प्रोफेसर बी.पी. सारस्वत साहब का राज्यसभा में जाना लगभग तय हो गया है

राजस्थान में अप्रेल माह में होने वाले राज्यसभा के चुनाव को लेकर दोनों दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, जनवरी माह में हुए राजस्थान के तीन उपचुनावों में हुई करारी हार को लेकर भाजपा अभी तक मानसिक अवसाद से उभर नहीं पाई है क्यों कि एक साथ 17 विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार हुई है पर अभी तक माननीया मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को व प्रदेशाध्यक्ष परनामी जी को दिल्ली से ना तो डांट फटकार लगी है और ना ही उन्हें बुलाया गया है इसका मुख्य कारण है कि राज्य सभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में हाई कमान कोई रिस्क या जोखिम लेना नहीं चाहता है, राज्य सभा में तीन (3) सांसद राजस्थान से रिटायर हो रहे हैं जिसमें से 2 तो कांगे्रस के हैं और 1 भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अजमेर निवासी भूपेन्द्र यादव जी हैं।*
*राजपूतों और ब्राहम्णों के भाजपा से मुंह मोड़ लेने को लेकर राजस्थान सरकार और भाजपा हाईकमान बहुत अधिक चिन्तित है और इस संदर्भ में दिल्ली से लेकर जयुपर तक वार्ताओं के दौर चल रहे हैं दिल्ली में राजस्थान के 25 के 25 सांसदों को माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने अमित शाह जी ने अलग-अलग बुलाकर व्यक्तिगत रूप से वार्ताएं की हैं और इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास किया है। राजस्थान में 200 में से 162 विधायक भाजपा के हैं इसलिए राजस्थान में भाजपा काफी आरामदायक स्थिति में है और तीनों ही सांसद राज्यसभा में उसके जाना लगभग तय हैं – एक तो भूपेन्द्र यादव जी रिपीट होना बिल्कुल निश्चित है क्यों कि उनका केन्द्र में और संगठन में बहुत बड़ा प्रभामण्डल है, दूसरा ब्राहम्णों को राजी करने के लिए और डैमेज कन्ट्रोल करने के लिए यह लगभग तय हो गया है कि प्रोफेसर बी.पी. सारस्वत राज्यसभा में भेजा जाए, एक तो इससे ब्राहम्ण समाज राजी होगा और भाजपा के पक्ष में जाएगा, दूसरा सारस्वत जी संघनिष्ठ हैं और संघ के ‘‘नीली आंखों वाले बालक‘‘ हैं, तीसरा सारस्वत जी माननीया वसुन्धरा राजे के भी मर्जीदान हैं इन सब गुणों को देखते हुए और लाम्बा जी के चुनावों में उनकी सेवाओं को देखते हुए उनका राज्यसभा में जाना लगभग तय है जो स्थान सांवरमल जी के निधन से अजमेर में रिक्त हुआ है उसकी पूर्ति संगठन व सरकार के स्तर पर सारस्वत जी से की जाएगी।*
*माननीया मुख्यमंत्री जी परनामी जी को राज्यसभा में भेजना चाहती हैं परन्तु हाईकमान इस विषय पर राजी नहीं है और उनके स्थान पर किसी भी कद्धावर राजपूत नेता को भेजने का मानस हाईकमान ने बना लिया है क्यों कि इन चुनावों में राजपूत समाज ने भी भाजपा को वोट ना देकर अपने गुस्से का इज़हार किया है इसलिए अब राज्यसभा में कौन राजपूत जाए यह निर्णय राजपूत समाज के भाजपा मानसिकता वाले राजपूत सरदारों व आदरणीय राजनाथ सिंह जी गृहमंत्री भारत सरकार पर छोड़ दिया है इससे राजपूत समाज भी भाजपा से राजी होगा और उसकी नाराजगी भाजपा से दूर करने का एक सत्त प्रयास किया जा रहा है। इसीलिए माननीया वसुन्धरा जी के हाथ में सिर्फ ताले की चाबी दी है ताकि वो तीनों सीटें जितवा कर बिना किसी परेशानी के लाए और राज्यसभा के चुनाव के बाद आॅपरेशन शुद्धिकरण भाजपा हाईकमान शुरू करेगा जिसमें कई निगमों, बोर्डों और संसदीय सचिवों का नम्बर आना तय है और चुनाव परिणामों के आधार पर ही आगामी निर्णय होंगे क्यों कि पन्ना प्रमुख, पर्चा प्रमुख बूथ लेवल, मण्डल लेवल सब चीजें बिना संघ के सहयोग के फेल हो गई हैं ऐसे में संघ को राजी किए बिना कुछ नहीं हो सकता और प्रोफेसर बी.पी. सारस्वत संघ के उम्मीदवार हैं इसलिए उनका राज्यसभा में जाना लगभग तय है और गुजरात में हुई राज्य सभा चुनाव में हुई फजीहत के बाद भाजपा हाईकमान अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है इसलिए सब राज्य सरकार पर छोडना चाहता है क्योंकि गुजरात में तो हाईकमान खुद ही चित हो गया था*

राजेश टंडन, एक नागरिक, अजमेर।*

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