चिन्मयी गोपाल ने याद दिला दी अदिति मेहता की

अजमेर नगर निगम की आयुक्त चिन्मयी गोपाल जिस स्टाइल से काम कर रही हैं, उससे यकायक पूर्व जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता की याद ताजा हो रही है। वे भी अजमेर के हित में बिना किसी राजनीतिक दबाव के अपने अधिकारों का पूरा उपयोग करती थीं। आपको याद होगा कि उन्होंने अतिक्रमण हटाने के सबसे दुरूह काम को खुद खड़े रह कर करवाया, जिसकी वजह से उन्हें स्टील लेडी की उपमा दी जाने लगी। ऐसा नहीं है कि उनको निहित स्वार्थी नेताओं व तत्वों का विरोध नहीं सहना पड़ा, मगर वे धुन की पक्की थीं और जो ठान लिया वह कर के रहती थीं। हां, इतना जरूर है कि उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत का वरदहस्त था, इस कारण किसी की परवाह नहीं करती थीं। चिन्मयी को किसका वरदहस्त है, ये पता नहीं, मगर ऐसी दबंग अधिकारी की ही जरूरत है अजमेर को। बेशक एक समूह उनके निर्णयों व कदमों का किसी न किसी रूप में विरोध कर रहा है या फिर मीनमेख निकाल रहा है, मगर जनता का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो उनका शाबाशी दे रहा है। दुआ यही कीजिए कि कोई बड़ी ताकत उन्हें यहां से डिस्टर्ब न करे।
आनासागर में नावों के संचालन के लिए हुए ई-टेंडर का मामला ही लीजिए। उन्होंने संबंधित ठेकेदार के सुझाव पर अमल करते हुए टेंडर की शर्तों में संशोधन किया है। प्रत्यक्षत: व तर्क के लिहाज ऐसा लगता है कि उन्होंने ठीक नहीं किया, मगर मामले की तह में जाने से लगता है कि उन्होंने अजमेर के हित को ध्यान में रखते हुए अपने अधिकारों का पूरा इस्तेमाल किया है। उन्होंने उदयपुर की वाटर स्पोट्र्स फर्म यश एम्युजमेंट के सुझाव पर ठेके की अवधि को दो वर्ष से बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया गया। ठेका राशि वर्ष भर में चार किश्तों में जमा कराने की छूट दी गई। साथ ही मोटर बोट, स्पीड बोट, वाटर स्कूटर आदि को चलाने के आरटीओ का तीन वर्ष का लाइसेंस टेंडर खुलने के बाद 15 दिन में जमा कराने की छूट दी गई। अब यश एम्युजमेंट आनासागर में विभिन्न प्रकार के 34 मोटर वाहन चलाने की एवज में प्रति वर्ष एक करोड़ 60 लाख रुपए का भुगतान निगम को करेगी। सबसे बड़ी बात ये है कि अब शहर वासियों को पहले से बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जिसका अनुभव अब तक उदयपुर वासी किया करते हैं।
चिन्मयी गोपाल के निर्णय का विरोध करने वालों का कहना है कि पूर्व ठेके की अवधि 31 मार्च 2019 को समाप्त हो रही थी, ऐसे में निगम को 31 मार्च से पहले वाटर स्पोट्र्स का ठेका कर देना चाहिए था, लेकिन लापरवाही की वजह से ऐसा नहीं हो सका। यदि एक अप्रैल 2019 से एक करोड़ 60 लाख रुपए वाला ठेका हो जाता तो निगम को 43 लाख रुपए का घाटा नहीं होता है। इसके विपरीत चिन्मयी गोपाल का कहना है कि नियमों के तहत उन्हें टेंडर में संशोधन करने का अधिकार है। पूर्व में निगम ने जो ठेका मात्र 55 लाख रुपए प्रतिवर्ष में दे रखा था, उसे अब एक करोड़ 60 लाख रुपए प्रतिवर्ष कर दिया गया है। ऐसे में निगम को नुकसान के बजाए लाभ ही हुआ है।
ज्ञातव्य है कि निगम आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने गत दिवस एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित करके घोषणा कर दी कि निगम में अब छह प्रमुख सेवाओं का लाभ आम आदमी ऑनलाइन ही प्राप्त कर पाएगा। इनमे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, ठेकों का आवंटन, नक्शे ऑनलाइन पास करवाना शामिल है। ऑनलाइन सिस्टम से आए 35 आवेदनों में से तीन नक्शे तुरंत पास कर दिए गए। स्वाभाविक सी बात है कि ऑन लाइन सिस्टम से एक ओर जहां कामकाज में पारदर्शिता रहेगी, वहीं आम लोगों को निगम के चक्कर लगाने से भी निजात मिलेगी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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