क्या आरटीआई आवेदक उपभोक्ता है?

नेशनल कमीषन ने केस शीर्ष उपभोक्ता अदालत के फुल बैंक को रैफर किया गया
28_06_2013-28Allparties1देष में इस मुद्दे पर बहस छिड गई है कि क्या सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत किये गये आवेदन में आवेदक उपभोक्ता है? इस विषय पर देष की शीर्ष उपभोक्ता अदालत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली में लम्बित एक पुनरीक्षण याचिका संख्या आरपी/3146/2012 को आयोग के जस्टिस के.एस.चौधरी एवं बी.सी.गुप्ता की बैंच ने 18 फरवरी को इस मामले को कमीषन के फुल बैंच को रेफर कर दिया है। इस मसले पर कमीषन में 8 जनवरी को अन्तिम बहस हुई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
जहां आरटीआई एक्टिविस्ट का मानना है कि सूचना के अधिकार के तहत किये गये आवेदन के साथ फीस का भुगतान एवं सूचना की लागत के बाद वो उपभोक्ता कानून के तहत एक उपभोक्ता है, वहीं लोक प्राधिकारी इसे उपभोक्ता नहीं मानते।
खुद शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने जहां 28 मई 2009 को पुनरीक्षण याचिका संख्या 1975 एस.पी.थिरूमला राव बना म्युनिसिपल कमिष्नर मैसूर में यह फैसला दिया कि – सूचना के अधिकार के तहत किये गये आवेदक का आवेदक एक उपभोक्ता है वहीं 31 मार्च 2011 को एक अन्य पुनरीक्षण याचिका संख्या 4060 टी.पुण्डालिका बनाम रेवेन्यु डिपार्टमेंट, कनार्टक सरकार में फैसला दिया गया कि – सूचना अधिकार आवेदक उपभोक्ता नहीं है। उपरोक्त विरोधाभासी फैसले के कारण जहां निचली फोरम एवं कमीषन में एकरूपता समाप्त हो गई है वहीं सभी में असमंजस की स्थिति है कि कानून की सही स्थिति क्या है? उपरोक्त विरोधाभासी फैसले को ध्यान में रखते हुये एवं इस असमंजस की स्थिति को दूर करने के उद्देष्य से नेषनल कमीषन की डबल बैंच ने पुनरीक्षण याचिका संख्या आरपी/3146/2012 को दिनांक 18 फरवरी 2014 को फुल बैंच या लार्जर बैंच को निपटारे के लिये भेजा गया है।
ऽ निर्णय अनुकूल है। आरटीआई कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि फैसला उनके पक्ष में आयेगा।
तरूण अग्रवाल
आरटीआई जन चेतना मंच, 332/31, पटेल नगर, तोपदडा, अजमेर। 9214960776

error: Content is protected !!