क्या करोड़ो भक्तो के आराध्य भगवान राम का मन्दिर महज चुनावी मुद्दा है ?

यूपी चुनाव भी होंगे राम जी के सान्निधय में ही,आज भी विकास नही मंदिर ही है भक्तो की चाहत

ramबचपन से सुनते आ रहे अब राम मन्दिर जल्दी बन जायेगा,पर आज तक मन्दिर बनना तो दूर उसकी ईंट रखने का कार्य भी नही हो पाया जब कभी कांग्रेस की सरकार होती है तो राम मन्दिर पर बात ही नही होती है हाँ हिंदुत्ववादी भाजपा के समय एक सवाल मन में जरूर आता है की ये सत्ता में आने के बाद मन्दिर की जगह विकास की बात क्यों करते है ?जबकि सत्ता मिलने से पहले तक इनके मुद्दे राम मन्दिर, धारा 370 ही होते है फिर सत्ता मिलने के बाद इन मुद्दों पर महज मजबूरियां बताई जाती है ! अब जब भावनाओ से खेलना हो तो राम जी की याद और जब इन पर कार्य करना हो तो विकास क्यों याद आता है ? एक तरफ कांग्रेस है जो राम मन्दिर की बात करने को साम्प्रदायिक सौहार्द ख़राब करने वाला मानती है, वंही दूसरी और भाजपा जो इस मुद्दे को सब मुद्दों पे भारी मानती है ! ऐसा नही की दोनों राम मन्दिर नही बनवाना चाहती पर एक पार्टी सेक्युलरवाद लेकर बैठी है दूजी को पता है मन्दिर बन गया तो ऐसा मुद्दा कन्हा मिलेगा फिर दोनों में अंतर क्या है ? आज राम जी भी सोचते होंगे की 25 वर्षो से भी अधिक समय तक मेरे भक्त कोई फैसला नही कर पाये जबकि मैंने 14 वर्षो के वनवास में तो इन भक्तो की रक्षार्थ ही रावण सहित समस्त राक्षशो का संहार कर धर्म की स्थापना ही कर दी थी ! शायद राम जी भी देखना चाहते है मेरे से सत्ता का आशीर्वाद माँगने वाले भक्तो में से कौन मेरे मन्दिर को बनवाता है इसलिए वो बारी बारी से सभी को मौका दे रहे है ! अब यूपी चुनाव भी है और बातो के हवाई किलो में एक बार फिर राम मन्दिर बनाया जायेगा और जनमानस को इसके दर्शन नेताओ के भाषणो में देखने को मिलेंगे ! खैर रामलीला फिर शुरू होगी राजनीतिक दलो की महाभारत में ! अब देखना ये है की इस बार की चुनावी रामलीला में मन्दिर कोण बनाता है !

*अखिलेश पाराशर !*

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