जेएनयू नारा विवाद पर छिडी लंबी बहस

whatsapp-logo 450[2/15, 12:48 PM] rajendra gupta:
दोस्तों,
JNU के अध्यक्ष कन्हैया का यह बेबाक और साहसिक भाषण वामपंथी मूल्यों का दस्तावेज है।
मीडिया के दोहरे चेहरे के बारे में मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि अब मीडिया मिशन न रहकर बिजनेस हो गया है।
चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी पूंजीपति घरानों में तब्दील हो चुके हैं। etv को मुकेश अम्बानी खरीद चुका है। अन्य मीडिया घरानों में भी देश के पूँजीपतियों का ही धन लगा हुआ है। अब खबरें संपादक के कमरे में नहीं और इलेक्ट्रॉनिक चैनल की ख़बरें न्यूज़ रूम में तय नहीं होती, कौनसी खबर किस रूप में जायेगी यह इनके मालिक तय करते हैं।
मेरा इस ग्रुप के हर सदस्य से अनुरोध है कि वे कन्हैया के भाषण का यूट्यूब का यह लिंक हर What’s App ग्रुप और सोशल मीडिया में शेयर करें। सभी आलस और नेट खर्च का मोह छोड़कर आवश्यक समझें तो अपने संपर्क के हर बुद्धिजीवी को भी शेयर करें। याद रखें पड़ौस का घर जल रहा हो और आप सोये रहने की खुमारी नहीं छोड़ना चाहते तो अलग घर आपका ही जलने वाला है, यह समझ लीजिये।
अगर हम अपनी खुमारी से बाहर नहीं आये तो देश में फासीवाद के समर्थक अपने घिनौने मकसद में कामयाब हो जायेंगे।

[2/15, 1:14 PM] दिनेश सोनी:
सर फिर देशद्रोही नारे लगाना कहा तक देशभक्ति हैं।

[2/15, 1:18 PM] अजयराज सोनी:
राजेन्द्र जी आपको जो नारे हमारे देश के विरोध में लगाये गए आपको सुनाई नही दिए क्या…में तो कहता हूँ जो भी देश के खिलाफ मुँह खोले उसका मुंह ही तोड़ देना चाहिए कमीनो को बहुत ही सख्त सजा देनी चाहिए …मुझे तो गुस्सा आता है ऐसे लोगो को देख कर जो ऐसा काम और उसका समर्थन करते है और शर्म भी की ये लोग अब भी इस देश में रह रहे है…

[2/15, 1:20 PM] Sunita Bhardwaj
Dinesh ji. Maine bhi yah link dekha.
Kanhaiya ka yah poora bhashan pahle aap sune. Aap ko lag jayega ki raat ke samay vakai jo video filmaya gaya tatha usme desh virodhi nare jinhone lagaye ve kis shadyantra ko anjaam dene aye the.
Ab to yahi lag raha hai ki jaroor bheed me ABVP ke yi karyakrta rahe honge jinhone deshvirodhi nare ek shadyantra ke tahat lagaye honge.

[2/15, 1:21 PM] दिनेश सोनी:
आज तक मैंने दलित की परिभाषा नहीं देखी न मैं जानता हूँ कि दलित क्या है हमने पहले हैदराबाद में दलित शब्द सुना अब जे न यू। मैडम इस सवाल का भी जबाब दे।

[2/15, 1:24 PM] Sunita Bhardwaj,
अजय जी जब किसी के खिलाफ षड़यंत्र रचा जाता है तो भीड़ में अपने ही आदमी घुसेड़ दिए जाते हैं ताकि भीड़ उत्तेजित होकर वही व्यवहार करे जो षड्यंत्रकारी चाहते हैं।
इस पूरे मामले की जांच भी केंद्र सरकार की एजेंसियों को न करके सुप्रीम कोर्ट के जज से करवानी चाहिए। लेकिन वे करवाएंगे नहीं क्योंकि तब बिल्ली छीके से बाहर आ जायेगी।
षड्यंत्रकारी भी तब बेनकाब हो जायेंगे।

[2/15, 1:40 PM] Neeta Joshi:
ये सब षड्यंत्र करने और उन्के समर्थको की मिली भगत है।

[2/15, 1:44 PM] rajendra gupta:
दिनेश जी, अजय जी और सुनीता जी,
ऊपर मैंने जो लिंक डाला वह JNU के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया का वह भाषण है जो उसने JNU में इंडिया TV के कथित एंकर और केंद्र सरकार के भांड दीपक चौरसिया ने को दिए इंटरव्यू और उसके बाद उत्पन्न परिस्थितियों के चलते दिया था।
अभी मार्च में JNU में चुनाव हैं। अपनी स्थापना से लेकर आज तक वहां ABVP कामयाब नहीं हो पाई। समूचे ABVP संगठन पर नागपुर में बैठे संघ के आकाओं का दबाव है कि चाहे जो करो लेकिन JNU पर कब्ज़ा करो। ऐसे में ABVP में बहुत पहले ही JNU के भविष्य की पटकथा लिख दी गई।
पिछले काफी समय से सोशल मीडिया पर भी संघी ब्रिगेड की ओर से JNU के खिलाफ षड्यंत्रकारी पोस्टों की बाढ़ लाई जा रही है।
इन दिनों तो समूचे वामपंथ को बदनाम करने के लिए भगवा ब्रिगेड की और से गढ़ी गई एक अश्लील कहानी “काम-रेड कथा” नाम से परोसी जा रही है।
ऊपर कन्हैया के भाषण का लिंक डालने का मकसद यही था कि आप मीडिया का वह बेशर्म चेहरा भी देख लें जो वह ढीठता दिखा रहा है।
रात के अँधेरे में कौन नारे लगा रहे हैं। उस वीडियो को बना कर अपने पालतू चैनलों को ही क्यों भेजा गया।
आज गांधीजी को गोली मारने वाले ही देशभक्ति के प्रमाणपत्र बाँट रहे हैं।
मीडिया में कन्हैया का यह भाषण क्यों नहीं दिखाया जा रहा है।
दरअसल यह भाषण दिखाकर TV चैनल बेनकाब नहीं होना चाहते।
मेरा एक ही निवेदन है कि आप सुनें सबकी लेकिन अपनी अंतरात्मा की भी साथ में सुनें।

[2/15, 1:45 PM] Neeta Joshi:
नोजवानों को भड़काना और अपने उदेश्य के लिए इस्तेमाल करना ये आतंकवाद का सस्ता और सरल तरीका है।

[2/15, 1:58 PM] दिनेश सोनी:
जो आपने लिंक डाला है उसमें वी डी सावरकर व आर एस एस पर टिप्पणी है जो कि एक छात्र राजनीति में इनका क्या रोल है मैं नहीं जानता।

[2/15, 1:59 PM] Sunita Bhardwaj,
नीता जी, यही बात मैं कहना चाह रही हूँ कि ABVP यही तो खेल कर रही है। छात्रसंघ चुनाव जीतने के लिए अपने कुछ कार्यकर्ताओं से नारे लगवा कर वहां एकत्रित भीड़ को उत्तेजित करना, रात के अँधेरे में भीड़ में जो देश विरोधी नारे लगा रहे हैं उनमे ABVP के कार्यकर्त्ता शामिल हैं। आप कोबरा पोस्ट का स्टिंग देखें जिसमें उसने उन ABVP कार्यकर्ताओं को बेनकाब किया है जो देशविरोधी नारे लगा रहे थे।
मेरा कहना है कि देश में फासीवाद को बेहद शातिराना तरीके से प्रवेश करवाया जा रहा है।
मैंने भी वह काम रेड कथा पढ़ी थी जिससे यह स्पष्ट हो गया कि षड्यंत्रकारियों का असली चेहरा क्या है।
फिर मैं एक बात पूछना चाहती हूँ कि अफजल गुरु की फांसी का विरोध करने वाली महबूबा से भाजपा हाथ मिलाने को बेचैन क्यों है। उसे घाटी में देशविरोधी नारे लगवाने वाली से भी अपने सम्बन्ध तोड़ लेने चाहिए।
मैं चाहती हूँ कि कुछ वक्त पर भी छोड़ देना चाहिए, सच अपने आप सामने आ जायेगा।
वैसे मैं राजनीति विज्ञान की छात्रा रही हूँ। इतना तो समझ ही रही हूँ कि दो महीने बाद केरल और बंगाल में होने वाले चुनावों को लेकर भाजपा और संघ में इतनी बेचैनी क्यों है।
क्यों बिना किसी प्रमाण के केंद्रीय गृहमंत्री बचकाने बयान दे रहे हैं।
एक झूठ को इतने तरीके से शोर मचाकर फैला दो कि वह सच लगने लग जाये। यही गोयबल्स का सिद्धांत है।

[2/15, 2:03 PM] rajendra gupta:
मैं इस ग्रुप को आपसी वाद-विवाद का प्लेटफार्म नहीं बनाना चाहता था लेकिन एक मीडियाकर्मी होने के नाते जब मैंने उपर्युक्त भाषण वाला लिंक खोला तो मुझसे रहा नहीं गया कि मैंने मीडिया मालिकों की ओर से समाज में परोसे जा रहे अर्धसत्य पर चुप रह सकूं।
इस पोस्ट से लोगों की सहमति और असहमति दोनों हो सकती है लेकिन सभी अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें कि क्यों समाज में किसके इशारे पर अर्द्धसत्य परोसा जा रहा है।
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