ये सब मेरी खोपड़ी में स्थित गुर्दे की वजह से है…

It is all because of the kidney in my head”

डॉ. अशोक मित्तल
डॉ. अशोक मित्तल
दुनिया की अव्वल दर्जे की पुलिस में जिसकी गिनती होती है उस मुंबई पुलिस की अक्कल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की पहले तो नामी गिरामी और सीधे सादे चिकित्सकों को किडनी रैकेट जैसे अपराधिक षड़यंत्र में शामिल होना बता कर सलाखों के पीछे ठूंस दिया और अब कह रही है की चूँकि डाक्टरों के विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं हैं इस वजह से पुलिस द्वारा न्यायालय में डॉक्टर्स की जमानत का विरोध नहीं किया जाएगा.
यानी ये तो वही बात हुई की जब हमने वर्ष 1972 में मेडिकल कॉलेज, अजमेर में प्रवेश पाया तो एक ऐसे सहपाठी थे जो थे तो 1965 बेच के लेकिन फ़ैल होते होते हमारे साथ हो लिये. एक बार का वाकया है की परीक्षक जो उन्हें पास करने की मंशा रखते थे उन्होंने इस छात्र से पूछा कि कांच की शीशी में जो अंग रखा है उसे पहचान कर इस का नाम व ये कहाँ स्थित रहता है ये बता दो तो तुम पास हो जाओगे. तो छात्र का ज़वाब था “ये दाहिनी ओर की तिल्ली है” हालांकि ये सर्व विदित है कि तिल्ली हमेशा पेट में बाईं ओर ही होती है ओर इस जवाब से कभी कोई मेडिकल में पास नहीं हो सकता फिर भी परीक्षक ने सहानुभूति व हौसला अफजाई करते हुए उससे कहा ”वाह!! आज आठ साल में तुमने कम से कम तिल्ली को तो पहचान लिया! क्या बात है? तो छात्र ने कहा ”It is all because of the kidney in my head….ये सब मेरी खोपड़ी में स्थित गुर्दे की वजह से है”
ठीक इसी तरह अपराधी हमेशा की तरह आजादी से मौज मस्ती कर रहे हैं और डॉक्टर जेल में! अब पुलिस को समझ आया की डॉक्टर तो निर्दोष हैं, कोई सबूत मिल नहीं रहे, न्यायालय में बहुत किरकिरी होगी, हो सकता है फटकार भी पड़े तो अभी से कह दिया “हम जमानत का विरोध नहीं करेंगे” याने इन भोले प्राणियों पर एक एहसान ठोक दिया.
ऊपर वाले किस्से से आप ये न समझें की मुंबई पुलिस पर “दिमाग में स्थित गुर्दे” वाली बात लागू होती है. इन दो बातों को जोड़ कर नहीं सोचना गलत होगा. लेकिन इतनी तो प्रार्थना हर पड़े लिखे, प्रबुद्ध, और सच्चे भारतीय को करनी चाहिए की डॉक्टरों को हवालात में डालने और फिर वापस छोड़ने का गंदा खेल अब राजनेताओं, अफसरों, पुलिस व सरकार को खेलना अब बंद कर देना होगा वरना कहीं ऐसा ना जो जाए की लोगों के किडनी, हार्ट, लीवर जैसे ऑपरेशन होना वाकई में बंद हो जाएँ और आम आदमी सहित नेताओं – अफसरों को भी को पूर्व की भाँती अपने इलाज़ के वास्ते विदेशीं के चक्कर के चक्कर लगाने पड़ें.
डॉ.अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट
मास्टर इन जर्नालिस्म-मास कम्युनिकेशन
Sunday, August 14, 2016

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