राजस्थान राजस्व मंडल में निबंधक भी बाहर का

Revenue Board 4राजस्व मामलों का सर्वोच्च संस्थान राजस्थान राजस्व मंडल सरकार की अनदेखी का शिकार है। इसमें सदस्यों का अभाव तो रहता ही है, अधिकारियों की स्वीकृत पद भी समय पर नहीं भरे जाते। आलम ये है कि निबंधक जैसा जरूरी पद भी रिक्त पड़ा है, जिसका अतिरिक्त कार्यभार मंडल अध्यक्ष उमराव मल सालोदिया ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी को सौंपा है। कैसी विडंबना है कि निबंधक जैसे अहम पद पर भी स्थाई अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पा रही और अध्यक्ष को काम चलाने के लिए बाहर से अधिकारी को अतिरिक्त काम सौंपना पड़ रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि एक ही अधिकारी दो महत्वपूर्ण पदों का काम एक साथ कैसे निबटा सकता है। असल में राजस्थान राजस्व मंडल पिछले लम्बे समय से राज्य सरकार की अनदेखी का शिकार बना हुआ है। प्रदेश भर के कास्तकारों के मामले निबटाने वाला राजस्व मंडल सदस्यों की कमी को भुगतने पर मजबूर हैं।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान राजस्व मंडल में हर दिन प्रदेशभर के सैंकड़ों कास्तकार न्याय की आशा में आते हैं। न्याय की अवधारणा कहती है की न्याय तभी न्याय है, जब वो समय पर मिले काश्तकार को समय पर न्याय मिले यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है, लेकिन शायद राजस्व मंडल राज्य सरकार की प्राथमिकता में शुमार नहीं। राजस्व मंडल में कहने को तो सदस्यों के 20 पद हैं, मगर कभी इन को पूर्ण रूप से नहीं भरा गया। कहने की जरूरत नहीं कि सदस्य ही विभिन्न मुकदमों को सुनते हैं और फैसले सुनाते हैं। प्रदेश भर के राजस्व मामलों की अपील का निस्तारण भी यहीं किया जाता है। बावजूद इसके हालत ये है कि यहां आईएएस कोटे के 6 पद हैं और सभी रिक्त हैं। अब या तो सरकार को इन पदों पर नियुक्तियों के लिए आईएएस अधिकारी नहीं मिल रहे हैं या फिर आईएएस अधिकारी इन पदों पर लगना नहीं चाहते क्यों कि आईएएस अधिकारियों के लिए सदस्य पद बर्फ में लगाए जाने के समान है। यहां आरएएस कोटे के 6 पद हैं, जिनमें से सरकार ने 5 पद भरे हैं, लेकिन इनमें से भी 3 आरएएस अधिकारी पदोन्नत हो कर आईएएस बने हैं और अब उन्हें इस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। राजस्व मंडल में न्यायिक कोटे का एक पद रिक्त है तो वकील कोटे के दो पद हैं, लेकिन दोनों ही पिछले कई सालों से खाली चल रहे हैं। एक कड़वा सच ये भी है कि कई बार मंडल सदस्य अधिकारी यहां स्थाई रूप से रहने की बजाय सर्किट हाउस में ही ठहरते हैं और हर शनिवार व रविवार उनकी अपने घर जाने की प्रवृत्ति रहती है। इस मामले को राजस्थान राजस्व मंडल बार एसोसिएशन लगातार सरकार के सामने उठाती रही हैं, लेकिन आज तक राज्य सरकार ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई।
राजस्व मंडल की इस बदहाली को प्रदेश भर से आने वाले सैंकड़ों काश्तकार रोजाना भुगतने को मजबूर हैं। मंडल में गिनती के सदस्य सुनवाई का काम कर रहे हैं, उनके बस की बात नहीं कि वे रोजाना सुचिबद्ध होने वाले मुकदमों का निस्तारण कर काश्तकारों को राहत दे पाएं। नतीजतन मुकदमों में फैसले के स्थान पर अगली तारीख दे दी जाती है।
लब्बोलुआब, काश्तकारों की समस्याओं को प्राथमिकता से दूर करने का दम भरने वाली राज्य सरकार का ध्यान कब राजस्थान राजस्व मंडल की और जायेगा, यह देखने वाली बात होगी।
-तेजवानी गिरधर

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