विधायक देवनानी ने खेला तुरुप का पत्ता

अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने तुरुप का पत्ता खेल दिया है। वे पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया की मेवाड़ यात्रा के समर्थन में खुल कर मैदान में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रवास पर जाना भाजपा नेताओं की कार्य संस्कृति का हिस्सा है। भाजपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि प्रवास करते रहते हैं। उनकी इस चाल पर अजमेर सहित प्रदेशभर के भाजपा नेता चकित हैं। संभव ये भी है कि उन्होंने सामान्य तौर पर कटारिया की यात्रा को जायज बताया हो, मगर चूंकि यह विषय भाजपा के लिए काफी संवेदनशील है, इस कारण उनके समर्थन को विशेष रणनीति व अर्थ में लिया जा रहा हो।
ज्ञातव्य है कि कटारिया की पूर्व में प्रस्तावित मेवाड़ यात्रा, जो कि उस वक्त स्थगित हो गई, को लेकर भाजपा में बड़ा घमासान हो चुका है। हालत ये हो गई थी कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए विधायकों व पदाधिकारियों के सामूहिक इस्तीफे की राजनीति करनी पड़ी थी। बवाल बढ़ता देख कटारिया ने खुद ही पार्टी हित में कदम पीछे खींच लिए और यात्रा स्थगित कर दी थी। तब से लेकर वसुंधरा व संघ खेमे में तलवारें खिंची हुई हैं और अब तक सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। इसी बीच जैसे ही कटारिया ने जैसे ही दुबारा यात्रा आरंभ कर दी तो सभी भौंचक्के रह गए। राजनीतिक पंडित शतरंज की इस चाल को समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि इसी बीच देवनानी ने खुल कर उनका समर्थन कर दिया। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि पिछली बार जब वसुंधरा ने विधायकों के इस्तीफे एकत्रित किए थे तो जानकारी यही उभर कर आई थी कि देवनानी ने इस्तीफे पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, हालांकि उन्होंने चुप्पी साधते हुए कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी थी। इसके बावजूद समझा यही गया कि चूंकि वे संघ लॉबी से हैं, इस कारण वसुंधरा को उनसे इस्तीफा देने की उम्मीद भी नहीं रही होगी।
बहरहाल, अब जबकि देवनानी खुल कर कटारिया के साथ आ गए हैं, इसका अर्थ यही लगाया जा रहा है कि वे इस बार वसुंधरा के मानसिक दबाव से पूरी तरह से मुक्त होना चाहते हैं। साथ ही संघ लॉबी के साथ खुल कर खड़े हो कर अपना स्टैंड साफ कर देना चाहते हैं।
वैसे देवनानी ने एक चतुराई भी दिखाई। जब उनसे पूछा गया कि भाजपा नेता रामदास अग्रवाल के वी से वी तक के बयान पर उनका क्या कहना है तो वे बोले कि वी से वी का असली मतलब विकास से विजय तक की यात्रा होता है। प्रदेश में भाजपा शासन में जो विकास हुआ, अब आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को उसी आधार पर विजय मिलेगी। अग्रवाल ने यह बात किस संदर्भ में बोली इसका जवाब तो वे ही दे सकते हैं। समझा जा सकता है कि अग्रवाल का बयान संकेतों में सीधे-सीधे वसुंधरा पर ही था, मगर देवनानी ने उसका दूसरा ही अर्थ निकाल कर अपने आप को साफ बचा लिया।
ज्ञातव्य है कि वे मूलत: संघ लॉबी से ही हैं, मगर जब संघ के कोटे से उन्हें मंत्री बनाया गया था तो बाद में संघ के लोग ही उन पर संदेह करने लगे थे। इस पर वे पलट कर संघ खेमे में आ गए। और उसी की बदोलत उन्हें फिर से टिकट मिला व जितवाने में भी संघ की बड़ी भूमिका थी। तब से वे संघ लॉबी में ही बने हुए हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से सामान्य शिष्टाचार के नाते वसुंधरा के संपर्क में भी रहे। कदाचित संघ उन पर फिर से संदेह कर रहा हो और उन्हें दो घोड़ों पर सवार माना जा रहा हो, सो उन्होंने खुल कर मैदान में आना ही उचित समझा। इससे जाहिर तौर पर संघ की मुहिम को बल मिलेगा। इसका बड़ा फायदा ये हो सकता है कि संघ लॉबी उनके टिकट की खातिर फिर अड़ सकती है। अब ये तो वक्त ही बताएगा कि उनकी तुरुप यह पत्ता कामयाब होता है या पिट जाता है।
-तेजवानी गिरधर

2 thoughts on “विधायक देवनानी ने खेला तुरुप का पत्ता”

  1. Victory in ELECTIONS can b achieved even without the support of SANGH PARIVAAR, if U work sincerely throughout 5 years for the development of your constituency. SO, BETTER PLAY NORMAL GAME FOR 5 YEARS.

  2. Vese devnani ji apni turm 10 year.puri kar chuke hae.isliye sayad is bar ve kisi yuva ko apni gaddi sopenge to ajmer ke leye achha rahega

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