मुख्य सचिव आर्य से जुडा मार्मिक संस्मरण

बात वर्ष 2003 की है जब श्री निरंजन आर्य अजमेर के ज़िला कलक्टर थे।इनके कार्यकाल में पुष्कर मेले के समापन समारोह के लोक नृत्य में भाग ले रही छात्राओं को इन्होंने दानदाताओं से कॉस्ट्यूम्स के साथ-साथ जूते भी दिलाये थे तब मैं जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में कार्य कर रहा था और मैंने श्री आर्य से पूछा कि सर, जूते किस लिये, क्योंकि पहली बार छ सौ से अधिक छात्राओं को यह सामग्री मिल रही थी लेकिन जूते की कल्पना नहीं थी तब श्री आर्य ने जो शब्द कहे वो मुझे हमेशा स्मरण है कि “ मैं जब बच्चा था तब पुष्कर मेले में आया था पाँव में जूते चप्पल नहीं थे और इस कड़ाके की ठंड में बिना जूते चप्पल बालू मिट्टी के पुष्कर मेला मैदान में घूमने के अनुभव को मैं ही समझ सकता हूँ और इस मैदान में नंगे पाँव नृत्य करने वाली छात्राओं की पीड़ा को भी मैं ही महसूस कर सकता हूँ।इस कार्यक्रम को पूरा विश्व देखता है। जब बच्चियाँ एक साथ जूते पहन कर नृत्य करेगी तो मुझे कुछ संतोष मिलेगा।श्री आर्य आज राजस्थान के प्रशासनिक शिखर “मुख्य सचिव “ के पद पर पंहुचे हैं तो मेरे ज़हन में रखे अनेक क्षण ताज़ा हो गये। अनेक संस्मरण हैं जिनमें से सबसे मार्मिक संस्मरण मैंने साझा किया है।मेरी ओर से सादर वंदन व बधाई।

प्यारे मोहन त्रिपाठी
संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क (रि)अजमेर

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