मोदी जी जादूगर नहीं तो चुनाव से पहले जादूगरी क्यों की थी?

Narendra modi 01रेल किराये व मालभाड़े में बढ़ोत्तरी के साथ ही देशभर में यह बहस चालू हो गई है कि क्या ऐसे ही अच्छे दिनों के लिए मोदी सरकार को चुना था। एक ओर जहां विरोधी तरह-तरह के ताने दे रहे हैं तो भाजपा मानसिकता के लोग मोदी जी का बचाव करने में लगे हुए हैं। विरोधी आक्रामक मुद्रा में हैं तो भाजपाई रक्षात्मक मुद्रा में। सोशल मीडिया पर कुछ ज्यादा की गरमागरम बहस चल रही है। पेश हैं वाट्स एप पर आई प्रतिक्रियाएं:-
एक सज्जन ने लिखा है कि फिल्म दीवार में जब छोटे बच्चे विजय (अमिताभ बच्चन ) के हाथ पर ये लिख दिया जाता है कि मेरा बाप चोर है तो उसका परिणाम ये होता है की वो बच्चा जुर्म की दुनिया में जाकर सभी माफिया/ स्मगलर का बाप बन के बदला लेता है। इसी तरह आज से 55 साल पहले गुजरात के वडऩगर रेलवे स्टेशन पर एक गरीब चायवाला चाय बेचा करता था। उस गरीब चाय वाले को कुछ यात्रियों ने चाय के पैसे नहीं दिए। उस मासूम के मन में ये बात ऐसी बैठ गयी की उसने बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री बनने की ठान ली और ये कसम खाई की एक दिन वो प्रधानमंत्री बन कर रेलवे इतिहास का सबसे ज्यादा किराया बढ़ा कर उन यात्रियों से बदला लेगा, जिन्होंने उसे चाय के पैसे नहीं दिए थे और ये उसने सच कर दिखाया। बढ़ोत्तरी वाला दिन भारतीय रेल इतिहास में उस गरीब चाय वाले के बदले के रूप में याद किया जाएगा।
एक मजाकिया ने ये प्रतिक्रिया दी है:-पूरे भारत में रेलवे किराया वृद्धि का विरोध हो रहा है, लेकिन अजमेर वाले खुश हैं, पहले जयपुर जाते थे बिना टिकेट के तो तीस रुपये बचते थे और अब चालिस बचेंगे। आग लगे बस्ती में अजमेर वाले मस्ती में। यही प्रतिक्रिया लोगों ने अपने-अपने शहर का नाम दे कर पोस्ट करना शुरू कर दी है।
अजमेर की भाजपा नेत्री लिखती हैं कि मोदीजी का पचीस दिन पूरा हुआ है ओर लोग अच्छे दिन के ताने मारने लगे (1) जवाहरलाल नेहरू 16 साल और 286 दिन (2) इंदिरा गांधी 15 साल और 91 दिन (3)राजीव गांधी 5 साल और 32 दिन (4) मनमोहन सिंह ने 10 साल 4 दिन, इसका मतलब कुल मिला कर 47 साल 48 दिन, इसमें से अच्छे दिन ढूंढ़ नहीं सकते और पच्चीस दिन में अच्छे दिन चाहिए। इतनी मिर्ची क्यों लगी? भाई अगर फल खाना है तो पेड़ को बड़ा होने दो दोस्तों।
अजमेर के ही डी वी एस राठौड़ का कहना है कि मोदी सरकार में अभी तक कोई विकास नहीं हुआ का रोना रोने वाले उस सास की तरह हैं, जो सुहागरात के अगले दिन ही बहु से पोते की फरमाइश कर देती है।
इसी प्रकार एक सज्जन ने किराया बढ़ाने को जस्टीफाई करने के लिए लिखा है कि मोदी सरकार की रेल्वे को अत्याधुनिक बनाने की पहल है, ये मानो वे रेल मंत्री हों:-
कोई व्यक्ति यदि बांद्रा मुंबई से फालना की टिकिट निकालता है तो 330 रुपया होता हैं, यदि 14.5 प्रतिशत रेल किराया बढ़ता है, तो नया रेल किराया 375 होगा, मतलब 45 रुपया आपको एक्स्ट्रा चुकाने होंगे.
लेकिन ख्याल करो रेलवे प्लेटफोर्म पर पहुंचते ही आपको एयरपोर्ट जैसी सुविधा मिलनी शुरू हो जाए. आप ऐसी ट्रेन में सफर कर रहे होंगे जो एक दम साफ सुथरी हो. सफर के साथ आप इन्टरनेट का आन्नद ले सकोगे. आपके सीट पर ही मैगजीन-न्यूज पेपर मिलेगा, ताकि आपका सफर और आरामदायक हो. आपकी सुरक्षा के लिए बोगी में हरदम सुरक्षा गार्ड तैनात होगा. हर बोगी में सीसीटीवी लगे होंगे, आपका सामान कोई चोरी न कर पायेगा. टिकिट के लिए 100 करोड़ के खर्च से एक ऐसा सोफ्टवेयर तैयार हो रहा है, जिसमें आईआरसीटीसी सहित अन्य इन्टरनेट उपभोक्ताओं को इससे आपको शामिल किया जाएगा ताकि आप अपने मोबाइल से झट से टिकिट निकाल सको. आपके सिर्फ 45 रुपया देने से लाखों लोगों के लिए रोजगार पैदा होगा. क्या भारत निर्माण के लिए हम मोदीजी का इतना भी साथ नहीं दे सकते और सबसे बड़ी बात इस बार रेलवे मामा पवन बंसल के पास नहीं मोदी जी के सदानंदजी के पास हैं, जनता अच्छी तरह जानती है कि घोटाले नहीं होंगे. और जो होगा देश हित में होगा.
एक सज्जन ने लिखा है कि रेल यात्रा 220 में तकलीफदेह और स्टेशन से घर तक ऑटो किराया 200 देकर भी खुश, वाह मेरे देश की पब्लिक। सरकारी सुविधा की कीमत बढऩे में दुखी प्राइवेट आदमी की लूट पर चुप। मैं मानसिक रूप से तैयार हूं आने वाले दो वर्षों तक बढऩे वाली महंगाई का सामना करने के लिये.
देश का खजाना खाली है – मैं ये जानता हूं
खजाना खाली क्यों है – मैं ये भी जानता हूं.
खजाना कहां गया – ये भी जानता हूं.
पुराना ठेठ देसी फेसबुकिया हूं, कोई कूल-डूड नहीं जो देश की आर्थिक स्थिति से अनभिज्ञ रहूं. मैं फीफा वल्र्ड कप से अधिक निगाह इराक पर बनाए बैठा हूं. इराक संकट से देश में और महंगाई आयेगी, मैं इसके लिये भी मानसिक रूप से तैयार हूं. जो यह पोस्ट कर रहे हैं कि क्या फर्क रह गया पिछली यूपीए सरकार में और आज की मोदी सरकार में, उन्हें अपनी आंखें खोलनी चाहिये. फर्क है. फर्क है नीयत का. जब न चाहते हुए 10 सालों तक चोरों और लुटेरों की मदद कर सकता हूं तो इस बार तो देश की तिजोरी में दे रहा हूं. मुझे इतना विश्वास है कि बढ़ी महंगायी की एक-एक पाई सरकारी खजाने में जायेगी, न कि स्विस बंकों में. वैसे ये 100 प्रतिशत मेरे निजी विचार हैं. यदि आप भी यही विचार रखते हैं तो स्वागत है.
एक सज्जन ने लिखा है कि प्लेटफार्म नंबर एक पर आने वाली अच्छे दिन एक्सप्रेस, जो काला धन, सस्ती सब्जियां, सस्ते खाने पीने का सामान, पाकिस्तानी सेना के शव, चाइना से जमीन, एक रुपया एक डॉलर, भय-भूख-भ्रष्टाचार-अपराध-बलात्कार मुक्त भारत, पानी, बिजली, मकान, रोजगार, लेकर 100 दिनों में पहुंचने वाली थी, अब नहीं आएगी। अब इस ट्रेन का मार्ग कड़वे फैसले स्टेशन की ओर मोड़ दिया गया है। इस ट्रेन की खबर अब आपको 2019 में दी जायेगी। तब तक कृपया नमो नमो जाप जारी रखें। यात्रियों को होने वाली असुविधा के लिए हमें कोई खेद नहीं है। जो उखाडऩा हो, उखाड़ लो…
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रताप यादव का कहना है कि भाजपा वालों का यह कहना ठीक नहीं कि मोदी जी जादूगर नहीं हैं, भाई अगर मोदी जी जादूगर नहीं तो चुनावों से पहले ऐसा वातावरण किसने बनाया था। मोदी जी को झूठ बोल कर जनता की भावनाओं से खेलने का अधिकार किसने दिया। दूसरा झांसा भरे खजाने को खाली बता रहे हैं। मोदी जी आशा जगाई हैं तो निभावें भी, कड़वी दवा पिलाने कि बात तो ना करें।

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