शहर के गुमनाम हिस्से में खिल रही है किरण

जयपुर रोड पर अजमेर शहर की सीमा पर एक गांव है बंदिया। आप में से कम ही लोगों ने उसका नाम सुना होगा। देखना तो दूर की बात है। इस छोटे से गांव में उभरती उम्र की एक युवती दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए महक रही है। नाम है किरण। किरण रावत। दिलचस्प बात ये है कि उनकी मां विमला रावत ने उनका नाम किरण बेदी के व्यक्तित्व से प्रभावित हो कर रखा है। वे चाहती हैं कि वह एक दिन किरण बेदी जैसी शख्सियत बने। छरहरे बदन की किरण एक सामान्य सी युवती नजर आती है, मगर जैसे ही वह बोलना शुरू करती है तो यह अहसास करा देती है कि उसके भीतर एक अनोखी ऊर्जा है। गर परिस्थितियों ने साथ दिया तो वह एक दिन राष्ट्रीय क्षितिज पर उभर कर आ सकती है, इतना पोटेंशियल है उसमें।
किरण अपनी मां की प्रेरणा से गांव के गरीब बच्चों को पढ़ा कर न केवल साक्षर कर रही हैं, अपितु उनमें सभ्यता व संस्कृति के गुण भी विकसित करने में जुटी हुई हैं। यहां तक कि नहा-धुला कर तरीके से जीना भी सिखा रही हैं। उनके पास सीमित संसाधन है, मगर सोशल मीडिया के जरिए खासी लोकप्रियता हासिल कर चुकी हैं। चंद साल में ही उन्होंने इतनी साख बना ली है कि विभिन्न संस्थाएं व लोग उनकी सहायता कर संतुष्ट हैं। उन्होंने बाकायदा एनजीओ रजिस्टर्ड करवा रखा है, मगर फिलवक्त सरकारी सहायता से दूर हैं।
पिछले दिनों सर्व सिन्धी समाज महासभा की ओर से उनके निवास स्थान पर आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेने का मौका मिला। इसमें उनको महासभा के अजमेर इकाई के अध्यक्ष सोना धनवानी की ओर से भूतपूर्व केबीनेट मंत्री स्वर्गीय श्री किशन मोटवानी की स्मृति में चार पंखे भेंट किए गए। सोना धनवानी अब तक और भी कई संस्थाओं को पंखे भेंट कर चुके हैं। यह सिलसिला अभी जारी है। सोना धनवान का शुक्रिया कि उन्होंने किरण जैसी प्रतिभा से मुलाकात करवाई, जिनका जज्बा व माद्दा देख कर लगता है कि उसकी रोशनी आने वाले समय में देश भर में फैलेगी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

error: Content is protected !!