एक पत्र प्रधानमंत्री के नाम

ओम माथुर
ओम माथुर
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
मैं बहुत छोटा सा पत्रकार हूँ। न तो मेरी हैसियत ये है कि आपको कोई सलाह दे सकूँ और न ही इतनी हिम्मत है की आपके फैसलो पर सवाल उठा संकू। लेकिन एक मतदाता और करदाता होने के कारण मेरा ये तो अधिकार है कि मैं देश के मामलो में अपनी बात कह संकू। हर आतंकी हमले के बाद आपका ये बयान सुनने को मिलता है की हम इसके गुनहगारों को सजा जरूर देंगे। लेकिन दो तीन दिन की मौखिक धमकियों और हाई लेवल मीटिंग्स के बाद सब कुछ शांत हो जाता है। पता नही इन मीटिंगों में आप लोग ऐसे कौनसे फैसले लेते हैं जो कभी लागू होते ही नही है।
कहते तो ये की सरकारें जनता की भावनाओं को समझकर उसी के अनुरूप काम करती है। अगर ये सच है तो क्या अब आपको पाकिस्तान को सबक नही सिखाना चाहिये? पूरा देश आपके भरोसे है। अगर हमारे सैंकड़ों जवानों के शहीद होने के बाद भी आपको लगता है की पाकिस्तान को सबक सिखाने का वकत अभी नही आया है तो एक बार देश को बता दीजिये की आपने वो कौनसी सीमा तय की है, जो अभी नही टूटी है और उसके टूटने के बाद ही पाकिस्तान की तरफ बंदूकों का मुंह खुलेगा।
और हमारे सैनिक शहीद कहां हो रहे हैं, उनकी तो पाकिस्तान आतंकी हमारे घर मे घुसकर हत्याएँ कर रहे हैं। कौन फौजी सोते हुए जलकर मारना चाहता हैं। सैनिक तो देश क़े दुश्मनो को गोलियों से छलनी कर वीरगति को पाना चाहता है। आप उरी मे मारे गए 18 परिवारों के मातम को देख लीजिये। इनके परिवार का रो रोकर बेहाल है। सभी अपनों के शहीद होने से दुखी है। सब सरकार यानी आपसे एक ही बात कह रहें हैं कि अब पाकिस्तान को नहीं छोड़ना। माता पिता अपने बेटे का,पत्नी अपने पति का और बच्चे अपने पिता की मौत का बदला चाहते हैं। वो ही नहीं देश की भी यही आवाज है की उरी हमला आखिरी बार,अब तो बदला लेगी भारत सरकार। पठानकोट से पहले और उसके बाद हुए आतंकी हमलों मे शहीद हुए सैनिकों के परिवार भी आपसेे कब से बदले की गुहार लगा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी,आप विदेशों से काला धन नही ला पाये,कोई बात नही। अच्छे दिन आपके मंत्रियों को गले की हड्डी लगते हैं, कोई बात नहीं। मंहगाई पर आपका बस नही चला,कोई बात नही। देश के लोग इन सबको भुला देंगे।,लेकिन पाकिस्तान के हमले और शहीद हो रहे सैनिक अब हमसे सहन नही हो रहे। इसे हम नहीं भूल सकते। इसलिए अब पाक को दुनिया में अलग थलग करने,उसे आतंकी देश साबित करने और जो कूटनीति अपनानी है अपनाते रहिए, लेकिन उसके पहले एक बार पाकिस्तान को सबक तो सिखा दिया जाए। क्या देश आपसे यह उम्मीद करें या फिर अगले आतंकी हमले और हमारे सैनिकों की हत्या होने का इंतज़ार।
सद्भावना और उम्मीद के साथ।

ओम माथुर।

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