जाट-चौधरी का मेल, कैसा है ये खेल

-सुरेन्द्र जोशी-  सियासत में रिश्तो की काफी अहमियत होती है। और यही रिश्ते जब दो परस्पर विरोधी विचारधाराओ से जुडी राजनैतिक पार्टीयो के रसूखदार लागो के बीच कायम हो तो न केवल सियासत में हलचल ही मचती है वरन सियासी हलको में जोड बाकि का हिसाब भी लगना शुरू हो जाता है। बुधवार को शहर में दो अलग अलग धुरियो पर घूमने वाले राजनीति के धुरन्धर जब रिश्तो के बंधन में बंधे तो इलाके के सियासतदानो की घडकने तेज हो गई। मौका था प्रदेश भाजपा के कददावर नेता एवं भाजपा किसान मौर्चा के प्रदेशाध्यक्ष प्रो सांवर लाल जाट और ईलाके के रसूखदार कांग्रेसी नेता मदन गोपाल चौधरी के बीच परस्पर कायम हुये रिश्ते का। दरअसल प्रोफेसर जाट ने अपनी डाक्टर पुत्री सुमन का रिश्ता मदनगोपाल चौधरी के पुत्र गोविन्द के साथ तय किया है और इसी रिश्ते की पहली रस्म अदा करने के लिये जब वे अपने दोनो भाईयो व अपने रिश्तेदारो के साथ यहां पहुंचे तो ईलाके के विधायक डा रघु शर्मा सहित भाजपा व कांग्रेस के सभी स्थानीय नेतागण दलगत राजनीति का भेद भुला कर कार्यक्रम में शरीक हुये। हांलाकि सामाजिक परिवेश में यही वे मौके होते है जिसमे ना तो कोई बीजेपी का होता है और ना ही कांग्रेस का। ना कोई छोटा होता है और ना ही कोई बडा। मगर बात जब सियासत की हो तो हलचल मचना लाजिमी ही है। क्यो कि भले ही प्रो जाट ने मदन गोपाल चौधरी के साथ बेटी व्यवहार करके अपने रिश्तो की डोर बांध ली हो मगर बात जब राजनीति की होगी राजनैतिक विचार धारा अपनी परम्परागत धारा में ही बहती नजर आयेगी। हांलाकि ये सब सामाजिक रिश्ते का एक व्यवहारिक पहलू भी है मगर सियासी हलको में इसकी फलावट ने सियासतदानो की बैचेनी बढा दी है और वे अपने अपने हिसाब से जोड बाकि गुण भाग में लग गये है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि दो बडे रसूखदारो राजनैतिज्ञो के बीच बंधी रिश्तो की यह डोर भविष्य में किसके लिये फायदे मंद साबित होगी।
सुरेन्द्र जोशी खबर भारती न्यूज चैनल के अजमेर ब्यूरो प्रमुख हैं
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