हर्षित हाडा ने किया पिताश्री के नाम को और रोशन

दोस्तों, आपको ख्याल में होगा कि पेशे से मूलतः वकील स्वर्गीय श्री राजेन्द्र हाड़ा को पत्रकारिता में भी महारत हासिल थी। लंबे समय तक दैनिक नवज्योति में कोर्ट की रिपोर्टिंग की। बाद में दैनिक भास्कर में पत्रकारिता में आए नए युवक-युवतियों को तराश कर परफैक्ट पत्रकार बनाया। वे एक संपूर्ण संपादक थे, जिनको पत्रकारिता के सभी अंगों की गहरी समझ थी। अजयमेरू प्रेस क्लब का संविधान बनाने में उनकी अहम भूमिका थी। उनकी अंत्येष्टि के समय पार्थिव शरीर से उठती लपटों ने मेरे जेहन में यह सवाल गहरे घोंप दिया कि क्या कोई कड़ी मेहनत व लगन से किसी क्षेत्र में इसलिए पारंगत होता है कि वह एक दिन इसी प्रकार आग की लपटों के साथ अनंत में विलीन हो जाएगा? खुदा से यही शिकवा कि यह कैसा निजाम है, आदमी द्वारा हासिल इल्म और अहसास उसी के साथ चले जाते हैं। जब भी हाडा जी की याद आती है तो ये सवाल फिर जीवंत हो उठते हैं। बहरहाल आज जब उनके सुपुत्र हर्षित हाडा ने सिविल जज की परीक्षा में सफलता हासिल तो हर्श की एक लहर ने मेरे मलाल पर तनिक मरहम लगा दिया है। हालांकि हाडा जी की अनुपस्थिति की भरपाई कत्तई संभव नहीं है, मगर उनकी संतति ने कठिन चुनौतियों को पार करते हुए जिस प्रकार सफलता हासिल की है, वह बहुत सुकून देती है। संतुष्टि है कि पिता का साया हटने के बाद भी उनकी संतति की रगों में बह रहे उनके खून ने अपनी तासीर फिर स्थापित कर दी है।
असल में हाडा जी के निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी मां चांदनी हाडा पर आ गई थी। जिला परिषद में संविदा पर डिस्टिक्ट कोर्डिनेटर के रूप में काम करते हुए मात्र बीस हजार माहवारी वेतन में घर के खर्चे के साथ हर्षित की पढाई का खर्च उठाया। समझा जा सकता है कि कितने कठिन हालात रहे होंगे। अफसोस कि आज हाडा जी अपनी संतान की कामयाबी के मंजर को देखने को मौजूद नहीं हैं।
प्रसंगवश यह जानना उचित होगा कि हर्षित शहर भाजपा अध्यक्ष डॉ प्रियशील हाडा व अजमेर नगर निगम की मेयर ब्रजलता हाडा के भतीजे हैं।

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