राज्य सरकारें जहाँ नेताओं और मंत्रियों का अनावश्यक हस्तक्षेप सरकारी कार्यालयों में आम बात है इसके विपरीत केंद्रीय कार्यालयों में नेताओं और मंत्रियों यहाँ तक की सरकार का भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कोई हस्तक्षेप नहीं होता था ! चूँकि व्यस्था यह थी सरकार के आदेशों और मंशा को सम्बंधित सचिव अपने बोर्ड को आदेशित करता था बोर्ड का चेरमेन अपने विभाग को अमल के लिए निर्देश देते थे । इसमें प्रमुख हैं , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड जहाँ से आयकर विभाग को देखा जाता है, रेलवे बोर्ड, रेल संचालन के लिए, सेंट्रल एक्साइज एवं कस्टम बोर्ड , आदि आदी ।
लेकिन पिछले दो वर्षों में इन संस्थाओं का जितना मर्दन हुआ है उसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है की आई आर एस अधिकारीयों में असंतोष पनपने लगा है ? जबसे गुजरात काडर के अधिकारी रेवेन्यू सेक्रेटरी बने है आयकर और सीमाशुल्क विभाग में उनका दखल कुछ अधिक हो गया है ? शायद मोदी जी गुजरात की तर्ज पर ही केंद्रीय संस्थाओं को अपनी मन मर्जी से चलाना चाहते हैं ? जिसके विरोध में आई आर एस लॉबी ने भी कमर कस ली है ? ऊँठ किस करवट बैठेगा यह बात देखने वाली होगी ?
एस.पी.सिंह, मेरठ।