देवनानी की उछल-कूद के मायने?

प्रो. वासुदेव देवनानी
दो बार मंत्री रह चुकने के बाद विपक्ष का अदद विधायक रहने की पीड़ा क्या होती है, इसके अहसास से इन दिनों अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी गुजर रहे होंगे। बावजूद इसके वे खामोश हो कर घर नहीं बैठ गए। उछल-कूद मचाए हुए हैं। विधानसभा में अपनी उपस्थिति खम ठोक कर दर्शा रहे हैं। यहां तक कि सदस्यता अभियान के साथ-साथ जनसुनवाई भी कर रहे हैं। उनकी इस व्यस्तता को देख कर लगता ही नहीं कि वे अपने दिल में सत्ता सुख के अभाव का दर्द भी संजोये हुए हैं। उनकी यह हालत देख कर यकायक ये फिल्मी गाना याद आ गया:- तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छिपा रहे हो।
देवनानी की सक्रियता में इसलिए भी अतिरिक्त सक्रियता नजर आती है, क्यों उनकी ही साथी विधायक श्रीमती अनिता भदेल कुछ खास चर्चा मे नहीं हैं। गर सक्रिय भी हैं तो कम से कम अखबारों में तो नजर नहीं आ रहीं।
खैर, देवनानी की सक्रियता में दिलचस्प बात ये है कि वे अजमेर के उन्हीं चिरपरिचित मुद्दों को फिर से जोर-शोर से उठा रहे हैं, जो पिछले कई सालों से पतंग के मांझे की तरह उलझे हुए हैं। चाहे पानी की बात या बिजली की या फिर यातायात की, सारी समस्याएं उनके पिछले कार्यकाल में भी मौजूद थीं, जब वे मंत्री थे। वे समस्याएं उनके उससे भी पिछले विधायकी कार्यकाल में यथावत थीं। बेशक विपक्ष में रहते उनका फर्ज है कि अजमेर की आवाज विधानसभा में उठाएं, मगर सवाल उठता है कि आज जिन मुद्दों को लेकर वे सरकार को घेर रहे हैं, उनका समाधान वे अपने मंत्रित्व कार्यकाल में क्यों नहीं करवा पाए। वे भी जानते होंगे कि अजमेर की समस्याओं का समाधान आखिर हो क्यों नहीं पाता? एक विधायक के रूप में उनका ये चौथा टर्म है। अजमेर वासी वर्षों से इस अनुभव से गुजर रहे हैं कि यहां का जिला प्रशासन आमतौर पर राजनीतिक दबाव में नहीं रहता। समस्याओं को लेकर तय शिड्युल से बार-बार बैठकें होती हैं। समीक्षा होती है। वादे होते हैं। घोषणाएं होती हैं। मगर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात। और आम जन भी सहनशीलता भी काबिले गौर है। तभी तो इस शहर को टायर्ड और रिटायर्ड लोगों का शहर कहा जाता है। कोई इलायची बाई की गद्दी से प्रभावित बताता है तो मुर्दा शहर की संज्ञा देता है।
बात देवनानी जी की चल रही थी। लगातार सक्रिय रहना उनकी आदत में आ गया है या इसका कोई प्रयोजन है। जानकार लोगों का मानना है कि उनकी महत्वाकांक्षा अभी समाप्त नहीं हुई है। हाल ही उन्होंने यह शगूफा छोड़ कर राजनीतिक हलके में तूफान लाने की कोशिश की सरकार ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है। कहीं उनको ये उम्मीद तो नहीं कि जब भाजपा सरकार को गिराने की षड्यंत्र में कामयाब हो गई तो उनके भाग्य का भी छींका फूटेगा। या फिर ये सोचते होंगे कि राजस्थान में हंगामा करूंगा तो मोदी जी की नजर में रहूंगा। पता नहीं किसी दिन स्टार चमकें और दिल्ली में किसी महत्वपूर्ण काम के लिए बुला लिए जाएं। उधर श्रीमती भदेल को पता है कि यदि देवनानी का भाग्य चेता तो वे भी फालतू नहीं रहने दी जाएंगी। गुटबाजी को बैलेंस करने के लिए उनको भी दूसरे पलड़े में बैठाया जा सकता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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