बेशर्मी बेपर्दा हो गई अजमेर वासियों की

एक ओर जहां डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने अपने गुरू गुरमीत संत राम रहीम सिंह इंसा के आदेश पर शहर के कोने-कोने को एक ही दिन में साफ कर अजमेर के इतिहास में यादगार व प्रेरणास्पद पन्ना जोड़ दिया, वहीं दूसरी ओर कथित रूप से टायर्ड व रिटायर्ड लोगों के शहर अजमेर के शहवासियों की बेशर्मी भी बेपर्दा हो गई। एक ओर सेवादार शहर की गंदी नालियों में हाथ डाल कर कीचड़ व कचरा ऐसे निकाल रहे थे, जैसे कोई अपने घर की नाली को भी साफ न करे, तो दूसरी ओर कई लोग तमाशबीन बन कर उन्हें देखभर रहे थे। वाहनों से गुजर रहे लोग एक पल को रुक कर सेवा के जज्बे की मन ही मन तारीफ तो कर रहे थे, मगर किसी के मन में यह ख्याल न आया कि वे भी इस काम में अपनी थोड़ी सी हिस्सेदारी निभाए। बेशक हर एक की जुबान पर इन सेवादारों के जज्बे की तारीफ थी, मगर न तो अजमेर के किसी नागरिक ने इस महाअभियान में हाथ बंटाया और न ही इस प्रकार का प्रस्ताव रखा। कई लोग तो ऐसे थे जो सेवादारों को गंदगी वाले स्थान ऐसे बता रहे थे, मानों सरकार ने उनके यहां सफाई करने के लिए सफाई कर्मचारी भेजे हों। दैनिक भास्कर ने आमजन की इस मानसिकता को कुछ इन शब्दों में पिरोया है- यह सब कुछ वैसा ही था, जैसे हमारे घर आया परदेसी मेहमान हमारी आंखों के सामने हमारे रसोई घर से लेकर शौचालय तक को साफ करता रहे और हम उठ कर झूठे मुंह उसे यह तक न कहें, आप रहने दीजिए, हम कर लेंगे।
अजमेर के बेशर्म नागरिकों में सफाई के प्रति कितनी जागरूकता है, इसका इजहार फेसबुक पर एक मित्र नरेन्द्र सिंह शेखावत ने कुछ इस प्रकार किया है:-पटेल मेदान के सामने से एक बारात जा रही थी। बारातियों को नाश्ता दिया था। एक ओर सेवादार सड़क को साफ कर चुके थे तो दूसरी और सभी बारातियों ने प्लेटें सड़क पर ऐसे फैंक दी मानों किसी कूड़ेदान का इस्तेमाल कर रहे हों। कुछ सेवादार यह सब देख कर मायूस हो गए। इस पर पास ही खड़े मित्र ने पूछा, यह देख कर कैसा लगा, उन्होंने कहा बहुत बुरा लगा। मित्र ने कहा यह तो आपने केवल यहां पर ही देखा है, अगर आप पूरे शहर में जाकर देखोगे, जहां आपने सफाई की है तो वहां पर भी ऐसा ही मिलेगा। इस पर सेवादार बोले कि हम क्या करें सर, हम तो हमारे गुरू के आदेश का पालन करते हैं।

क्या आप इस तरह अपने घर की नाली भी साफ कर सकते हैं?

आम जनता को भीड़ की संज्ञा देकर नजरअंदाज भी कर दिया जाए, मगर नगर निगम की कार्यप्रणाली तो कत्तई माफ करने लायक नहीं है। सफाई के लिए डेरा सच्चा सौदा की ओर से जो सहयोग की अपेक्षा थी, उस पर निगम खरा नहीं उतरा। हाल यह है कि सेवादारों के अजमेर से कूच करने के बाद अनेक जगहों पर कचरा ढ़ेर के रूप में पड़ा है। नगर निगम प्रशासन की उदासीनता के चलते नालों में उतरे सेवादारों को बिना गम बूट और बिना फावड़ों के गीला कचरा निकालना पड़ा। कचरा परिवहन के लिए लगाये गये ट्रेक्टर भी नदारद रहे। मात्र एक दिन के लिए आए सेवादारों ने उस सच को भी उघाड़ कर रख दिया है कि नगर निगम के सात सौ स्थाई व बारह सौ अस्थाई सफाई कर्मचारियों की फौज से काम लेने का जिम्मा जिन लोगों पर है, वे कितने कर्तव्यपरायण हैं।
असल में होना यह चाहिए था कि जब डेरा सच्चा सौदा का प्रस्ताव आया था तो जिला प्रशासन व निगम मेयर कमल बाकोलिया का इस स्वर्णिम मौके का फायदा उठाते हुए सफाई महाअभियान में अजमेर के नागरिकों की भागीदारी का सुझाव देना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो इसमें कोई शक नहीं है कि अजमेर की अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं आगे बढ़ कर सहयोग देने को तैयार हो जातीं। अब जब कि सांप निकल गया है तो यह सांप पीटने के समान ही है कि ये नहीं हुआ, वो नहीं हुआ, मगर इसका अर्थ ये भी नहीं है कि अजमेर की पूरी जनता बिलकुल ही बेशर्म है। अच्छे नागरिक भी हैं, पढ़-लिखे समझदार भी हैं, मगर उन्हें दिशा देने की न तो प्रशासन को सूझी और न ही निगम को। सच तो ये है कि उन्होंने एक शानदार मौका गंवा दिया। राजनीतिक दल भी अपने आप को अलग किए रहे। भाजपा ने सेवादारों का आभार जरूरत जताया, मगर हाथ बंटाने की बात वहां भी नहीं उपजी। अगर इस अभियान में स्थानीय जनता की भागीदारी भी होती तो इससे उसमें भी जागृति आती। मगर, अफसोस कि किसी की इस पर नजर नहीं गई।

 ऐसा नहीं है कि अजमेर वासियों का ठंडा खून पहली बार उजागर हुआ है, इससे पहले भी इसका नजारा देखा जा चुका है। आपको याद होगा कि पूर्व जिला कलेक्टर मंजू राजपाल ने भी पहल करके सफाई अभियान की शुरुआत की थी, जिसका हश्र क्या हुआ, सब को पता है। देखिये यह चित्र, जो यह कड़वे सच से रूबरू करवा रहा है कि मंजू राजपाल तो झाडू हाथ में लेकर सफाई अभियान की शुुरुआत कर रही हैं, जबकि ऊपर दुकानदार हाथ पर हाथ धर कर बैठे हैं, जिन्हें इतनी भी शर्म नहीं कि अदब में नीचे उतर कर खड़े हो जाएं।

 

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-तेजवानी गिरधर, अजमेर

1 thought on “बेशर्मी बेपर्दा हो गई अजमेर वासियों की”

  1. Mr:tejwani,i remember to day,late mr:jwala prasaadji:mychild hood.say1957:strick of sweapers:we saw him lifting latrine containers,mr keserchand chowdhry,even:..same the public was doing.still remember…now madam rajpalsingh:great.

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