राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा के अधूरा अभिभाषण पढने पर भाजपा विधायकों में ही सत्ता और संगठन के बीच की गहरी खांई नजर आई। विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली भारी सफलता के बाद ऐसा लग रहा था, कि भाजपा सत्ता संगठन की दृष्टि से एकजूट है। लेकिन जैसे ही राज्यपाल को अभिभाषण बगैर पढे उसे पढा हुआ मान लेने की स्वीकृति दी गई। तो भाजपा के विधायक राव राजेन्द्र सिंह ने सदन में कहा कि यह विधायकों को अधिकार है। राज्यपाल किसी भी मान्यता प्राप्त भाषा में अभिभाषण पढ सकता है। इस विषय पर सत्ता पक्ष के विधायक एक दुसरे की टांग खिंचते नजर आए। राव ने इसे एक व्यक्ति के विशेष के कहने पर पढ़ा हुआ मानने पर इसे विधायकों के अधिकारों का हनन बताया। इस पर पंचायत राजमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राव को इस तरह का आरोप लगाने की आवश्यकता नहीं थी। क्योेंकि राज्यपाल ने जब भाषण पढा ही हिन्दी में था , तो आपत्ति वाली बात ही नहीं रह जाती। वहीं, कांग्रेस के प्रघुम्न सिंह ने कहा कि सदन तय करे कि भविष्य में राज्यपाल पूरा अभिभाषण पढ़े। इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाए। राजपा विधायक किरोडी लाल मीणा ने राजेन्द्र राठौड पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सिर्फ एक विधायक के कहने पर हुआ है जो सरासर गलत है। इस पर सुरेन्द्र गोयल राजेन्द्र राठौड के पक्ष में कूद पडे। उन्होने कहा कि राठौड ने संसदीय परम्पराओं का निर्वहन किया है। इस पर निर्दलीय विधायक हनुमान बेनिवाल बोले कि ये विधायकों के अधिकारों का हनन है। वहीं राजेन्द्र सिंह राठौड ने कहा कि सदन में इससे पूर्व भी कई बार ऐसा हुआ है। जब राज्यपाल के अभिभाषण को पढा हुआ मान लिया जाता है। जो भी सदन में आज सत्ता पक्ष के विधायकों का राज्यपाल के अभिभाषण पर उलझना शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि इससे साफ है कि भाजपा में सत्ता और संगठन के बीच कहीं न कहीं अविश्वास पल रहा है। जिसका असर लोकसभा चुनावों में नजर आ सकता है। दरअसल राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा हिन्दी में अभिभाषण के दौरान असहज नजर आई तो चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड ने राज्यपाल को इसे पढ़ा हुआ माननें की बात कही थी। http://news4rajasthan.com