*▶️नगर निगम में कांग्रेस के 15 पार्षदों ने बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पास कर जयपुर में प्रदेश अध्यक्ष को सौंपा*
*▶️नेतृत्व को चेतावनी दी, यदि दस दिन में नेता प्रतिपक्ष नहीं बदला, तो वे खुद नेता चुन लेंगे*
*▶️नेता प्रतिपक्ष की कार्यप्रणाली और व्यवहार से खफा हैं कांग्रेस के अधिकांश पार्षद*
प्रेम आनंदकर*👉अजमेर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सुश्री द्रोपदी के खिलाफ उनकी ही पार्टी कांग्रेस के 15 पार्षदों ने विरोध का बिगुल बजा दिया है। इन पार्षदों ने बैठक कर सुश्री द्रोपदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा को भेजा दिया है। प्रस्ताव में चेतावनी दी गई है कि यदि दस दिन में सुश्री द्रोपदी को नेता प्रतिपक्ष से हटाकर नया नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया, तो वे खुद बैठक कर नेता प्रतिपक्ष चुन लेंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रदेश नेतृत्व की होगी। बताया जाता है कि कांग्रेस के अधिकांश पार्षद नेता प्रतिपक्ष की कार्यप्रणाली और व्यवहार से खफा हैं, यही कारण है कि उनका लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है। जब सुश्री द्रोपदी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था, तब भी कांग्रेस के अधिकांश पार्षदों ने काफी विरोध किया था और जयपुर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय तक दौड़ लगाई थी, लेकिन तब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने यह साफ कह दिया कि फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके बाद नवंबर-2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सुश्री द्रोपदी को अजमेर दक्षिण आरक्षित सीट (एससी) से अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने पर भी कांग्रेस में काफी बवाल मचा था। इस सीट से टिकट के प्रबल दावेदार और पहले दो बार चुनाव हार चुके हेमंत भाटी गुट के लोगों ने विरोधस्वरूप पुतला भी जलाया था। आपको यह बताना लाजिमी है कि अजमेर में कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई है। अव्वल, तो पूरे राजस्थान में ही कांग्रेस के दो प्रमुख गुट बने हुए हैं। यह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव) सचिन पायलट के गुट हैं। अजमेर में भी यही स्थिति है। सुश्री द्रोपदी गहलोत गुट, तो विरोध के स्वर मुखर करने वाले कांग्रेस पार्षदों सहित ज्यादातर कांग्रेसी पायलट गुट के हैं। चूंकि पायलट अजमेर लोकसभा सीट से एक बार सांसद का चुनाव जीतकर केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार में संचार व कंपनी मामलात राज्यमंत्री रह चुके हैं। विरोध मुखर करने वाले पार्षदों का कहना है कि सुश्री द्रोपदी कांग्रेस के सभी पार्षद साथियों को साथ लेकर नहीं चलती हैं, उनकी ’अपनी ढपली, अपना राग’ होता है। सुश्री द्रोपदी नगर निगम के कतिपय भ्रष्ट अधिकारियों का साथ देती हैं। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है और कांग्रेस एकमात्र प्रमुख विपक्षी दल है। कांग्रेस पार्षद भ्रष्ट अधिकारियों और उनसे जुड़ी अनेक शिकायतों को लेकर भाजपा बोर्ड तथा भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को घेरना चाहते हैं, लेकिन सुश्री द्रोपदी सहयोग नहीं करती हैं। दूसरी ओर सुश्री द्रोपदी का अपनी पार्टी के पार्षदों द्वारा लगाए गए आरोपों पर कहना है कि वे सभी को साथ लेकर चलती हैं और पार्षदों के हर कार्यों में पूरा सहयोग करती हैं। इधर, कांग्रेस पार्षदों ने 26 जुलाई को जयपुर जाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा को पारित प्रस्ताव की कॉपी सौंपते हुए सुश्री द्रोपदी को तुरंत हटाकर नया नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग की है। डोटासरा ने उन्हें इस संबंध में जल्द कदम उठाने का भरोसा दिलाया है। देखते हैं, अब आगे क्या होता है। क्या प्रदेश नेतृत्व खुद ही कदम उठा लेता है या फिर यह पार्षद बैठक कर सर्वसम्मति से नया नेता प्रतिपक्ष चुन लेंगे।*
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