मेडता से पुष्कर रेलवें की बडी लाईन की स्वीकृति / कार्य़ शुरू करने हेतु सुझाव

शिव शंकर गोयल
पृष्ठभूमि ;- अजमेर-मेडता रेलवे लाईन बिछाने से पहले अजमेर-पुष्कर सुरंग योजना प्रस्तावित थी जिसकी रूपरेखा राजस्थान सार्वजनिक निर्माण विभाग, अजमेर ने सन 1996 में बनाई थी. इस योजना में सुरंग को कोटडा गांव से नाग पहाड के दूसरी ओर बूढा पुष्कर से पहले स्काउट गाईड कैम्प तक बनाना था. इसकी स्वीकृति केन्द्रिय वन विभाग, लखनऊ से समय पर प्राप्त न होसकी. यदि सुरंग बनाकर रेल लाईन एवं सडक उसमें से डाली जाती तो अजमेर पुष्कर का 11 किलोमीटर का सडक मार्ग न सिर्फ 9 कि. रह जाता बल्कि पुष्कर घाटी की चढाई भी वाहनों एवं तीर्थ यात्रियों को नही चढनी पडती तथा विदेशों से मंगाये जाने वाले पेट्रोल-डीजल की बचत भी होती तथा दुर्घटनाओं में भी कमी आती. पीएचईडी की गनेडा से अजमेर वाया लीलासेवडी जो पाईप लाईन पहाड पर डाली हुई है, वह भी सुरंग के बाजू में डालने से तब पम्पिंग में बिजली की काफी बचत होती और अब जबकि गनेडा के स्त्रोत काम नही आरहे है तो बीसलपुर का पानी अकाल के समय, फुष्कर सूखने पर, उसी पाईप लाईन से वहां पहुंचाया जा सकता था लेकिन यह कार्य़ समय पर नही हो सका. अब अजमेर पुष्कर के बीच बंद पडी रेल लाईन और उस पर प्रतिदिन होने वाले खर्चे को रोकने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर पुष्कर मेडता लाईन को बिछाने की कार्ऱवाही शीघ्र करे तो अजमेर मेडता का रेल मार्ग चालू हो जायगा. इसके अतिरिक्त इस लाईन के शुरू होने से कई फायदें है. उदाहरणार्थ :-
तीर्थराज पुष्कर राजस्थान का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. यहां से मीरा बाई की नगरी मेडता सिर्फ 70 किलोमीटर दूर है.
अजमेर में राजस्थान का राजस्वमंडल स्थित है जहां जमीन संबंधी प्रकरणों के फैसलें किए जाते है. अधिकांश प्रकरण श्रीगंगानगर और हनुमानगढ जिलों के होते है. वर्तमान में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, बीकानेर आदि से अजमेर आने के लिए सीधा एवं सुगम रेल मार्ग नही है. इससे किसानों को काफी तकलीफ उठानी पडती है. उन्हें जयपुर होकर आना पडता है. इस रेल मार्ग के बन जाने से उनकी दिक्कतें दूर हो जायगी.
इस रेल मार्ग के बन जाने से पंजाब जाने-आने का वैकल्पिक मार्ग खुल जायगा जिससे अजमेर-दिल्ली रेल मार्ग का दवाब, जोकि वर्तमान में बहुत अधिक है, कम हो जायगा.
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ मंडियों की कृषी उपज को द्रुतगति एवं कम दूरी में अहमदाबाद, सूरत, कांडला एवं मुम्बई बंदरगाहं पर भेजा जा सकेगा. इस तरह यह एक व्यापारिक कॉरीडोर बन जायगा.
यह लाईन सामरिक महत्व की है क्योंकि नसीराबाद छावनी से जोधपुर की तरफ जाने हेतु अपेक्षाकृत छोटा मार्ग उपलब्ध हो जायगा.
मेडता-पुष्कर जुडने से अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह, जैन धर्मावलम्बियों की सोनीजी की नसियां एवं नारेली तीर्थ, तीर्थ गुरू पुष्कर, श्रीरंगनाथ स्वामी एवं ब्रह्माजी का मंदिर, भुवालमाता का मंदिर और मेडता स्थित, मीराबाई के इष्टदेव चारभुजाजी का मंदिर आपस में जुड जायेंगे. इससे धार्मिक पर्य़टन को भी बढावा मिलेगा.
पुष्कर आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को चारों ओर से रेल मार्ग द्वारा पहुंचने की सुविधा हो जायगी. पुष्कर पशु मेले का भी प्रसार होगा.
पुष्कर से रामदेवरा जाने वालें तीर्थ यात्रियों को सीधे ही आवागमन की सस्ती और कम अवधि की सुविधा मिल जायगी क्योंकि अजमेर-पुष्कर-मेडता-जोधपुर मार्ग वर्तमान के अजमेर-मारवाड-जोधपुर से छोटा पडेगा. इसी तरह गोगामेडी जानेवालों को भी सुविधा हो जायगी.
नागौर जिले के पिछडे ईलाकें (बाडीघाटी, थांवला, भैरून्दा, छोटी एवं बडी रियां, भुवाल माता इत्यादि) का द्रुतगति से विकास होगा.वर्तमान में ,यहां रोजगार के सीमित साधन है. पानी की कमी से खेती की उपज भी कम है और उद्दोग धंधें है नही. इस लाईन के बन जाने एवं सिचाई की अधिक व्यवस्था होजाने से क्षेत्र का विकास होगा.
पुष्कर क्षेत्र की मुख्य उपज मसलन गुलाब, आंवला,जामुन, फलशा इत्यादि पर आधारित छोटी छोटी उद्धौगिक ईकाइयों के माल (गुलकंद,इत्र,गुलाबजल, आंवले का मुरब्बा) को बाहर भेजने की अधिक सुविधा हो जायगी.
पींसागन-गोविन्द गढ क्षेत्र के प्याज एवं मिर्च जैसे कृषी उत्पादन एवं इनसे बने सूखे पाउडर उद्धौगों को प्रोत्साहन मिलेगा.
गोटन(मेडता के पास) के पास चूना उद्धयोग का भी विकास होगा पास की सीमेंट फैक्ट्री की सीमेंट को बाहर भिजवाने की अतिरिक्रत सुविदा मिल जायगी.
इस रेल मार्ग के बन जाने से मीरा बाई की जंम स्थली मेडता से उनकी शरण स्थली द्वारका तक चारभुजा ऐक्सप्रेस चलाई जा सकती है.
नवीनतम जानकारी के अनुसार इस परियोजना के लिए केन्द्र सरकार की स्वीकृति भी है और उसने एक करोड की टोकन मनी भी जारी करदी है. अब उचित तो यह होगा कि प्रस्तावित लाईन हेतु जमीन अधिग्रहण का काम राज्य सरकार शुरू करे. जिनकी जमीनें ली जाय, उनकी रजामंदी होने पर, उन्हें उचित मुआवजा अथवा राज्य के अन्य सींचित क्षेत्रों में जमीने दी जाय. उसी क्षेत्र में रेलवे की तीसरी एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती में उनके परिवारिक इच्छुक सदस्यों को प्राथमिकता दी जाय. Permanent Way यानि रेलवे लाईन के लिए बनने वाले रास्ते को मनरेगा (MGNREGS) के तहत बनवा लिया जाय बाकी कार्य रेलवे विभाग करें.
अभिवादन सहित
शिव शंकर गोयल.

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