डर्टी पॉलिटिक्स के चलते ही उड़ा पालिका की ई ओ रेखा जेसवानी का विकेट

इसे पुष्कर में कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स ही कहा जायेगा की स्थानीय नगर पालिका की जिस अधिशाषी अधिकारी रेखा जेसवानी को विधानसभा चुनावों के बाद खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हाजी इंसाफ अली नियुक्त करवाकर लाये थे । उसी महिला अधिकारी को स्थानीय कॉंग्रेसी नेताओ में चल रहे अघोषित शीत युद्ध के चलते महज सात महीनों में ही भागना पड़ा । जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद जिस तरह एक तरफा फैसले लेने और केवल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने का रवैय्या रेखा जेसवानी ने अपनाया था उसे देखकर बुद्धिजीवियो को ही नही बल्कि यहां के स्थानीय नागरिकों को भी अहसास हो गया था कि यह महिला अधिकारी ज्यादा दिन नही टिक पाएगी । चार्ज संभालते ही जिस तरह जेसवानी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को नोटिस थमाए , विकास कार्यो में रुकावटें पैदा की , शहर में बढ़ती जा रही गंदगी की समस्या को अनदेखा किया , बारिश के मौसम में विकराल रूप धरकर पुष्कर के प्रत्येक नागरिक को परेशानी का सबब देने वाली सिवरेज की समस्या के प्रति गंभीरता नही दिखाने के बाद तो जैसे पूरा पुष्कर ही बदहाली के कगार पर पहुंच चुका था । लेकिन इतना कुछ होने पर भी ईओ जेसवानी का रूटीन नही बदला । पुष्कर के प्रति उनका व्यवहार देखकर लगता था जैसे उन्हें यहां से कोई मतलब ही नही है ।

यहां तक भी ठीक था परंतु बात तब बिगड़ना शुरू हुई जब बीते कई दशकों से पुष्कर की राजनीति में दखल रखने वाले कॉंग्रेसी नेता दामोदर शर्मा की उपेक्षा होनी शुरू हो गई । सोची समझी राजनीति के चलते उन्हें दरकिनार किया जाने लगा । खास बात यह रही कि भले ही रेखा जेसवानी को कांग्रेस के नेता यहां लेकर आये परंतु कुछ ही महीनों के कार्यकाल में साथ काम करने के दौरान उन पर बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी अपना प्रभाव छोड़ दिया और देखते ही देखते हालत यह हो गई कि कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी नेताओं के काम होने लगे । इस स्थिति से कांग्रेस के दोनो ही गुट परेशान हो गए । वे एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे । यही वजह रही कि जिला कलेक्टर से लेकर स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल तक रेखा जेसवानी की जमकर शिकायते की गई । हालात यह हो गए कि कांग्रेस का एक पक्ष तो जेसवानी को एपीओ करवाने की जिद्द पर ही अड़ गया । लेकिन महिला होने के नाते उनके साथ नरमी बरती गई और महज सात महीनो के कार्यकाल में ही उन्हें यहां से रवानगी लेनी पड़ी ।

*नए ई ओ अभिषेक गहलोत को भी रहना होगा संभलकर •••*
रेखा जेसवानी के स्थान पर अभिषेक गहलोत ने शनिवार को अधिशाषी अधिकारी का कार्यभार संभाल लिया है । उन्होंने भरोसा दिलाया है कि पुष्कर के विकास में कोई कमी नही छोड़ी जाएगी । शहर को गंदगी और कचरे से मुक्त करेंगे साथ ही सिवरेज की समस्या को हल करने के लिये प्लान बनाएंगे । मेरा मानना है कि स्वयं गहलोत भी जानते है कि उनकी नियुक्ति किन परिस्थितियों में हुई है । गहलोत की नियुक्ति रुकवाने के लिए स्थानीय कॉंग्रेसी नेताओ ने एड़ी चोटी का जोर लगाया । सुना है सचिवालय में धरने पर बैठने की भी कोशिश की गई । परंतु इंसाफ अली के आगे उनकी एक नही चली और गहलोत ही ई ओ बनकर पुष्कर आ गए । यहां चल रही गुटबाजी का एक नजारा कल उस वक्त भी देखने को मिला जब केवल इंसाफ अली के समर्थक कार्यकर्ता ही गहलोत का स्वागत करने पालिका कार्यालय पहुंचे , जब कि दामोदर शर्मा के किसी भी समर्थक ने उनसे मुलाकात तक नही की ।

राकेश भट्ट
हालांकि गहलोत पहले भी पुष्कर पालिका में इसी पद पर अपनी सेवाएं दे चुके है । यहां काम करने का अनुभव भी उनके पास है । परंतु बदली हुई परिस्थितियों में गहलोत को भी सँभलकर काम करना पड़ेगा और अपनी सूझबूझ से पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर पुष्कर जैसे तीर्थ की सेवा करने के मिले सुअवसर को साकार करना होगा । गहलोत पर बगैर किसी भेदभाव के हर जरूरतमंद व्यक्ति का काम करके राहत पहुंचाने और पुष्कर में अपनी एक अलग पहचान बनाने की भी चुनोती है । देखना दिलचस्प होगा कि नए ईओ गहलोत इस चुनोती पर कितना खरा उतर पाते है या फिर यह भी जेसवानी की तरह कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स का ही शिकार हो जाएंगे ••••

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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