एडीए अध्यक्ष का पद अब सामान्य को मिलेगा?

हालांकि राजनीति में कुछ भी संभव है, मगर अब जब कि अजमेर नगर निगम के मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गया है, मोटे तौर पर माना जा रहा है कि अब अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद सामान्य वर्ग के किसी नेता को मिलेगा। पक्के तौर पर इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि इससे पहले सामान्य की सीट पर ओबीसी के धर्मेन्द्र गहलोत को मेयर बना दिया गया, जिसका भारी विरोध भी हुआ, मगर उसके तुरंत बाद डिप्टी मेयर का पद भी ओबीसी के संपत सांखला को दे दिया गया।
अगर ये माना जाता है कि एडीए अध्यक्ष पद किसी सामान्य वर्ग के नेता की नियुक्ति होगी तो उसमें सबसे पहले नंबर पर पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का नाम आता है। असल में वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाते हैं। यद्यपि वे लगातार दो बार अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से हारे और तीसरी बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया, मगर गहलोत से नजदीकी उनके दावे को मजबूत बनाए हुए है। दूसरा दावा है प्रदेश कांग्रेस के सचिव व अजमेर शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके महेन्द्र सिंह रलावता का, जो पिछले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से हार गए। अजमेर में वे काफी सीनियर नेता हैं, इस कारण हाईकमान तक पकड़ है। उनकी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब यह लगभग तय था कि इस बार कांग्रेस किसी सिंधी को टिकट देगी, फिर भी वे टिकट ले कर आ गए। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का उन पर वरद हस्त है।
शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन का भी दावा बनता है। उन्होंने विपरीत हालात में भी संगठन को मजबूत किया। अपने खास सिपहसालार मुजफ्फर भारती व बिपिन बेसिल के सहयोग से वार्ड व बूथ स्तर पर संगठनात्मक ढ़ांचा खड़ा किया। कामयाब धरने-प्रदर्शन किए। संगठन का वजूद तो रलावता के समय भी था, लेकिन इस बार चूंकि कांग्रेस की सरकार बनने की पूरी उम्मीद थी, उसी के चलते उनकी टीम ने अपेक्षाकृत बेतहर काम किया। टीम में कई नए कार्यकर्ता भी जुड़े। यह बात दीगर है कि मोदी लहर के चलते अजमेर की दोनों सीटें कांग्रेस हार गई। वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की पसंद हैं। देहात जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ भी प्रमुख दावेदार हैं, वे भी पायलट की पसंद से देहात अध्यक्ष बने थे।
सामान्य वर्ग से अन्य कई और भी दावा कर सकते हैं, जिनमें राजू गुप्ता का नाम लिया जाता है। सचिन पायलट के करीबी किशनगढ़ निवासी राजू गुप्ता किशनगढ़ विधानसभा सीट के प्रबल दावेदार थे, मगर उन्हें टिकट नहीं मिली। हो सकता है, उनकी लॉटरी लग जाए। यहां उल्लेखनीय है कि अजमेर विकास प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र में किशनगढ़ भी है, इस कारण उन पर बाहरी होने का ठप्पा नहीं लगेगा।
अपुन ने शुरू में ही लिखा कि राजनीति में कोई फाइनल फार्मूला नहीं होता, इस कारण अनुसूचित जाति के नेता यथा अजमेर दक्षिण से हारे हेमंत भाटी, उनके बड़े भाई पूर्व उप मंत्री ललित भाटी, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, शहर जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रताप यादव भी नाउम्मीद नहीं हैं। वैसे जातीय संतुलन बनाने के लिए सामान्य वर्ग के किसी नेता को एडीए का अध्यक्ष बनाने का कयास लगाया जा रहा है।
-तेजवानी गिरधर
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