आज अदालतों में सबसे ज्यादा मुक़दमे जमीन के विवाद के या उससे उपजे झगड़ो के लंबित है ,भूमि विवाद पैदा होने का कारण हमारी सिस्टम की खराबी है ,ज्यादातर विवाद इस वजह से भी होते है कि भूमि का म्युटेशन किसी और के नाम है और असल मालिक कोई और है जिस को म्युटेशन वाले ने कई साल पहले ही बेच दिया होता है , बाद में जब असल खाताधारक की मौत हो जाती है तो उसके वारिस आकर भूमि पर अपना दावा सिद्ध करते है कि भूमि तो हमारे नाम है या वे म्युटेशन का कागज दिखाकर दूसरे व्यक्ति को भूमि का बेचान कर देते है फिर वो दोनों खरीददार आपस में लड़ते रहते है ,
क्यों न जमीन की रजिस्ट्री के समय ही वही हाथो हाथ म्युटेशन खोला जाये और भूमि का रिकॉर्ड हाथोहाथ दुरुस्त किया जाये , क्यों ऐसा है कि रजिस्ट्री कराने जाओ अलग जगह म्युटेशन खुलवाने जाओ अलग जगह , ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि जहाँ रजिस्ट्री हो रही है वही म्युटेशन खोलने के लिए भी पटवारी को अप्पोइंट किया जाये, आखिर रजिस्ट्री की उपयोगिता तभी है जब म्युटेशन खुले वरना सरकार रजिस्ट्री करती है पैसा भी लेती है परंतु खाताधारक वही माना जाता है जिसके नाम म्युटेशन खुला है , यदि ये व्यवस्था बना दी जाये तो कई अनावश्यक विवादों से बचा जा सकेगा और आम जन को कई दरवाजो पर दस्तक नहीं देनी पड़ेगी , जहा रजिस्ट्री होती है वही सारी अथॉरिटीज के सम्बंधित कर्मचारी मौजूद रहने चाहिए.
आज के कंप्यूटर युग में जब सारी दुनिया एक क्लिक पर उपलब्ध है तब आज भी आम आदमी इन छोटी छोटी बातों के लिए परेशान है ,
कुछ क्रन्तिकारी उपायों की जरुरत है आज देश को अन्यथा रोता पिटता तो चल ही रहा है और चलता रहेगा
विनीत जैन
न्यूज़ फ़्लैश
दैनिक लोकमत
अजमेर
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