केजरीवाल का एक वादा पूरा, मगर अधूरा

arvind_kejriwalआप का पहला वादा पूरा हुआ। दिल्ली में प्रति परिवार सात सौ लीटर मुफ्त पानी देने के अपने वादे को पूरा करते हुए सरकार बनाने के तीसरे दिन आज पहले अरविन्द केजरीवाल की ओर से यह घोषणा की गई कि आनेवाले तीन महीने तक आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली वालों को हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देगी। फिर बाद में दिल्ली जल बोर्ड के नवनियुक्त सीईओ विजय कुमार ने बताया कि दिल्ली में यह 1 जनवरी से होने जा रहा है।

शनिवार को अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और शनिवार को ही विजय कुमार दिल्ली जल बोर्ड के नये सीईओ नियुक्त किये गये थे। आज अरविन्द केजरीवाल के घर पर हुई एक आपात बैठक के बाद यह घोषणा की गई है। विजय कुमार के अनुसार “जिन घरेलू उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगा है, उन्हें हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त मिलेगा। इसमें कोई अन्य कर भी शामिल नहीं होगा। इसके बाद पानी का उपयोग करने पर पूरी कीमत और कर वसूल की जाएगी।” दिल्ली में पानी के अलावा वाटर सेस और सीवेज चार्ज लगाया जाता है। लेकिन बीस हजार लीटर तक अब सारा कुछ मुफ्त कर दिया गया है। मुफ्त पानी की यह सेवा 31 मार्च 2013 तक जारी रहेगी।

अरविन्द केजरीवाल के इस ऐलान का सब तरफ स्वागत हो रहा है। होना भी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि दिल्लीवालों को मुफ्त पानी पिलाने के इस ऐलान के लिए मुफ्त पानी कहां से आयेगा? फिर यह मुफ्त पानी उन्हें दिया जाएगा जिनके घरों में मीटर लगे हैं। उन बस्तियों के बारे में क्या जहां अभी भी पानी मुफ्त मिलता नहीं बल्कि छीन लिया जाता है?

दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार ही इस वक्त दिल्ली में रोजाना 855 एमजीडी (मिलियन गैलन) पानी की जरूरत होती है। दिल्ली जल बोर्ड दिल्लीवालों के लिए पानी की यह आपूर्ति गंगा, यमुना, भाखड़ा बांध और भूजल मिलाकर पूरा करता है। दिल्ली को यमुना से 310 एमजीडी, गंगा से 240 एमजीडी, भाखड़ा बांध से 140 एमजीडी तथा भूजल से 115 एमजीडी पानी प्राप्त होता है। दिल्ली की आबादी को देखते हुए खुद दिल्ली जल बोर्ड का मानना है कि सबको पर्पाप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली जलबोर्ड के पास 165 एमजीडी पानी की कमी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर दिल्ली जल बोर्ड प्रति परिवार 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देता है तो खुद पानी कहां से लायेगा?

दिल्ली जल बोर्ड पानी की अपनी कमी दूर करने के लिए हिमाचल प्रदेश में रेणुका बांध के बनने का इंतजार कर रहा है जो कि 2021 तक पूरा होगा। इस बांध के लिए दिल्ली सरकार पहले ही 225 करोड़ रूपये दे चुकी है। इसके साथ ही 10 एमजीडी पानी की आपूर्ति वह दिल्ली में यमुना के पेट में ट्यूबवेल लगाकर निकाल लेगा। लेकिन इस योजना पर भी दिल्ली जल बोर्ड ने कितना काम किया, इसकी आधिकारिक घोषणा अभी तक तो नहीं की गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि बढ़ा हुआ पानी दिल्ली जलबोर्ड लाएगा कहां से? क्या दिल्ली में वितरण ठीक करके इस पानी की कमी को पूरा किया जाएगा या फिर कहानी कुछ सोचकर रखी गई है?

दिल्ली सरकार के इस निर्णय पर यह सवाल इसलिए भी उठता है कि इसे स्थाई व्यवस्था नहीं बल्कि तात्कालिक व्यवस्था बनाया गया है। आनेवाले तीन महीने के दौरान क्या दिल्ली जलबोर्ड कोई ऐसा खाका खीचने जा रहा है कि मुफ्त पानी का यह वादा हमेशा के लिए निभाया जा सकेगा? दिल्ली जलबोर्ड के पहले ही अपने कुल पानी का 54 फीसदी मुफ्त वितरण करता है। दिल्ली जलबोर्ड की ही एक रिपोर्ट ‘एन एप्रोच टू ट्वेल्थ फाइव इयर प्लान (2012 से 2017)’ बताती है कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जानेवाला 54 फीसदी पानी पैसा कमाकर वापस नहीं लौटता। फिर भी, दिल्ली जलबोर्ड मानता है कि पानी जैसी चीज को सीमित नहीं किया जा सकता। पैसा मिले न मिले पानी की सप्लाई को रोका नहीं जा सकता। जाहिर है यह पानी ज्यादातर गैर मीटर वाले घरों या कालोनियों में पहुंच रहा है।

अगर दिल्ली जलबोर्ड अपने पानी का 54 फीसदी पहले ही मुफ्त बांट रहा है तो उसने नयी स्कीम क्या जारी किया? फिर सवाल यह है कि मुफ्त पानी की स्कीम मीटरवाले घरों के लिए लागू की गई है। तो क्या अब मुफ्त पानी जो गैर मीटरवाले घरों को नसीब होता था वही मीटरवाले घरों को नसीब होने लगेगा? बहरहाल अभी जो घोषणा हुई है, वह बहुत ठोस नहीं बल्कि प्रायोगिक तौर पर ही की गई है। आनेवाले समय में पता चलेगा कि मुफ्त पानी का यह फलसफा कितना लंबा चलेगा।

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