टंडन के अनशन पर बैठने के बाद जारी किया लैटर, ये नौटंकी क्यों?

ट्रांसपोर्ट कारोबार को केसरगंज से ब्यावर रोड पर बनाए गए नए ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट करने की मांग को लेकर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन की ओर से बाकायदा पर्याप्त समय पहले चेतावनी दिए जाने के बाद जिला कलेक्टर ने एसपी को इस मामले में लैटर तब जारी किया, जब टंडन भूखहड़ताल पर बैठ ही गए। वे चाहते तो अनशन पर बैठने से पहले ही लैटर जारी करते और टंडन को बुलवा कर कहते कि आप अनशन पर न बैठें। साफ है कि जिला कलेक्टर ने टंडन को जानबूझकर अनशन पर बैठने दिया, ताकि उनकी कॉल पूरा हो जाए। साथ ही ये भी जाहिर कर दिया कि देखो प्रशासन कितना गंभीर है कि टंडन के अनशन पर बैठने पर लैटर जारी कर दिया। क्या इसमें फिक्सिंग और नौटंकी की बू नहीं आती?
हकीकत तो ये है कि जिला यातायात प्रबंधन समिति की बैठक में ही इस बाबत निर्देश जारी किए जा चुके थे, मगर पुलिस प्रशासन उसे इम्प्लीमेंट करने में नाकाम रहा। इस बात को जिला कलेक्टर की ओर से जारी ताजा पत्र में भी स्वीकार किया गया है। कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप को पत्र भेजकर यातायात प्रबंधन समिति में लिए गए निर्णय का हवाला देते हुए निर्देश कहा कि 15 अगस्त तक शिफ्टिंग की जानी थी, लेकिन यह अब तक पूरी नहीं हुई है और इससे शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है।
कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा की ओर से जारी आदेश की प्रति लेकर एडीएम सिटी अरविंद सेंगवा शाम करीब सात बजे धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने टंडन को आदेश की प्रति प्रदान करते हुए कहा कि जिला प्रशासन ट्रांसपोर्ट कारोबार को नए ट्रांसपोर्ट नगर शिफ्ट करने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए जो भी जरूरी कदम होंगे वह सभी उठाए जाएंगे। प्रशासन की ओर से सकारात्मक कार्रवाई के बाद टंडन ने भूख हड़ताल खत्म कर दी।
असल में ऐसा नहीं है कि पुलिस अधीक्षक ने कोशिश नहीं की, मगर कामयाबी हासिल न हो पाई। यही वजह रही कि टंडन को अपनी चेतावनी के आधार पर अनशन पर बैठना पड़ा। सवाल ये उठता है कि क्या अब जो नया आदेश जिला कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक को दिया है, उस पर सख्ती से अमल हो पाएगा? और अगर नहीं हुआ तो? फिर क्या होगा? अचरज की बात है कि तेज तर्रार टंडन महज एक लैटर पर यकीन करके अनशन समाप्त करने को राजी हो गए। क्या वे इस लैटर का ही इंतजार कर रहे थे कि वह जारी हो और वे अनशन से उठ जाएं। उन्होंने यह तकाजा तक नहीं किया कि आखिर कब तक शिफ्टिंग का काम पूरा करवाओगे? होना तो ये चाहिए था कि वे एक रात काट लेते, मगर यह आश्वासन ले कर उठते कि किस तारीख तक शिफ्टिंग होगी।
खैर, देखते हैं कि प्रशासन, पुलिस को लैटर जारी कर इतिश्री कर लेता है, या वाकई इसका फॉलोअप कर शिफ्टिंग करवा पाता है। बेशक प्रशासन की अपनी दिक्कतें हैं, मगर बीस साल हो गए ट्रांसपोर्ट नगर बने हुए, फिर भी शिफ्टिंग नहीं हो पाई तो यह वाकई शर्मनाक है। रहा सवाल टंडन का तो वे वाकई साधुवाद के पात्र हैं, जिन्होंने जनहित के मुद्दे पर प्रशासन पर दबाव बनाया। अफसोस सिर्फ इतना है कि उन्होंने फेसबुक पर साथ देने वालों के साथ जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक का भी आभार व्यक्त कर दिया, जिन्होंने, बकौल टंडन, जनहितकारी कदम त्वरित उठाया और उनके निवेदन को स्वीकार किया। क्या एक पत्र जारी करना मात्र जनहितकारी कदम है? अपुन तो उनके कदम को तभी सलाम करेंगे, जब वे वाकई कामयाब हो जाएंगे। रहा सवाल जनता का तो वह वैसे भी जिला प्रशासन के नहीं, बल्कि भगवान भरोसे है।

-तेजवानी गिरधर
7742067000

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