हेमंत भाटी की पत्नी का दावा सामने आते ही मची हलचल

सुनीता भाटी
कांग्रेस नेता हेमंत भाटी ने अजमेर नगर निगम के अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित मेयर पद के लिए अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता भाटी का जैसे ही दावा ठोका है, गुलाबी सर्दी के बीच यकायक सियासत में गरमाहट आ गई है।
ज्ञातव्य है कि अब तक की जानकारी के अनुसार अनुसूचित जाति के पुरुष के सामान्य वर्ग की महिला के साथ शादी होने पर महिला को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले लाभ नहीं मिला करते, लेकिन भाटी ने एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा है कि उनकी पत्नी मेयर पद के लिए दावा करने की पात्रता रखती हैं। एक बयान में उन्होंने बताया कि गत 21 अक्टूबर को राज्यपाल ने जो अधिसूचना जारी की है, उसमें यह स्पष्ट है कि सामान्य वर्ग की महिला को अनुसूचित जाति के पुरुष के साथ शादी करने पर उसे भी अनुसूचित जाति के सारे लाभ मिलेंगे।
हालांकि अधिसूचना में ये अलग से स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या वह चुनावों में भी आरक्षण के लाभ पर लागू होगी, मगर मोटे तौर पर तो यही माना जा रहा है। राज्यपाल की ओर से जारी अधिसूचना की खबर 22 अक्टूबर की राजस्थान पत्रिका में भी छपी है। उसकी कटिंग इस समाचार के साथ दी जा रही है।
खैर, बात भाटी के दावे की। जैसे ही उन्होंने दावा किया है, उन दावेदारों की पेशानी पर लकीरें खिंच गई हैं, जो कि यह सोच कर निश्चिंत
थे कि भाटी की पत्नी चुनाव लडऩे की पात्रता नहीं रखतीं हैं। अनुसूचित जाति के पुरुषों की पत्नियों के साथ-साथ अनुसूचित जाति की महिला पार्षदों को भी तकलीफ होना स्वाभाविक है, जो चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। कहने की आवश्यकता नहीं है कि राजनीतिक रसूखात, जनाधार व साधन संपन्नता के लिहाज से भाटी का दावा अन्य की अपेक्षाकृत भारी पड़ेगा। भले ही वे विधानसभा चुनाव में हार गए हों, मगर नगर निगम के पिछले चुनाव में उन्होंने जिस तरह अपना वर्चस्व साबित किया है, वह सबके सामने है। अकेले उन्हीं के दम पर कई पार्षद जीत कर आए थे। निगम में भाजपा को चुनौती उनके दक्षिण क्षेत्र के पार्षदों के कारण दी जा सकी, वरना उत्तर में तो हालत बहुत खराब थी। बहरहाल, अब देखते हैं कि आगे-आगे होता है क्या?
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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