कब है अजमेर का स्थापना दिवस?

सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल अजमेर नगरी का स्थापना दिवस कब है, इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। मोटे तौर पर यही माना जाता है कि 2011 में चैत्र प्रतिपदा के दिन अजमेर की स्थापना हुई थी। और इसी कारण कभी 23 मार्च को तो कभी 27 मार्च को स्थापना दिवस मनाने की औपचारिकता निभा दी गई। साथ ही अफसोसनाक बात ये है कि ऐतिहासिक अजमेर का स्थापना दिवस कभी बडे पैमाने पर नहीं मनाया गया है।

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आपको बता दें कि एक बार जब 23 मार्च को स्थापना दिवस सांकेतिक रूप से मनाया गया था, तब संग्रहालय के भूतपूर्व अधीक्षक मरहूम जनाब सैयद आजम हुसैन ने माना था कि 23 मार्च को मनाया जा रहा अजमेर का स्थापना दिवस एक शुरुआत मात्र है। अजमेर की स्थापना के बारे में अगर कहीं लिखित प्रमाण मिलेंगे तो उन पर अमल करते हुए इस तिथि में फेरबदल कर दिया जाएगा। पर्यटन विकास समिति के मनोनीत सदस्य महेन्द्र विक्रम सिंह व इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटेक) के अजमेर चौप्टर के स्थापना दिवस मनाने के आग्रह के पीछे उनका ही हाथ था। संग्रहालय के अधीक्षक होने के नाते उनके पास जरूर अधिकृत जानकारियां हो सकती थीं, वरना महेन्द्र विक्रम सिंह व इंटेक को क्या पता? यदि यह कहा जाए की इस पूरे प्रकरण के मूल में आजम हुसैन ही हैं और अजमेर का स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत का श्रेय उन्हीं खाते में जाता है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस लिहाज से वे बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने अजमेर का स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत तो करवाई, भले ही अभी तिथि के पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं हैं। चूंकि हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को नव संवत्सर को आरंभ किया जाता है, इस कारण इस वर्ष नव संवत्सर की प्रतिपदा को समारोह मनाने की परंपरा आरंभ की गई।
वैसे अब तक एक भी स्थापित इतिहासकार ने इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा है। अजमेर के इतिहास के बारे में कर्नल टाड की सर्वाधिक मान्य और हरविलास शारदा की सर्वाधिक विश्वसनीय पुस्तक में भी इसका कोई उल्लेख नहीं है। स्थापना दिवस मनाने के अजमेर नगर परिशद के पूर्व उप सभापति सोमरत्न आर्य व भूतपूर्व मंत्री स्वर्गीय श्री ललित भाटी ने भी खूब माथापच्ची की थी, मगर उन्हें स्थापना दिवस का कहीं प्रमाण नहीं मिला। अजमेर के अन्य सभी मौजूदा इतिहासकार भी प्रमाण के अभाव में यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि अजमेर की स्थापना कब हुई। अजमेर के इतिहास के बारे में कर्नल टाड की सर्वाधिक मान्य और हरविलास शारदा की सर्वाधिक विश्वसनीय पुस्तक में भी इसका कोई उल्लेख नहीं है। मौजूदा इतिहासकार शिव शर्मा का भी यही मानना रहा है कि स्थापना दिवस के बारे में कहीं कुछ भी अंकित नहीं है। उन्होंने अपनी पुस्तक में अजमेर की ऐतिहासिक तिथियां दी हैं, जिसमें लिखा है कि 640 ई. में अजयराज चौहान (प्रथम) ने अजयमेरू पर सैनिक चौकी स्थापित की एवं दुर्ग का निर्माण शुरू कराया, मगर स्थापना दिवस के बारे में कुछ नहीं कहा है। इसी प्रकार अजमेर के भूत, वर्तमान व भविष्य पर लिखित पुस्तक अजमेर एट ए ग्लांस में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
राजनीतिक क्षेत्र में स्थापित सरस्वती पुत्र पूर्व राज्यसभा सदस्य औंकार सिंह लखावत ने तो बेशक नगर सुधार न्यास के अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक बनवाते समय स्थापना दिवस खोजने की कोशिश की होगी। लखावत जी को पता लग जाता तो वे चूकने वाले भी नहीं थे। इनमें से कोई भी आधिकारिक रूप से यह कहने की स्थिति नहीं रहा कि यह स्थापना दिवस है।
सवाल उठता कि क्या इस मामले में तत्कालीन जिला कलैक्टर श्रीमती मंजू राजपाल को अंधेरे में रख कर उनसे अजमेर का स्थापना दिवस घोषित कर लिया गया? क्या उन्हें यह जानकारी दी गई कि पुख्ता प्रमाण तो नहीं हैं, मगर फिलहाल शुरुआत तो की जाए, बाद में प्रमाण मिलने पर फेरबदल कर लिया जाएगा? क्या प्रस्ताव इस रूप में पेश किया जाता तो जिला कलेक्टर उसे सिरे से ही खारिज कर देतीं? लगता है कहीं न कहीं गडबड़ है। बेहतर तो ये होता कि जिला कलेक्टर इससे पहले बाकायदा अजमेर के इतिहासकारों की बैठक आधिकारिक तौर पर बुलातीं और उसमें तय किया जाता, तब कम से कम इतिहासकारों का सम्मान भी रह जाता और विवाद भी नहीं होता। यही वजह है कि स्थापना दिवस घोषित होने के बाद इतिहासकार इस तिथि को मानने को तैयार नहीं थे।
-तेजवाणी गिरधर
7742067000

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