नार्को टेस्ट होना चाहिए गिरिराज सिंह का

Giriraj-Singh-भूपेन्द्र सिंह रावत- लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी के विरोधियों और भाजपा को वोट न देने वालों को पाकिस्तान भेजने की धमकी भरे भड़काऊ भाषण के कारण चर्चा में रहने वाले भाजपा नेता गिरिराज सिंह सांसद बनने के बाद एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार वे चर्चा में अपने भाषणों के कारण नहीं बल्कि उनके पटना स्थित फ्लैट में चोरी की घटना के बाद चोरों से बरामद उनके द्वारा दर्ज कराई गई 50 हजार रूपये की संपत्ति चोरी की शिकायत से चार सौ गुना अधिक (दो करोड़) की संपत्ति बरामद होने के कारण कारण चर्चा में है।

भड़काऊ भाषण देने के कारण लोकसभा चुनाव के दौरान न केवल गिरिराज सिंह के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, बल्कि चुनाव आयोग ने उनकी सभाओं पर प्रतिबंध भी लगा दिया था, बावजूद इसके वे मोदी के नारे ( ‘‘अच्छे दिन आने वाले हैं’’ ) के बूते नवादा से सांसद बनने में सफल रहे।

सांसद बनने के बाद उनके पटना स्थित फ्लैट में चोरी की घटना के बाद वह 50 हजार की संपत्ति चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए सोमवार को दिन दहाड़े अपने फ्लैट में चोरी की घटना के बाद पटना में कानून व्यवस्था पर प्रश्न खड़े कर देते हैं, लेकिन पटना पुलिस अगले दिन गिरिराज सिंह के फ्लैट में चोरी करने वालों से एक करोड़ 14 लाख, पांच हजार, नौ सौ नकद रकम के साथ 600 अमेरिकी डालर, जेवरात समेत सात कीमती घडि़यों सहित कुल दो करोड़ की संपत्ति बरामद कर दो चोरों को गिरफ्तार करती है।

पटना पुलिस गिरिराज सिंह के फ्लैट में चोरी करने वालों से बरामद एक करोड़ से अधिक की नकदी के मामले को आयकर विभाग तक पहुंचाता है और गिरिराज सिंह इतनी बड़ी नकदी के मामले को राजनीतिक साजिश करार दे देते हैं। लोक सभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के बाद गिरिराज सिंह न केवल साफ निकलने में कामयाब रहे बल्कि सांसद भी बन चुके हैं, लेकिन 50 हजार की संपत्ति की चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद चोरों से बरामद दो करोड़ की संपत्ति के बाद पहले इस तरह की संपत्ति को नकारना, फिर बयान बदलकर उसे अपने किसी भाई की संपत्ति बताना और अब किसी स्थापित व्यापारी की संपत्ति घोषित करना, कई ऐसे सवालों के घेरे में गिरिराज सिंह उलझ चुके हैं, जिनसे निकलना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी।

मामला सांसद के फ्लैट से चोरी हो जाने के बाद सांसद द्वारा मात्र 50 हजार की संपत्ति चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराने और पुलिस द्वारा चोरों से सांसद के द्वारा की गई शिकायत से चार सौ गुना अधिक संपत्ति बरामद करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह मामला इससे भी आगे का है क्योंकि जो सांसद इस मामले से जुड़ा हुआ है वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के करीबियों में से एक है। और नरेन्द्र मोदी देश में भ्रष्टाचार, मंहगाई और कालेधन के प्रचलन से त्रस्त देश में “अच्छे दिन आने वाले हैं”, का नारा लगा कर देश के सबसे ऊँचे ओहदे पर पहुंचे हैं। इसलिए उनके करीबी सांसद के घर पर चोरी की घटना के बाद सांसद द्वारा मात्र 50 हजार की चोरी हो जाने की शिकायत दर्ज कराने के बाद चोरों से दो करोड़ की संपत्ति बरामद हो जाने के बाद सांसद द्वारा पहले संपत्ति को नकारना और बाद में इसे अपने किसी तथा कथित भाई की संपत्ति बताना और अब किसी स्थापित व्यापारी की संपत्ति करार देने वाले रवैये और बयानों के कारण सांसद गिरिराज सिंह के घर में चोरी की घटना और चोरी के बाद चोरों से बरामद संपत्ति का मामला अब ऐसी स्थिति में पहुंच चुका है जिससे न केवल देश के सांसदों के कार्याकलापों पर प्रश्न खड़े होने वाले हैं, बल्कि यह घटना कालेधन के मामले में नरेन्द्र मोदी की पहली परीक्षा का सवाल भी बन चुका है।

सांसद गिरिराज सिंह स्वयं के बयानों के कारण कुछ इस तरह के सवालों में उलझ चुके हैं, जिन सवालों का जवाब उसे देना ही होगा जैसे पहला सवाल यह जिस वक्त चोरी की घटना हुई उस वक्त गिरिराज सिंह के फ्लैट में जो नकदी, जेवरात, अमेरिकी डॉलर और कीमती घडि़यों के रूप में तो दो करोड़ की संपत्ति थी तब गिरिराज सिंह ने मात्र 50 हजार की संपत्ति चोरी हो जाने की रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई ? सवाल दूसरा पटना पुलिस ने सांसद के फ्लैट में चोरी करने वाले चोरों से जिस वक्त दो करोड़ की संपत्ति बरामद की तब सांसद ने इस तरह की सूचना के बाद क्यों बरामद संपत्ति के औचित्य को नकारते हुए इसे विरोधियों की चाल करार दिया ? तीसरा सवाल यह है कि समय बीतने पर सांसद ने बयान बदल कर चोरों से बरामद संपत्ति को अपने किसी भाई की संपत्ति क्यों करार दिया ? और अब चौथा सवाल यह है कि सांसद चोरों से बरामद संपत्ति को किसी स्थापित व्यापारी की संपत्ति क्यों और कैसे करार दे रहा है ?

पांचवा सवाल यह है कि क्या 25 लाख की संपत्ति की हैसियत वाले सांसद गिरिराज सिंह बैंकर का काम नहीं करते हैं तब उन्होंने किसी और के दो करोड़़ की नकदी, जेवरात, अमेरिकी डॉलर और कीमती घड़ियों को अपने फ्लैट में क्यों रखा है ?

एक तरफ गिरिराज सिंह लगातार अपने बयानों को बदलते जा रहा हैं और दूसरी तरफ पुलिस ने मामले को आयकर विभाग के हवाले कर दिया है और आयकर विभाग के अधिकारी सांसद के घर में पायी गई नकदी से लेकर अमेरिकी डॉलर, जेवरात और कीमती घड़ियों के स्रोतों का पता लगाने में जुट गए हैं। बावजूद इसके उनके लिए गिरिराज सिंह के मामले में निष्पक्ष रूप से जांच कर पाना इतना आसान नहीं है क्योंकि गिरिराज सिंह का मामला मोदी की पहली परिक्षा का विषय भी बनने जा रहा है यही कारण है कि कल तक गिरिराज सिंह जिस संपत्ति को अपने किसी भाई की संपत्ति करार दे रहा था आज वही गिरिराज सिंह ऐसी संपत्ति का मालिक किसी स्थापित व्यापारी को बताने लगा है, जिससे एक सवाल और पैदा हो गया है कि स्थापित व्यापारी कब और कैसे क्यों गिरिराज सिंह का भाई बन गया है ? लेकिन मामले को देख कर और गिरिराज सिंह के बदले बयानों को देख कर लगता है कि भाजपा के प्रबंधक मोदी को पहली परीक्षा में पास करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

मामला जिस स्तर का जांच भी उसी स्तर की होनी चाहिए तभी देशवासियों के समक्ष दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा। इसके लिए जांच के दायरे को बढ़ाते हुए एक तो चोरी की घटना के बाद से लेकर अब तक जितनी भी कॉल सांसद गिरिराज सिंह के द्वारा की जा चुकी हैं उन सभी की जांच की जानी चाहिए जिससे पता लग सके कि वह इस मामले में वह किस-किस अधिकारी, नेता, व्यापारी, उद्यमी और पत्रकारों से मदद की गुहार लगा चुके हैं और दूसरा गिरिराज सिंह का नार्को टेस्ट किया जाना चाहिए जिससे पता लग सके कि जो दो करोड़ की संपत्ति गिरिराज सिंह के घर से चोरी हो चुकी है वह संपत्ति किसकी थी और वह गिरिराज सिंह के घर पर क्यों रखी गई। यही नहीं उस व्यक्ति का भी नार्को टेस्ट किया जाना चाहिए जो थाने में इस संपत्ति पर अपना अधिकार जतलाने का प्रयास करे।

जांच में दौरान यदि दो करोड़ की संपत्ति के यदि उचित स्रोत सामने नहीं आते हैं तब ऐसी दशा में न केवल सांसद के घर चोरी करने वालों को रिहा किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें दो करोड़ के कालेधन के मामले को उजागर करने के लिए पुरूस्कार भी दिया जाना चाहिए और कालेधन और संपत्ति को जब्त कर इसे रखने के मामले में सांसद गिरिराज सिंह पर मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाही की जानी चाहिए।
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