सवाल तो वाजिब ही उठाया था अनिता भदेल ने

…और धारीवाल से रहा न गया

अजमेर। नगर सुधार न्यास के तत्वावधान में आयोजित हॉकी खेल मैदान व स्टेडियम लोकार्पण समारोह में जिन सवालों को लेकर अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल व राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के बीच टकराव हुआ, वे थे तो वाजिब ही, ये दीगर बात है कि धारीवाल से जवाब देते नहीं बना और उन्होंने पलट कर अपने भाषण में मर्यादा को ताक पर रख कर प्रतिकूल टिप्पणी कर दी।
हुआ दरअसल ये कि कार्यक्रम के दौरान श्रीमती अनिता भदेल ने अपने भाषण में हॉकी एस्ट्रोटर्फ की हकीकत बयां की और यह पूछा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा वर्ष 2010-11 में हॉकी एस्ट्रोटर्फ के निर्माण हेतु 2 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृतियां व उस राशि से किये गये कार्यों को सार्वजनिक किया जाये। जाहिर सी बात है खुशनुमा माहौल में इस प्रकार का घोचा धारीवाल को सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपनी बड़बोलेपन की आदत के मुताबिक प्रतिकूल टिप्पणी कर हिसाब-किताब पूरा करने की कोशिश की। यानि की आग में और घी डालने का काम कर दिया। इस पर अनिता भदेल को भी तरारा आ गया और धारीवाल द्वारा किये गये आचरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए चुनौती दे डाली है कि यदि शांति धारीवाल सही हैं तो साबित करके बतायें कि वर्ष 2010-11 से अब तक अजमेर हॉकी एस्ट्रोटर्फ निर्माण हेतु किन-किन तारीखों को प्रशासनिक व वितीय स्वीकृतियां जारी हुई तथा किन-किन मदों पर खर्च की गयी। एस्ट्रोट्रर्फ निर्माण की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने बताया कि केन्द्र की एनडीए सरकार में खेल मंत्री रहे विक्रम वर्मा द्वारा उपरोक्त कार्य हेतु राशि स्वीकृत की गई थी तथा राज्य सरकार की अनुदान राशि के रूप में 53 लाख रुपये तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा जी द्वारा सन 2008 में दिये गये थे, जिसकी प्रतिलिपियां प्रेस वार्ता के दौरान भी दी गई थीं। वस्तुस्थिति यह है कि चन्द्रवरदाई खेल स्टेडियम भारतीय जनता पार्टी शासनकाल में तत्कालीन न्यास अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत के मस्तिष्क की परिकल्पना थी। उसके पश्चात भा.ज.पा. को जब-जब शासन का अवसर प्राप्त हुआ विकास कार्य कराया। कांग्रेस सरकार ने सिर्फ वाहवाही लूटने का कार्य किया है। इतना ही नहीं कार्यक्रम के दौरान धारीवाल की टिप्पणी के बाद श्रीमती अनिता भदेल और भाजपा जिलाध्यक्ष रासासिंह रावत ने शेष कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया।
इसमें कोई दोराय नहीं कि अनिता भदेल की बातों में दम है। वे बाकायदा तथ्यात्मक आरोप लगा रही हैं। होना यह चाहिए था कि धारीवाल को ठीक ठीक ब्यौरा देना चाहिए था कि किस-किस के शासनकाल में क्या-क्या हुआ। यदि वे ऐसा करते तो उनकी यह सदाशयता एप्रीशिएट की जाती। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। मगर वे तो अनिता के सवाल पर उखड़ गए। ऐसे में भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिल गया।
वैसे एक बात है, हालात ठीक इसके विपरीत होते तो धारीवाल की जगह भाजपा के कोई मंत्री बौखलाते। ऐसा अमूमन होता है। काम किसी पार्टी की सरकार में शुरू होता है और पूरा किसी और पार्टी की सरकार के वक्त। होता ये है कि काम पूरा करने वाली पार्टी के नेता वाहवाही लूटते हैं, तो काम शुरू करने वाली पार्टी वालों को मिर्ची लगती है। ऐसा भी तो हो सकता है कि कोई काम कांग्रेस के राज में शुरू हुआ हो और उसका उद्घाटन भाजपा के राज में। मगर हमारे राजनेता इतने उदार हृदय नहीं हैं कि इसे सहजता से लें। श्रेय लेने की होड़ लगी रहती है। और उसी का परिणाम है कि इस प्रकार टकराव हो जाता है। खासकर जब चुनाव में ज्यादा समय न बचा हो तो राजनीति को गरमाने के लिए ऐसे टकराव जानबूझ कर भी किए जाते हैं।
कुल मिला कर जैसे ही मौका लगा अनिता भदेल ने दाव चल दिया। वैसे इस प्रकार का काम अमूमन अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ज्यादा किया करते हैं। अब चूंकि देवनानी अजमेर से बाहर थे तो अनिता भदेल ने कमी पूरी कर दी।
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “सवाल तो वाजिब ही उठाया था अनिता भदेल ने”

  1. कांग्रेसियों के मुंह से इमानदारी की बातें सुनकर ऐसा लगता है मानों कोई एक फ़ुटिया बौना शिकायत कर रहा है कि उसकी पेंट की जेब मार ली किसी ने ..or kal yahi hua .. pichle 3 salo se ye sirf fita katne ka kaam hi kar rahe hai koi aisi uplbdhi hame to aaj tak nazar nahi aaye jise gina jaaye. or Anitaji bina saboot kai kabhi baat nahi karti hai yadi Dhariwaalji kai paas saboot hote to vo bokhlate nahi sabit karte.. par afsos ki yadi unhone ( congress ) ne koi bhi kaam kiya hota to batate na….

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