चंद माह बाद ही होने जा रहे लोकसभा चुनाव में अजमेर सीट से भाजपा टिकट के लिए यूआईटी के पूर्व चेयरमैन धर्मेश जैन ने सबसे पहली दावेदारी ठोक दी है। हालांकि अन्य दावेदार भी अपना मानस बना चुके हैं और टिकट हासिल करने की इक्सरसाइज कर रहे हैं, मगर किसी ने खुल कर दावेदारी अथवा इच्छा नहीं जताई है। जिससे भी पूछो, वह यही कहता है कि अगर पार्टी ने उसे इस योग्य समझा तो वह चुनाव लडऩे को तैयार है।
असल में हुआ ये कि एक दिन पहले ही एक समाचार पत्र ने भाजपा के चार दावेदारों का जिक्र किया था, जिनमें देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. बी. पी. सारस्वत, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी व युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा का नाम था। स्वाभाविक रूप से यह जैन को नागवार गुजरा कि उन्हें तो मीडिया दावेदार ही नहीं मान रहा। इस पर भला वे चुप क्यों रहने वाले थे। उन्हें तुरंत मौका भी मिल गया। उन्होंने सवर्णों को आरक्षण दिए जाने पर सरकार की तारीफ करने के बहाने पत्रकारों को बुलाया। चूंकि दावेदारी की खबर ताजा थी, इस कारण उस पर भी चर्चा हुई। इसमें जैन ने साफ तौर पर कह दिया कि इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अजमेर संसदीय सीट से वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। जैन ने कहा कि लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों से यह मांग उठ रही है कि पार्टी के कर्मठ व निष्ठावान तथा वरिष्ठता के नाते उन्हें टिकट दिया जाना चाहिए। जैन का कहना है कि उन्हें संसदीय क्षेत्र के सभी जाति वर्ग से जुड़े लोगों का समर्थन प्राप्त है और यह संगठन से जुड़ी सीट है, उनको अवसर दिए जाने पर वरिष्ठता को सम्मान मिलेगा और भाजपा को निश्चित जीत हासिल होगी।
वैसे खुसर-फुसर है कि सर्वाधिक दमदार दावेदारी सारस्वत की मानी जा रही है। उनकी खासियत ये है कि वे कभी अपनी ओर से दावेदारी की बात नहीं कहते। पार्टी के भीतर भले ही कोशिश करते हों, मगर मीडिया के सामने यही कहते हैं कि पार्टी का आदेश हुआ तो वे उसके लिए तैयार हैं। हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव में भी केकड़ी से उनकी दावेदारी का जिक्र हुआ था। माना जाता है कि उन्होंने संगठन के लिए अच्छा काम किया है। इस कारण उनका दावा मजबूत है। बात चली है तो बता दें कि पिछले बीस साल से टिकट के इच्छुक हैं। पहले ब्यावर से लडऩे का मानस रखा करते थे।
बताते हैं कि मेयर गहलोत का भी मानस है कि लोकसभा का चुनाव लड़ें। उन्होंने जीत का गणित भी कूत लिया है। जहां तक पलाड़ा का सवाल है, उन्होंने भी पूरी तैयारी आरंभ कर दी है। उनकी दावेदारी के बारे में तो सोशल मीडिया पर भी खबरें आने लग गई हैं। उसमें साफ तौर पर लिखा है कि भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा की उम्मीदवारी जोर पकडऩे लगी है। उनका नाम सर्वमान्य नेता के तौर पर तेजी से उभर के आ रहा है। युवाओं एवं आमजन के मुंह पर लोकसभा चुनाव की चर्चा के साथ ही भंवर सिंह पलाड़ा का नाम आम हो चुका है। आम चुनाव से 5 महीने पहले से ही सोशल मीडिया सहित गली, मोहल्ले, चौराहे पर भंवर सिंह पलाड़ा के नाम की चर्चा शुरू हो चुकी है। पलाड़ा ने पत्नी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के जिला प्रमुख के कार्यकाल और मसूदा विधायक रहते आमजन के दिलों पर विकास कार्य के साथ ही अपने सरल सहज स्वभाव एवं उपलब्धता के साथ ही त्वरित कार्यवाही से अपनी अलग पहचान बनाई है। हर आम और खास उनकी कार्यशैली के कायल है। पलाड़ा द्वारा बिना भेदभाव एवं पार्टी पॉलिटिक्स के हर फरियादी की फरियाद सुनकर त्वरित न्याय दिलवाने की खूबी भी आज क्षेत्र के लोग गिनाते नहीं थक रहे हैं। शायद ही अजमेर जिले में ऐसा कोई नेता हो, जिसके लिए क्षेत्र के लोग पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठ कर वोट करने के लिए तैयार हो। अगर भाजपा जन भावना के अनुरूप पलाड़ा को प्रत्याशी बनाती है तो अजमेर जिले से बहुत बड़ी जीत होने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए।
अगर पार्टी ने इस क्षेत्र में ढ़ाई लाख जाट मतदाताओं को मद्देनजर रखते हुए किसी जाट को मैदान में उतारने की सोची तो पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी का नाम आ सकता है। भूतपूर्व केबीनेट मंत्री स्वर्गीय प्रो. सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा पिछले लोकसभा उपचुनाव में हारने के बाद हाल नसीराबाद विधानसभा सीट से जीत चुके हैं। उनके अतिरिक्त पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना भी दावेदारी करेंगी ही। अगर किसी जाट को ही टिकट देना तय हुआ और अजमेर मौजूद दावेदार कमजोर माने गए तो सी. आर. चौधरी नागौर छोड़ कर यहां टपक सकते हैं। गैर जाटों में पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा की भी दावेदारी सामने आने वाली है।