1952 में पुष्कर से प्रथम विधायक बने थे पंडित जयनारायण सांतोरिया

जनसंघ के नेता ठाकुर गोविंद सिंह को हराया था चुनाव
66 साल से पुष्कर के स्थानीय नागरिक को बीजेपी , कांग्रेस सहित किसी भी राजनैतिक पार्टी ने नही बनाया अपना उम्मीदवार , इस चुनाव में स्थानीयवाद का मुद्दा हावी

राकेश भट्ट
आज से ठीक 66 साल पहले साल 1952 में पुष्कर के स्थानीय निवासी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित जयनारायण जी सांतोरिया यहां से चुनाव लड़कर पहले विधायक बने थे । खास बात यह है कि उस वक्त राजस्थान विधानसभा की बजाय अजमेर मेरवाड़ा राज्य हुआ करता था । भारत आजाद होने के बाद 1950 में देश का संविधान लागू हुआ और उसके ठीक दो साल बाद साल 1952 में पहली बार मेरवाड़ा राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए । पुष्कर के वरिष्ठ नेता दामोदर शर्मा की माने तो उस वक्त पुष्कर में दो विधानसभा क्षेत्र हुआ करते थे । धार्मिक नगरी के विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी ने अजमेर के नेता श्याम सुंदर डिडवानिया को अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ने यहां भेज दिया था । जिसका उस समय भी स्थानीय नेताओं ने ना सिर्फ जोरदार विरोध किया बल्कि दिल्ली में बैठे आला नेताओ तक अपनी नाराजगी का इजहार भी किया था ।

उस समय पुष्कर ब्लॉक कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित पुष्कर नारायण जी शर्मा ( चेयरमेन साहब ) ने नगर कांग्रेस अध्यक्ष बेणी गोपाल शर्मा के हाथों स्थानीय उम्मीदवार के रूप में पंडित जयनारायण सांतोरिया को उम्मीदवार बनाये जाने का प्रस्ताव बनाकर कांग्रेस आलाकमान के पास दिल्ली भिजवाया था । जिसके बाद पार्टी आलाकमान ने स्थानीय नेताओं की भावनाओ का सम्मान करते हुए उसी वक्त घोषित किये जा चुके उम्मीदवार श्याम सुंदर डिडवानिया का ना सिर्फ टिकिट निरस्त किया बल्कि स्थानीय नेताओं के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए जयनारायण सांतोरिया के नाम पर सिंबल जारी कर उन्हें अपना प्रत्याशी भी घोषित किया । 1952 के उस चुनाव मे कांग्रेस से पंडित जयनारायण सांतोरिया और जनसंघ से गोविंदगढ़ निवासी ठाकुर गोविंद सिंह ने आमने सामने चुनाव लड़ा था ।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और स्थानीय पार्षद शिव स्वरूप महर्षि की माने तो इस चुनाव में सांतोरिया ने एक तरफा जीत हासिल करते हुए ठाकुर गोविंद सिंह को भारी मतों से हराकर पुष्कर के प्रथम विधायक बनने का गौरव हासिल किया था । इन चुनावो के बाद अजमेर मेरवाड़ा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में श्री हरिभाऊ उपाध्याय ने शपथ ली और सरकार का गठन किया था । परंतु दुःख की बात यह है कि 1952 में पुष्कर के स्थानीय व्यक्ति जयनारायण सांतोरिया जी के विधायक बनने के बाद से लेकर आज दिन तक बीते 66 सालों में धार्मिक नगरी पुष्कर के एक भी नेता को किसी भी पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार नही बनाया गया । यह यहां का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि ज्यादातर समय बाहरी नेताओ ने ही यहां से ना सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि जीता भी और जीतने के बाद पुष्कर की उस धार्मिक महत्वता को कभी समझने का प्रयास ही नही किया, जिसके लिए यह पूरी दुनिया मे जाना जाता है ।

सांतोरिया के बाद यहां से लगातार चार बार कांग्रेस की प्रभा मिश्रा विधायक बनी , फिर नीलिमा शर्मा और उसके बाद बीजेपी के रमजान खान का दौर आया । रमजान खान पांच बार बीजेपी के उम्मीदवार बने जिसमे से तीन बार वे चुनाव जीते और राज्यमंत्री भी बने । उन्हें एक बार विष्णु मोदी और दूसरी बार डॉ श्रीगोपाल बाहेती ने हराया । इसके बाद नसीम अख्तर इंसाफ पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री और वर्तमान में सुरेश सिंह रावत संसदीय सचिव यहां से विधायक चुने गए । अब देखना यह है कि 66 सालो से चला आ रहा स्थानीय नेताओ की उम्मीदवारी का इंतजार इस बार खत्म हो पाता है या इन चुनावों में भी बीजेपी और कांग्रेस दोनो ही पार्टियां जनभावनाओं का अनादर करके किसी बाहरी व्यक्ति को ही अपना उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारेगी ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
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