सुनवाई का अधिकार : सरकार ने सुलभ बना दिया न्याय

प्यारे मोहन त्रिपाठी
प्यारे मोहन त्रिपाठी

-प्यारे मोहन त्रिपाठी-  अजमेर। राजस्थान सरकार ने देश में सबसे पहले सुनवाई का अधिकार अधिनियम एक अगस्त 2012 से लागू कर आमजन की समस्याओं का निदान करने के लिए प्रशासन को जनता का सहभागी बनाते हुए न्याय को सुलभ बना दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जनता की समस्याओं एवं परिवादों के निराकरण के लिए उत्तरदायी, संवेदनशील एवं जवाबदेह सरकार की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए पहले प्रदेश में लोकसेवाओं के प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 14 नवंबर 2011 से लागू कर 18 विभागों की 153 सेवाएं पारदर्शी एवं समयबद्घ रूप से उपलब्ध करवाई और अब इसी क्रम में प्रदेश में सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू कर लोकसुनवाई सहायता केंद्रो की ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापना कर आमजन की सभी समस्याओं की सुनवाई को उनके घर के नजदीक ला दिया है। अजमेर जिले में भी प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए सुनवाई का अधिकार अधिनियम ने लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है।
जन समस्याओं का त्वरित निराकरण :
अजमेर जिले में गरीब, विकलांग, असहाय, वृद्घ, विधवा, वंचित एवं आमजन को सुनवाई के अधिकार अधिनियम से खासी राहत मिली है। जनता प्रत्येक शक्रवार को होने वाली त्रिस्तरीय सुनवाई की व्यवस्था से लाभान्वित हो रही है। जिले में 15 जुलाई 2013 तक विभिन्न लोक सुनवाई सहायता केंद्रो पर सूचना सहित कुल 1499 आवेदन पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 1353 आवेदन का निस्तारण कर दिया गया। शेष आवेदनों का निस्तारण आगामी सुनवाई की तिथि में कर दिया जाएगा। अजमेर कलेक्टे्रट सभागार मे प्रत्येक शक्रवार को दोपहर 12 से 3 बजे के बीच आमजन के परिवादों पर विभिन्न विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में सुनवाई कर पैंशन, मुआवजा, विद्युत कनेक्शन, गैस कनेक्शन हस्तांतरण, लोकसेवक के विरूद्घ शिकायत, आवास एवं जमीनों का नियमन, अतिक्रमण, पट्टे संबंधी मामले, बीपीएल श्रेणी में शामिल करने, समेत विभिन्न जनसमस्याओं की का त्वरित निस्तारण एवं सुनवाई की अग्रिम तारीख देकर आमजन को राहत प्रदान की जा रही है।
लोकसुनवाई सहायता केंद्रों की स्थापना :
जिले में जनता की शिकायत का दक्षता और प्रभावी तरीके से निराकरण करने उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर निर्मित भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र में लोक सुनवाई सहायता केंद्र स्थापित कर एक काउंटर स्थापित किया गया है। आमजन को यहां किसी भी प्रकार के परिवाद /शिकायत/आवेदन पत्र प्राप्त करने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। लोकसुनवाई सहायता केंद्र पर प्रत्येक राजकीय दिवस में प्रात: 10 से 12 बजे तक परिवाद प्राप्त किए जा रहे है। कोई भी नागरिक निर्धारित प्रारूप अथवा सादे कागज पर परिवाद को प्रस्तुत कर सकता है। अजमेर जिले की अरांई, सिलोरा, पीसांगन, श्रीनगर, केकडी, जवाजा, मसूदा एवं भिनाय पंचायत समितियों की 276 ग्राम पंचायतों में सभी पर लोक सुनवाई सहायता केंद्रो को प्रारंभ किया जा चुका है। इसके साथ ही योजना की सूचनाओं को दीवारों पर 187 गावों में प्रदर्शित किया जा चुका है, शेष ग्राम पंचायतों में दीवारों पर सूचनाओं को प्रदर्शित करने के लिए वॉल पेंटिंग का कार्य प्रगति पर है।
परिवाद का पंजीकरण :
लोकसुनवाई सहायता केंद्र पर परिवाद की प्राप्ति के बाद शिकायतकर्ता को एक यूनिक रजिस्टे्रशन संख्या अंकित कर निर्धारित प्रारूप में रसीद दी जाती है, जिसमें परिवाद को सुनने वाले अधिकारी का पदनाम एवं स्थान अंकित होता है। रसीद तीन प्रतियों में होगी जिसमें से लाल रंग की प्रति परिवादी के लिए, पीले रंग की प्रति संबंधित विभाग के लिए एवं सफेद प्रति लोक सुनवाई सहायता केंद्र के लिए होती है। इस प्रकार आमजन से प्राप्त परिवादो को आगामी कार्यदिवस पर संबंधित लोकसुनवाई अधिकारी को अन्तरित अथवा स्थानान्तरित कर दिया जाता है।
सुनवाई की त्रिस्तरीय व्यवस्था :
सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012 मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा प्रदेश की जनता को दी गई महत्वपूर्ण सौगात है। अब आमजन को अपनी शिकायत या परिवाद को लेकर विभिन्न एवं दूरस्थ स्थित विभागों के चक्कर लगाने से निजात मिल गई है। आमजन के परिवादों को निस्तारण उनके निवास के समीप करने के लिए प्रत्येक शक्रवार को दोपहर 12 से 3 बजे तक ग्राम पंचायत स्तर, उपखंड/तहसील स्तर एवं जिला स्तर पर त्रिस्तरीय व्यवस्था के तहत जनसुनवाई की जा रही है। ग्राम पंचायत स्तर की सुनवाई के लिए ग्राम सचिव, उपखंड/तहसील स्तर के लिए उपखंड अधिकारी एवं जिला स्तर पर जिला कलक्टर को नॉडल ऑफिसर बनाया गया है। इन सुनवाईयों के लिए बाकायदा एक पंजिका संधारित की जा रही है, जिसमें सुनवाई का संक्षिप्त विवरण, कौन-कौन कार्मिक/ लोक सुनवाई अधिकारी उपस्थित हुए, कितने मामले सुने गए एवं कौन संबंधित कार्मिक उपस्थित नही हुए का ब्यौरा लिखा जा रहा है।
सुनवाई से जनता को राहत :
आमजन की विभिन्न समस्याओं की पंचायत स्तर, उपखंड स्तर एवं जिला स्तर पर सुनवाई की व्यवस्था ने लोगों के परिवादों को उनके घर के नजदीक ही सुनकर उनके समाधान की व्यवस्था से जनता में सरकार एवं प्रशासन के प्रति आदर एवं विश्वास का भाव जागृत हुआ है। सुनवाई के अधिकार के तहत यदि द्वितीय अपील अधिकारी की राय के अनुसार लोकसुनवाई अधिकारी बिना किसी पर्याप्त और युक्तियुक्त कारण से नियत समय-सीमा के भीतर सुनवाई का अवसर प्रदान करने में असफल रहता है तो उस पर पांच सौ रूपए से लेकर पांच हजार रूपए तक की पेनल्टी भी लगाए जाने का प्रावधान है, जिसे लोक सुनवाई अधिकारी के वेतन से वसूला जा सकेगा। राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012 से मिल रही राहत से अब जनता इस बात को मान रही है कि राजस्थान सरकार आमजन की सरकार है, और सरकार ने पारदर्शिता, संवेदनशीलता एवं जिम्मेदारी के वादे को सौ फीसदी निभाया है।
लेखक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सहायक निदेशक हैं

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