कैसा संयोग है कि आज उन अटलबिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है,जिन्होंने पाक से संबंध सुधारने के लिए लाहौर तक बस यात्रा की थी और उसके बदले हमें कारगिल मिला था। अब उन्हीं वाजपेयी की पार्टी भाजपा की सरकार के प्रधानमंत्री मोदी पहली बार बिना किसी कार्यक्रम के वहां गए हैं। भगवान जाने आगे क्या होगा। क्योंकि तब से कब तक दोनों देशों के संबंधों मे कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया है। हां,हमने लोकतंत्र के मंदिर हमारी संसद और मुम्बई हमला जरूर झेला। मुम्बई हमले का मास्टर माइंड हफीज सईद आज भी भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है, तो सालों से भारत का मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान मे सुकून से रह रहा है। पाक सेना और आईएसआई भी कहां अपनी दुष्टता से बाज आए हैं। इन दोनों पर पाक की सरकारों का नियंत्रण भी नहीं है। कश्मीर मे आए दिन पाकिस्तान से गोलीबारी और इससे हमारे सैनिकों व नागरिकों की मौतें भी थमी नहीं है। कश्मीर पर राग अलापना भी उसने नहीं छोड़ा है और हुर्रियत को भी वह उकसाता रहता है।लोकसभा चुनाव के प्रचार मे भी मोदी पाकिस्तान को पाकिस्तान की भाषा मे जवाब देने का दम भरा करते थे और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद पाक की भाषा तो नहीं बदली,लेकिन मोदी व भाजपा सरकार की भाषा जरूर बदल गई है। जो विपक्ष में रहते हुए अलग थी।
.पाकिस्तान से रिश्ते सुधरने चाहिए इससे किसी को इंकार नहीं है, लेकिन देश को ये तो बताया जाना चाहिए कि आखिर पाकिस्तान मे ऐसा क्या बदलाव आ गया कि मोदी सीधे वहां पहुंच गए। मोदी के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। लेकिन अगर निशाना चूक गये तो मोदी के साथ ही ये देश को भी भारी पडेगा। वैसे खुद भी आतंकवाद का शिकार पाकिस्तान चाहे तो इस अवसर का लाभ उठा सकता है। उसे ऐसे कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि उस पर भरोसा किया जा सके। भारत ने तो अपने कदम बढ़ा दिए हैं, पाकिस्तान को भी साथ चलना पड़ेगा। अब वह.भारत पर दोष नहीं लगा सकेगा।
ओम माथुर
