बरखा की इंतजार में किसानों की आंखे पथराई

बरसात न होने से फसलें सूखने लगी, 10-12 प्रतिशत फसलें खराब

केकड़ी क्षेत्र में इस बार मानसून सत्र के दौरान समय पर पर्याप्त मात्रा में बरसात नहीं होने से खरीफ की फसल सूखने लगी है। पिछले एक माह से क्षेत्र में कहीं भी बरसात न होने से खेतों में बोई गई फसलें सूख कर जलने लगी है इस वजह से किसानों की हालत खराब हो रही है। खेतों में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बरसात का इंतजार कर रहे हैं अब तो इंतजार करते करते किसानों की आंखे पथराने लगी हैं। किसानों का कहना है कि अगर तीन चार दिनों में पर्याप्त बरसात नहीं हुई तो फसल पानी के अभाव में सूख कर नष्ट हो जाएंगी। यहां तक कि जानवरों के लिये चारा भी नहीं हो पाएगा। क्षेत्र में सूखे के हालात होने से किसानों में हाहाकार मचा है। खरीफ में फसलों के लिए जो वर्षा विज्ञान की गणनाएं हैं, उसमें मघा नक्षत्र का विशेष महत्व है।
कहावत है कि मघा न बरसा भरे न खेत, माता न परसे भरे न पेट। कहा जाता है कि मघा नक्षत्र यदि बरस जाए तो अनाज की पैदावार दोगुनी हो जाती है। लेकिन इस बार मघा नक्षत्र दगा देता दिखाई दे रहा है। कई दिनों से तेज धूप व गर्मी के चलते खेतों से नमी गायब हो गई है। क्षेत्र के कई किसानों ने कर्जा लेकर अपने खेतों में इस उम्मीद के साथ बुआई की थी कि फसल के अच्छी होने पर चुका देंगे लेकिन ये ही हालात रहे तो किसान कर्ज कहां से चुकायेंगे।मानसून सत्र के प्रारंभिक दौर में इस बार 222 मिमी बरसात ही हो पाई जबकि कृषि के लिए सामान्य तौर पर 450 मिमी बरसात अब तक हो जानी चाहिए थी। बरसात नहीं होने की वजह से क्षेत्र के सभी तालाब, बांध व अन्य पानी के स्त्रोत सूखे पड़े हैं ऐसे में खेतों में सिंचाई के भी मांदे पड़ते दिखाई दे रहे हैं। कृषि विभाग सूत्रों के अनुसार क्षेत्र के केकड़ी, सावर, कादेड़ा, जूनिया सेक्टर में 56,580 हजार हैक्टेयर भूमि पर फसल की बुवाई की गई जिसमें ज्वार, मक्का, बाजरा, मूंग, उड़द, मूंगफली, टिल, ग्वार, कपास, चवला तथा कई सब्जियां शामिल हैं। इस बार समय पर बरसात के साथ ही किसानों ने बुवाई शुरू कर दी थी। कृषि पर्यवेक्षकों का कहना है कि क्षेत्र में समय पर बरसात न होने की वजह से फसलों को 10-12 प्रतिशत का नुकसान हुआ है वहीं ज्वार की फसल को तीन चार दिनों में पानी नहीं मिला तो ज्वार में हाईड्रोसाईंनिक एसिड की मात्रा बढ़ जायेगी। इसके परिणाम स्वरूप ज्वार की फसल जहरीली हो जाएगी। अगर इसे जानवर खाते हैं तो यह उनकी मौत का कारण बन सकती है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि अगर किसानों के पास कुओं में पानी है तो उन्हें सिंचाई कर फसल को बचाना चाहिए।
तिलक माथुर
*9251022331*

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