रिजू झुंझुनवाला बनाम राजनीति का कुतियापा

एक कहावत है- राजनीति बड़ी कुत्ती चीज है। यह कहावत कब व कहां से चलन में आई, पता नहीं और इसमें कुत्ती शब्द का इस्तेमाल क्यों कर किया गया है, यह भी समझ से परे है। हां, इतना जरूर है कि यह कहावत इस आशय का भाव परिलक्षित करती है, जिससे राजनीति का शातिराना पक्ष उभरता है।
खैर, राजनीति वाकई कुत्ती चीज है। और इस कुत्ती चीज का चतुर लोग बड़ी चतुराई से इस्तेमाल करना जानते हैं। आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव में भीलवाड़ा से अजमेर आ कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े रिजू झुंझुनवाला के बारे में कहा गया कि वे पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं। जब वे हार गए तो ये कहा गया कि अजमेर के कांग्रेसियों ने उन्हें लूट लिया और काम भी नहीं किया। खैर, हारने के बाद भी अजमेर को अपनी कर्मभूमि बनाने के लिए उन्होंने इन्हीं कांग्रेसियों में से कुछ को साथ लेकर पूर्वांचल जन चेतना समिति की इकाई बनाई। यह वाकई एक सराहनीय व स्वागतयोग्य कदम था, मगर इसकी आलोचना इस रूप में हुई कि वे हारने के बाद भी यहां दुकान चलाना चाहते हैं। यानि कि वे भी हार कर गायब हो चुके प्रत्याशियों की तरह से अजमेर छोड़ कर चले जाते तो ठीक रहता। चलो माना कि उन्होंने दुकान लगा दी, मगर किसी को लूट थोड़े ही रहे हैं, गांठ का ही तो पूरा कर रहे हैं। इसीलिए कहते हैं कि राजनीति बड़ी कुत्ती चीज है। आप हार कर भाग जाएं तो भी आलोचना और हार कर भी डटे रहें तो भी परेशानी। चंदा दें तो ऐतराज, न दें तो भी चर्चा। सीधी सी बात है कि उन्हें अगर अगले चुनाव की अभी से तैयारी करनी है तो किसी न किसी मंच के जरिए ही काम करेंगे। काम भी जनहित का ही कर रहे हैं। इसमें बुराई है? उनके प्रतिनिधि रजनीश वर्मा, जो कि समिति के ट्रस्टी हैं, और अध्यक्ष राजेन्द्र गोयल व महासचिव शिव कुमार बंसल ने पर्यावरण संतुलन के लिए वृक्षारोपण का डट कर काम किया तो जिला प्रशासन ने भी उसे रियलाइज किया। 15 अगस्त के समारोह में सम्मानित भी किया। संभव है कुछ पहले से स्थापित संस्थाओं या व्यक्तियों को यह रास न भी आया हो।
कुल मिला कर हारने के बाद भी रिजू झुंझुनवाला अजमेर में सक्रिय हैं और चर्चा में भी हैं। वे अजमेर आएं या नहीं, उनका झुंझुना तो बज ही रहा है। इसी चर्चा के तालाब में शहर के जाने-माने वकील राजेश टंडन ने ब्लॉग लिख कर कंकड़ फैंक मारा। स्वाभाविक रूप से तरंगे उठनी ही थीं। ब्लॉग का कंटेंट ही ऐसा था। उन्होंने लिखा कि छात्र संघ चुनाव में कई कफनखसोट रिजू के पास गए चंदा लेने तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने जो लिखा, उसका कुल जमा मायने ये है कि उनकी समिति अनापशनाप खर्चे कर रही है, जिससे रिजू तंग आ चुके हैं। एक चर्चित अधिकारी भी लपेटे में लिए गए।
अब जब शहर के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी ने यह बात लिखी है तो जरूर उनके पास पुख्ता जानकारी होगी। यह बात दीगर है कि उन्होंने सारी बात इशारों ही इशारों में कही है। समिति के जिम्मेदार पदाधिकारी भौंचक्क हैं, मगर लगता है कि उन्हें प्रतिक्रिया जाहिर करने में रुचि नहीं है। वे किसी पचड़े में नहीं पडऩा चाहते। इसी बीच राष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने गजलकार सुरेन्द्र चतुर्वेदी, जो कि आजकल नियमित ब्लॉग लेखन कर रहे हैं, को लिखने का प्लॉट मिल गया। अपने पुराने मित्र की बात पर मित्रतापूर्वक प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होंने दुख जताया कि किसी संस्था के बारे में पूरी जानकारी के बिना ऐसा नहीं लिखना चाहिए। उन्होंने अपेक्षा की है कि टंडन की बात में अगर अक्षरश: सच्चाई है तो उसे सिद्ध करने की जिम्मेदारी भी लें। खैर, बात छिड़ी है तो शायद दूर तक जाएगी। कदाचित रिजू चंदे से तंग न भी आए हों, मगर कहीं राजनीति के कुतियापे से तंग न आ जाएं।
चूंकि मामला पब्लिक डोमेन में आ गया है, लिहाजा अपुन भी फोकट रायचंद बन गए। रिजू झुंझुनवाला तो बड़े आदमी हैं ही, टंडन व चतुर्वेदी भी कम बड़े नहीं हैं। बड़े लोगों की बड़ी बातें। अपुन ठहरे छोटे से पत्रकार। अपुन तो इतना ही कह सकते हैं कि थे जाणो रघुनाथ, कान्हों भोलो है। आपणे तो इत्ती सी बात पल्ले पड़ी के बडो आदमी छींके तो बा भी खबर बण जावे। बे अठै आवे तो चोखो, न आवे फेर भी बां को झुंझुनो तो बाज ही रियो है। अर म्हारा जान का भी तो बां को झुंझुनो ही बजा रिया हां। सॉरी, फिसल गया। हिंदी लिखते लिखते मारवाड़ी पर आ गया। निष्पत्ति यही कि राजनीति में जिंदा रहने की पहली शर्त है चर्चा में रहना, भले ही चर्चा अनुकूल हो या प्रतिकूल। अभी तो पूरे साढ़े चार साल बाकी पड़े हैं, न जाने कितने मोड़ों से उन्हें गुजरना होगा। हां, अपुन टंडन साहब के एक पैट वर्ड खफनखसोट को सुसंस्कृत तरीके से इस्तेमाल करते हुए कहते हैं कि कपड़ा फाडऩे में हम बडे माहिर हैं। बडे बडे लोग पनाह मांगते हैं। चुनाव से पहले जयपुर में मुख्यमंत्री निवास पर एक बैठक में खुद अशोक गहलोत ने अजमर वालों से तौबा मांग ली थी। मगर ख्याल रहे, अजमेर में बाहर का जाया ही पनपता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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