श्रीवास्तव जी, कई चुनौतियां हैं आपके सामने

gaurav shrivastav 1भ्रष्टाचार के मामले में दो आईपीएस अधिकारियों की गिरफ्तारी और एक आरपीएस अधिकारी की फरारी के चलते हतोत्साहित अजमेर जिला पुलिस के नए कप्तान गौरव श्रीवास्तव भले ही यह कह कर कि पूर्व के मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, विवाद से बचने की कोशिश करें, मगर जनता में पुलिस के प्रति जो विश्वास डगमगाया है, उसे कायम करना उनके लिए बेहद जरूरी होगा। बेशक ये बहुत मुश्किल काम है, मगर श्रीवास्तव को रूटीन के अपराध से निपटने के अलावा कुछ ऐसा कर दिखाना होगा, जिससे यह लगे कि पुलिस फिर से मुस्तैद हो गई है। हालांकि पूरे भ्रष्ट तंत्र के चलते अकेले पुलिस को भ्रष्टाचार से मुक्त करना नितांत असंभव है, मगर श्रीवास्तव को कुछ ऐसा करना होगा, जिससे आम जनता को लगे कि पीडि़त की वाकई सुनवाई होती है और अपराधी पुलिस से खौफ खाने लगे हैं। पदभार संभालने के साथ ही उनका यह कथन कि वे एक कप्तान के रूप में ईमानदारी की मिसाल पेश करेंगे, इसे वास्तव में चरितार्थ करना श्रीवास्तव की अहम जिम्मेदारी होगी।
पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार से हट कर बात करें तो भी नए पुलिस कप्तान श्रीवास्तव के सामने अनेक चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं। सबसे बड़ी जिम्मेदारी है विश्वविख्यात तीर्थ स्थल पुष्कर व दरगाह शरीफ की सुरक्षा की। वो इसलिए क्योंकि आमतौर पर पाया गया है कि दावे भले ही कुछ भी किए जाएं, मगर कई बार ऐसा साफ दिखाई देता है कि इनकी सुरक्षा रामभरोसे ही चलती है। पुलिस ने कई बार बाहर से आने वाले लोगों पर निगरानी के लिए गेस्ट हाउसों में आईडी प्रूफ की अनिवार्यता पर जोर दिया है, मगर आए दिन बिना आईडी प्रूफ के लोगों के ठहरने के एकाधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं। आम लोगों की छोडिय़े, बेंगलुरू सीरियल बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड व इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी उमर फारुख सहित कई अन्य संदिग्धों के बिना पहचान पत्र के ठहरने के सनसनीखेज खुलासे हो चुके हैं। पुलिस के चौकन्ने होने पर तब सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ था, जब मुंबई ब्लास्ट का मास्टर माइंड व देश में आतंकी हमले करने का षड्यंत्र रचने का आरोपी डेविड कॉलमेन हेडली बड़ी चतुराई से पुष्कर में रेकी कर गया, मगर पुलिस को हवा तक नहीं लगी। इसके अतिरिक्त दरगाह में बम विस्फोट भी पुलिस की नाकामी का ज्वलंत नमूना है।
श्रीवास्तव के लिए एक बड़ी चुनौती अजमेर-पुष्कर के मादक पदार्थों का ट्रांजिट सेंटर होना है। हालांकि बरामदगी भी होती रहती है, लेकिन हरियाणा मार्का की शराब का लगातार अजमेर में आना साबित करता है कि कहीं न कहीं मिलीभगत है। जिले में अवैध कच्ची शराब को बनाने और उसकी बिक्री की क्या हालत है और इसमें पुलिस की भी मिलीभगत होने का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब तस्करों को छापों से पूर्व जानकारी देने की शिकायत के आधार पर दो पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर करना पड़ा।
पुलिस की नाकामी के खाते में पिछले कुछ सालों में हुए कई सनसनीखेज हत्याकांड भी शामिल हैं, जिनका आज तक राजफाश नहीं हो पाया है। आशा व सपना हत्याकांड जैसे कुछ कांड तो भूले-बिसरे हो गए हैं, जिन्हें पुलिस ने अपनी अनुसंधान सूची से ही निकाल दिया है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि जेल में बंद होने के बाद भी वे अपनी गेंगें संचालित करते हैं। पूर्व एसपी हरिप्रसाद शर्मा ने तो यह तक स्वीकार किया कि जेल में कैद अनेक अपराधी वहीं से अपनी गेंग का संचालन करते हुए प्रदेशभर में अपराध कारित करवा रहे हैं और इसके लिए बाकायदा जेल से ही मोबाइल का उपयोग करते हैं। न्यायाधीश कमल कुमार बागची ने जेल में व्याप्त अनियमितताओं पर तो टिप्पणी ही कर दी कि अजमेर सेंट्रल जेल का नाम बदल कर केन्द्रीय अपराध षड्यंत्रालय रख दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
पिछले कुछ सालों में चैन स्नेचिंग के मामले तो इस कदर बढ़े हैं, महिलाएं अपने आपको पूरी तरह से असुरक्षित महसूस करने लगी हैं। वाहन चोरी की वारदातें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। रहा सवाल जुए-सट्टे का तो वह पुलिस थानों की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा है। इसी प्रकार नकली पुलिस कर्मी बन कर ठगने के मामले असली पुलिस को चिढ़ा रहे हैं। रहा सवाल चोरियों का तो उसका रिकार्ड रखना ही पुलिस के लिए कठिन हो गया है। अब तो केवल बड़ी-बड़ी चोरियों का जिक्र होता है।
कुल मिला कर नए एसपी गौरव श्रीवास्तव के लिए अनेक चुनौतियां हैं, देखते हैं वे उनसे कैसे पार पाते हैं।
-तेजवानी गिरधर

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