काफी दिनों बाद अजमेर जाना होता है,वह भी कुछ घन्टों के लिये। अब अजमेर एक पार्किंग शहर हो गया है आश्चर्य तब होता है जब स्कूलों के बाहर बच्चों के वाहन खड़े दिखते है ना मॉ-बाप को चिन्ता है ना ही ट्रैफिक पुलिस को। आजकल अदालत के आदेश के बाद कार खरीदते समय हलफनामा देना होता है कि घर में पार्किंग की जगह है लेकिन वाहन सारे घर के बाहर है। हाईकोर्ट के निर्णय पर जोधपुर में लगभग प्रतिदिन अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की मनीटिरिंग हो रही है सफाई पर भी ध्यान दिया जा रहा है निर्धारित सीमा से अधिक वाले ओटोरिक्शा का चालान कर जब्त किया जा रहा है। लेकिन अजमेर मे प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है। राजनीतिक दबाव और दावपेंच जोधपुर और जयपुर से कम ही होगें। लेकिन इच्छा शाक्ति अदिति मेहता, मंजीत सिंह,गौरव गोयल,जैसी होनी चाहिये।
-गोपाल शर्मा,जोधपुर