प्रशासन की जिद पड़ गई उसके गले, खतरा अब भी टला नहीं है

colectriate 2आनासागर का पानी कुछ खाली न करने की जिद प्रशासन को भारी पड़ गई। सिर्फ दो झमाझम बारिशों ने ही उसे आनन-फानन में आनासागर को खाली करने का निर्णय करना पड़ा, नतीजतन सराधना में भी खेतों में पानी भर गया है और खानपुरा में फसलें डूब गई हैं। प्रशासन को अब उनके रोष का सामना करना पड़ रहा है। ये तो गनीमत रही कि पिछले तीन दिन से बारिश नहीं आई, अन्यथा उसकी जिद उसके गले ही आग गई होती। हालांकि खतरा अब भी टला नहीं है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भारी वर्षा की चेतावनी दे रखी है।
वस्तुत: ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स के दौरान आनासागर का पानी कुछ खाली करके विश्राम स्थली को जायरीन के ठहराने के लायक बनाने की मांग को उसने जिद करके खारिज कर दिया। असल में वह समझ तो रहा था कि इस बार के मानसून में उसे पानी खाली करना पड़ेगा, मगर यह सोच कर कि ऐसा अभी से करने पर विश्राम स्थली का दुरुस्त करना होगा, सो उसने उस वक्त कई छोटे-मोटे कारण गिनाते हुए अडिय़ल रुख अपना लिया। इसमें एक-दो मीडिया संस्थानों ने उसे सहयोग भी किया और ऐसा माहौल बनाया कि विश्राम स्थली का पानी तो कत्तई खाली नहीं किया जा सकेगा। उसकी जिद के आगे मांग करने वाले झुक भी गए। दरअसल मांग थी तो पूरी तरह जायज, मगर जन-दबाव ठीक से बना भी नहीं। खादिमों ने औपचारिकता भर निभाई। कुछ मुस्लिम संगठनों और कुछ कांग्रेसियों ने भी आवाज उठाई, मगर वह नक्कारखाने में तूती के समान थी। रहा सवाल भाजपा को तो उसे तो मानों दरगाह इलाके से कोई लेना-देना ही नहीं है, क्योंकि उसे वहां से वोट मिलेत ही नहीं। बहरहाल, अपने निर्णय को सही ठहराने के लिए प्रशासन ने बाकायदा योजनाबद्ध तरीके से यह साबित करने की कोशिश भी कि उसका निर्णय सही था और उसकी कायड़ विश्राम स्थली पर जायरीन को ठहराने की योजना कामयाब हो गई। मगर एक हफ्ता भी नहीं बीता कि मानसून नजदीक देख कर मीडिया ने आगाह करना शुरू कर दिया कि आज के हालात में चूंकि आनासागर लबालब है, ऐसे में बारिश शुरू होते ही हालात बेकाबू हो जाएंगे तो प्रशासन को सोचने को मजबूर होना पड़ा। उसने सभी संबंधित विभागों की आपात बैठक भी बुलाई, मगर इसी बीच मौसम विभाग ने चेतावनी दी कि अजमेर संभाग में अत्यधिक बारिश होने की संभावना है तो जिला कलेक्टर वैभव गालरिया को बैठक से पहले ही तत्काल निर्णय लेकर आनासागर के चैनल गेट खोलने का निर्णय लेना पड़ा। नतीजा ये हुआ कि आनासागर के पानी से खानपुरा तालाब का जलस्तर बढ़कर साढ़े 4 फीट पर पहुंच गया और 400 बीघा में फसलें चौपट हो गईं। ऐसे में प्रशासन को खोले गए तीन चैनल गेटों को नौ इंच की बजाय तीन इंच करना पड़ा। उधर एक और तेज बारिश आ गई, जिससे पानी की निकासी फिर बराबर हो गई और प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। उसके पास खानपुरा व सराधना के निवासियों के रोष का कोई जवाब नहीं रहा। इधर कुआं उधर खाई की स्थिति हो गई। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि पूर्व का जलस्तर अच्छा होने व इस बार मानसून के जल्दी आने से कुछ दिन पहले ही महंगे बीज खरीदकर बुवाई की थी। पानी आगे कहां तक जाएगा और इसके क्या दुष्परिणाम होंगे, इसको लेकर न तो सिंचाई महकमे के किसी अधिकारी ने ध्यान दिया और न ही जिला कलेक्टर ने। इसका परिणाम ये रहा कि खानपुरा तालाब में पानी का फैलाव भी बढ़ गया। तालाब क्षेत्र में इस समय करेला, भिंडी, ककड़ी, खीरा, ग्वार फली तथा रिजका की फसलों की बुवाई की हुई है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने झील से पानी छोडने के पहले उन्हें किसी प्रकार अवगत नहीं कराया। पानी की निकासी के पहले तालाब में मौजूद तीनों मोरियों की सफाई तक नहीं कराई गई, जिससे उनकी फसलें डूब गई हैं।
अचानक चैनल गेट खोले जाने के बाद एस्केप चैनल का जल स्तर भी बढ़ गया। पानी की निकासी तेज होने पर अलवर गेट, लुहार कॉलोनी, गुर्जर धरती इलाके में पानी निकासी वाले नाले का जलस्तर बढ़ गया। आनासागर एस्केप चैनल का कई इलाकों में जलस्तर जोखिम भरा नजर आया। गेट खुलते ही खुली सफाई की पोल भी खुल गई। कारण साफ है कि मामूली पानी से ही इन इलाकों में एस्केप चैनल का चल स्तर इतना बढ़ जाता है कि इलाकों का पानी वहीं पर जमा होने लग जाता है। मामूली बारिश में इन इलाकों में जल-भराव का यही प्रमुख है। अलवर गेट, लुहार कॉलोनी, गुर्जर धरती इलाके में पानी निकासी वाले नाले का जल स्तर बढऩे से पानी नालियों के जरिए बाहर आने लगता है।
कुल मिला कर प्रशासन को अब समझ में आ गया है कि उसकी आनसागर को कुछ खाली किए जाने की उसकी जिद ही अब उसे भारी पड़ रही है। एक माह पहले यदि कुछ पानी खाली कर लिया जाता तो आपात स्थिति में ये हालात नहीं होते।
इस सिलसिले में खबर भारती न्यूज चैनल पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र जोशी की यह रिपोर्ट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए
http://youtu.be/QCWD9qt8Zd0
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “प्रशासन की जिद पड़ गई उसके गले, खतरा अब भी टला नहीं है”

  1. अच्छा विश्लेषित लेख …. स्थानीय प्रशासन को उचित आयोजना के आधार पर निर्णय कर कार्य करना चाहिये था. अब सरकार को चाहिये कि किसानों को उचित राहत की घोषणा करे.

Comments are closed.

error: Content is protected !!