सातवीं सदी का शहर विश्व की धरोहर होना चाहिए या चार सौ साल पुराना शहर ?

जयपुर के परकोटे को यूनेस्कों की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। यह राजस्थान के गौरव की बात है। जयपुर का परकोटा लगभग चार साढे चार सौ साल पुराना बना हुआ है। पर्यटन और पुरातत्व विभाग जयपुर में सक्रिय रहे हैं। सवाल उठता है कि राजस्थान में विश्व की सबसे पुरानी अरावली पहाड़ी है और इस पहाड़ी के घेरे में बसा अजमेर देश के प्राचीन शहरों में से एक है। इसी शहर में अरावली पहाड़ी के सबसे उंचे और सबसे बड़े पठार पर सातवीं सदी में निर्मित तारागढ़ किला बना हुआ है। किला तो अब नहीं रहा लेकिन किले की दीवार आज भी सुरक्षित है तो फिर बारह सौ साल पूर्व बनी तारागढ़ किले की दीवार या परकोटा की ज्यादा अहमियत होनी चाहिए या सिर्फ चार सौ साल पहले बनी दीवार की।

मुजफ्फर अली
जयपुर में आज भी राजघरानों का ऐश्वर्य कायम है, सामाजिक और राजनैतिक तौर पर राजघराने के सदस्य सक्रिय है। पुरखों के बनाए किलों,महलों, हवेलियों को हैरिटेज होटल में बदल पर्यटकों के लिए दरवाजे खोल दिए गए हैं। पैसा और मार्कटिंग के बूते जयपुर पर्यटकों का केन्द्र बना है। इसके विपरीत अजमेर के पास ना राजनैतिक ताकत है, ना राजघराने के लोग है, ना पैसे वाले लोग है और ना मार्कटिंग करने वाले लोग है जो यूनेस्कों को यह बता सकें कि अजमेर की अहमियत कितनी और क्यूँ है साथ ही विश्व की धरोहर शब्द की परिभाषा में कितना सही उतरता है। धन, बल और मार्कटिंग के दौर में अजमेर बहुत पिछड़ा है। कौन है जो अजमेर को उसकी सही पहचान दिला सके। सिर्फ कॉलेज का नाम प्रथ्वीराज चौहान कर देने से या शहर के प्रवेश द्वार पर पृथ्वीराज चौहान की नगरी लिख देने से राजनेताओं ने लाभ उठाया होगा लेकिन अजमेर का नाम रौशन नहीं कर सके।
– मुजफ्फर अली

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