से ट्रैफिक ही जाम हो जाएगा और बाकी लोग परेशान होंगे तो,ये देशभक्ति कहां हुई। ये तो अराजकता है।
सवाल ये भी है कि क्या देशभक्ति केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी का ही विषय है? क्या जो तिरंगा हाथ मे लेकर सड़क पर नही उतरा, वो देशभक्त नही है? हर साल इन दो दिनों मे अजमेर ही क्यों, देश के कई शहरों में ऐसी ही देशभक्ति का प्रदर्शन होता हैं। लेकिन बाकी पूरे साल हम कितनी देशभक्ति दिखाते हैं, इस सवाल का जवाब भी ढूंढने की जरुरत है। आजादी बहुत संघर्ष और बलिदान से मिली हैं। इसे कायम रखने की पहली शर्त छोटी छोटी बातों की पालना करने में है, सड़को पर आकर दिखावा करने से नहीं।
अगर आप व्यापारी हैं तो ईमानदारी से धंधा कीजिये। उद्योगपति हैं तो कर चोरी और हेराफेरी मत करिए। अगर आप सरकारी या निजी क्षेत्र के कर्मचारी हैं तो समय पर दफ्तर जाइए,पूरी ईमानदारी से काम कीजिए । अगर नेता हैं तो भष्टाचार से दूर रहकर जनसेवा कीजिए। अगर डॉक्टर हैं तो मरीज की हैसियत या जेब की बजाए उसकी बीमारी के इलाज पर दीजिए। अगर आप इंजीनियर हैं, तो भवन,सड़क और अन्य निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का ध्यान रखिये। अगर पत्रकार हैं तो निष्पक्षता और निर्भीकता से खबरों का लेखन कीजिये। यानी अपना काम सही करिए,,हम आजाद देश के सबसे बड़े देशभक्त होंगे।

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