यह स्वीकार कीजिये कि 400 पर 40 भारी हैं

aitezad ahmedप्रधानमन्त्री जी!
आप कहते हैं कि कांग्रेस विकास में बाधा डाल रही है।
आप यह भी कहते हैं कि कांग्रेस 44 पर आ गयी।
अब ये बतायें कि उपर्युक्त में पहली पंक्ति में दीनता झलकती है आैर दूसरी में अहंकार, ये है कि नहीं?
आपने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अहंकार में संसद का सत्र बरबाद कर दिया।
आप यह भी कहते हैं कि 29 साल बाद स्पष्ट बहुमत आया है आैर हमें देश का विकास करने से कोई नहीं रोक सकता।
तो आप यह बतायें कि वही दीनता भी झलकती है आैर बहुमत का भी घमण्ड आपको है या नहीं?
आप सत्ता के नशे में चूर हैं। आपके घमण्ड के कारण ही संसद का सत्र बरबाद हुआ। आपको भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेना ही था तो संसद का सत्र क्यों बरबाद किया?
आपने यदि मजबूरी में वापस लिया है तो फिर ये 40 भारी पड़ गये 400 पर। इन 40 में कुछ दम है। क्या आप लाचार है? क्या आपको सरकार चलाने का अनुभव नहीं है?
विपक्ष को आपने क्या समझ रखा है? आप जनता के अहित में कुछ भी करेंगे आैर विपक्ष चुपचाप बैठा देखता रहेगा?
विपक्ष भी जनता की आवाज है, वह जनता के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने देगा। किसानों के प्रति तो बिल्कुल भी नहीं।
आप यह न भूलें की आप सत्ता में अवश्य हैं, पर आप केवल 31 प्रतिशत जनता की आवाज हैं, उनमें से भी अधिकांश अब पश्चाताप कर रहे है।
आप यह भी समझ लीजिए कि कांग्रेस इस रूप में लाये जा रहे जी.एस.टी. बिल का भी विरोध करेगी।
देश की जनता पर 18 प्रतिशत से अधिक टेक्स का बोझ कांग्रेस नहीं पड़ने देगी। इसे संशोधित करना ही होगा।
आपके मन की घबराहट ही यह बताती है कि सरकार असफलता का ठीकरा कांग्रेस के सिर पर फोड़कर जनता से सहानुभूति पाना चाहती है।
प्रधानमन्त्री जी! !!! !!
रोने धोने से काम नहीं चलेगा। सरकार आपकी है। पूर्ण बहुमत से है। या तो जिम्मेदारी लीजिये, अन्यथा यह स्वीकार कीजिये कि 400 पर 40 भारी हैं आैर आप लाचार हैं, जैसा कि मैनें पहले भी लिखा था कि आप लाचार है।
ऐतेजाद अहमद

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