शिक्षक बनने के सपने में भ्रष्टाचार बन रहा ‘रोड़ा’

-पुरुषोत्तम जोशी- सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार की ओर से जोधपुर नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के माध्यम से संचालित किया जा रहा बीएड प्रशिक्षण कार्यक्रम में काफी लम्बे समय से लगातार अनियमितताओं की शिकायतें मिलती रही है लेकिन इस ओर प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से कोई कारगर उपाय नहीं किए गए, हाल ही में कुछ महीनों पूर्व बीएड प्रशिक्षण का नया सत्र शुरू किया गया है,सत्र के शुरूआती के बाद हमने जाने राजधानी में कॉलेजों के हाल,,पेश है एक रिपोर्ट :-

पुरूषोत्तम जोशी
पुरूषोत्तम जोशी

बात करते है प्रदेश में बीएड प्रशिक्षण कार्यक्रम की,शिक्षा और शिक्षक के स्तर को उच्च स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से शुरू किया बीएड प्रशिक्षण और उसके सुलभ संचालन के लिए पंजीकृत किए गए सैकड़ों निजी कॉलेजों ने सरकारी अनुबंध में तो बड़े-बड़े दावे और वादे किए लेकिन चंद सालों बाद ही शुरू हो गया घालमेल का सिलसिला और परवान चढ़ गया मिलिभगत का धंधा,,शुरूआत से ही शुरू हुई शिकायतों की संख्या में हर वर्ष इजाफा होता रहा,,कभी निरीक्षण टीम ने विभाग को शिकायतें की तो कभी विद्यार्थियों ने लेकिन लगातार विभाग ने ठोस कार्यवाही के नाम पर बस नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली,,विभाग और सरकार की अनदेख से शिकायतों में लगातार इजाफा होता आ रहा है अब तो इन शिकायतों से परिजन भी अब परेशान होते दिख रहे है,,जिसके चलते छात्राओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है,,लेकिन प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी और सरकारी योजनाओं में नित नए पाठ¬क्रमों की अनिवार्यता ने छात्र-छात्राओं को संकट में डाल दिया,,,बीएड में प्रवेश पाकर शिक्षक बनने का सपना संजोये लाखों छात्र-छात्राओं को लगता है अब मजबूरी बन गई समस्या से दो चार होना,,,जी हां अब बताते है आपकों जयपुर जिले के बीएड कॉलेजों के हाल,,शुरू करते है सांगानेर के रघुनाथपुरा तातेरवाल में चल रहे महिला बीएड कॉलेज से जहां छात्राओं को पहुंचने के लिए करीब 10 किमी का सफर तय कर पहुंचना पड़ रहा है जहां से करीब 2 बार बसें भी बदलनी पड़ती है फिर भी मुख्य मार्ग से करीब 2 किमी तक छात्राओं को पैदल सफर करना पड़ता है फिर यहां की कॉलेज और हॉस्टल के हालात जहां छात्राओं को खुद ही खाना बनाना है,खाने के लिए राशन की व्यवस्था भी स्वयं करनी है बस कॉलेज तो मात्र उपलब्ध करवा रहा है भवन वह भी मोटी राशि अदा करने पर,,यहां आसपास ना तो कोई बड़ा बाजार है ना ही कोई सब्जी मंडी,,,छात्राओं को खरीददारी के लिए जाना पड़ता है सांगानेर के मुख्य बाजारों में,,फिर चाहे प्रतिदिन की सब्जी खरीदनी हो या कॉलेज की जरूरती स्टेशनरी का सामान,,,छात्राओं को 10 किमी दूर सांगानेर आकर करनी पड़ती खरीददारी,,,जानकार सूत्रों की माने तो सत्र शुरू होने के बाद कई छात्राएं तो कॉलेज आवंटन के बाद दस्तावेज जमा करा कर घर गई और फिर लौटी ही नहीं,,अव्यवस्थाओं से परेशान क ई छात्राओं ने तो कॉलेज प्रशासन को डॉनेशन देना बेहतर समझा और घर पर ही नॉट्स की मदद से अध्ययन में जुट गई है,,हालांकि कुछ छात्राओं ने अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायतें भी की लेकिन कोई कार्यवाही ना होती देख घर पर ही तैयारी करना उचित समझा,,,और कई छात्राओं ने तो शहर में किराये पर कमरा ले कुछ कोचिंग क्लासेज पर अध्ययन करने की भी जानकारी है इस मामले में निष्पक्ष जांच की दरकार है जो कई सालों से भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट चढ़ी हुई जिसकी अब एक आस सत्ता परिवर्तन होने से बंधी है।

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