अब सामने आएगा 25 प्रतिशत का कमाल

मोहन थानवी
मोहन थानवी

हमारे राजस्थान में विधानसभा चुनावों के तहत एक दिसंबर 13 को हुए मतदान के बाद अब आठ दिसंबर 13 को मतगणना होगी। मतगणना में ‘‘25 प्रतिशत का कमाल’’ सामने आकर कौतूहल पैदा कर सकता है। मजे की बात ये है कि कतिपय तैयारियों के मद्देनजर तकरीबन इतना ही प्रतिशत विधायक रहे प्रत्याशियों के फिर से जीत कर आने का सामने आ रहा है। ध्यान दीजिए ऐसी सूचनाओं की ओर, जिनमें यह बताया जा रहा है कि 60 के करीब विधायक निवास को छोड़ कर बाकी को नए आगंतुकों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य तैयारियांे में लालबत्ती वाले वाहनों को सजाना संवारना भी शामिल है। बहरहाल, मतगणना में 25 प्रतिशत के जादुई आंकड़े की सोच के पीछे आधार हैं, मतदान दिवस पर समय के अंतराल से हुए मतदान के प्रतिशत में सामने आए आंकड़े। एक दिसंबर को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक प्रदेश में मतदान का अनुमानित प्रतिशत तकरीबन 49-50 प्रतिशत रहा था। शाम तक कुल 74-75 प्रतिशत मतदान हुआ माना जाए तो मोटामोट हिसाब दो बजे से मतदान समाप्ति तक कुल करीब 25 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान दिवस तक मतदाताओं के रुझान को देखते हुए किसी ने किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में किसी लहर के बारे में दावा भी नहीं किया। सर्वाधिक मतदान भी हो गया। तीसरे मोर्चे का कहीं जिक्र नहीं। कांग्रेस और बीजेपी के सीधे मुकाबले में कुछ एक सीटों पर जरूर त्रिकोणीय मुकाबले के समाचार आते रहे। अब, जबकि मतगणना के बाद परिणाम सामने आने में महज कुछ ही घंटों का समय शेष है, तब, मतदान के इस 25 प्रतिशत आंकड़े को भी विश्लेषण में प्रमुख स्थान पर रख कर देखें तो यही वह आंकड़ा होगा जो 50 प्रतिशत मतदान के रुझान को अपने 12.5 – 12.5 प्रतिशत के साथ जादुई तरीके से प्रभावित कर सकता है। इस जादुई तिलिस्म को हल करने के लिए मतदान के आंकड़ांे और समय पर एक नजर डालें – उस वर्ग को ध्यान में रखें जो मतदान के प्रति उदासीन हो या कारणवश दो बजे तक भी मतदान नहीं कर पाया हो। ज्यों ज्यों मतदान का निर्धारित समय समाप्ति की ओर बढ़ता है, अपने प्रत्याशी, अपनी पार्टी के लिए कार्यकर्ता ऐसे मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के प्रयास तीव्र से तीव्र करते जाते हैं और चार बजे के बाद तो मतदान के आरंभिक समय की तरह ही रैले के रैले मतदान केंद्र पर पहुंचते हैं। प्रायः यह रैले एक तरफा मतदान करने वाले मतदाताओं के माने जाते हैं। अब विचार कीजिए, पहले हुए अनुमानित और तकरीबन 50 प्रतिशत मतदान में किसी एक पार्टी को 28-30 प्रतिशत और किसी दूसरी पार्टी को 20-22 प्रतिशत मत मिलने के कयास हों तो फासला 8-10 प्रतिशत बनता है। अब शेष अनुमानित और तकरीबन 25 प्रतिशत के जादुई आंकड़े को ध्यान में रखिए, ये बिंदू भी केंद्र में रखते हुए कि इस प्रतिशत में दोनों पार्टी के बीच पक्ष-विपक्ष में मतदान का फासला बहुत ज्यादा हो सकता है। किसी पार्टी के लिए 5-10 प्रतिशत और दूसरी पार्टी के लिए 15-20 प्रतिशत तक का फासला। यही वह जादूई 25 प्रतिशत है जो परिणाम को प्रभावित करता हुआ कमाल दिखा सकता है। मोटामोट यूं कह सकते हैं कि जो पार्टी पहले दौर में 60-80 सीटों की आशा रख रही हो वह इस जादूई आंकड़े के पक्ष में होने से 100 को पार भी कर सकती है और 50 से नीचे भी जा सकती है। यह तो भविष्य बताएगा कि कौनसी पार्टी 100 को पार कर तीन अंकों के साथ सत्ता में आ रही है… मगर बिना लहर के ऐसा भी हो सकता है कि 25 प्रतिशत के साथ के कारण दोनों प्रमुख पार्टियां 80-90 के तिलिस्मी अंकों पर पहुंच कर निर्दलीय और अन्य सहयोगी पार्टी के विजयी प्रत्याशियों के सहयोग से अपना अलग ही जनमत दर्शाएं। इस बार इसीकी संभावना प्रबल लगती है।

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