कारपेंटर से बनवाने पडे गुल्ली डंडे

खेलो खेलो हिंद सिंध के खेल खेलो
महाराजा दाहरसेन के 1311वें बलिदान दिवस के सिलसिले में इस बार आयोजित आयोजनों में बहुत दिलचस्प और महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। खेलो खेलो सिंध हिंद के खेल खेलो के अंतर्गत तीन दिवसीय खेलकूद स्पर्धाओं में फिर फिर सोटो (रुमाल से झपटना), सतोलिया, इटी ड्कर अर्थात गुल्ली डंडा, खो खो, लूडो, कुर्सी मटण अर्थात म्यूजिकल चेयर एवं नांग ड्ाकण अर्थात सांप सीढी और रूमाल झपटना के मुकाबले आयोजित किए गए।
संपूर्ण आयोजन में अहम भूमिका अदा कर रहे किषन प्रकाष किषनानी, महेन्द्र तीर्थानी व मोहन तुल्सियानी के अथक प्रयासों से हुए इस आयोजन का संयोजन जाने माने खेल प्रषिक्षक विनीत लोहिया ने किया। नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ साथ युवा पीढ़ी, महिलाओं एवं बुजुर्गों ने खूब लुत्फ उठाया। असल में इसके पीछे सोच यह थी नई पीढी परंपरागत देसी खेलों को भूल चुके हैं और छोटे बच्चे घरों में कैद हो कर मोबाइल पर वीडियो गेम्स में डूब गए हैं। उन्हें देसी खेलों से रूबरू करवाया जाए। यह अपने आप में अनूठा प्रयोग था। कुल खेलों की सामग्री तो आसानी से मिल गई, लेकिन सतोलिया के लिए चपटे पत्थर के टुकडे व गुल्ली डंडा बाजार में कहीं भी उपलब्ध नहीं थे। स्वाभाविक रूप से आज जब कोई गुल्ली डंडा कोई खेलता ही नहंीं तो, कोई मैन्यूक्चरर काहे को उन्हें बनवाएगा। चूंकि आयोजन कर्ता अपने जज्बे पर कायम थे, ऐसे में निर्माण सामग्री से जुडे ठेकेदार से सतोलिया के पत्थर इकट्ठे करवाए गए और कारपेंटर को आदेष दे कर गुल्ली डंडे बनवाए गए। प्रतियोगिताओं में षामिल प्रतिभागियों ने खूब आनंद उठाया और आयोजन कर्ताओं का आभार जाहिर किया।

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