एक और फेयर एंड लवली स्कीम

sohanpal singh
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जैसा की मुझे अपने पिछले 40 वर्ष की नौकरी से अनुभव मिला था कि काला पैसा और काले पैसे को एकत्र करने वाले इस देश से न तो कभी समाप्त हो सकते है और न ही सरकार उनको कभी सजा दे सकती है क्योंकि काला पैसा रखने वालों के लिए भारत की सरकार ने 70 वर्षो में आज तक कोई कठोर अपराधिक क़ानून बनाया ही नहीं है और जो कुछ टुटा फूटा कानून आयकर अधिनियम में है उसके द्वारा आज तक किसी को सजा ही नहीं मिली है ? मोदी सरकार लगातार दो प्रयासों के बाद भी विदेशो में जमा काले धन वालों से नाम मात्र का डिस्क्लोजर ही करवा पायी है पहले प्रयास में 6600 करोड़ और दुसलरे में 67000 करोड़ काले धन की घोषणा ,ही गई ? जो की अनुमान से बहुत कम है , इसके अतिरिक्त विभिन्न छापों की कार्यवाहियों में आयकर विभाग ने कुछ सौ करोड़ रुपया जप्त किया है ? लेकिन अब जबकि सरकार के नोट बंदी कार्यक्रम के बाद काले धन पर शिकंजा कसा जा रहा था सरकार घुन को मारने के लिए गेहूं को ही नष्ट कर दिया और काले धन वालों को राहत पहुँचाने के लिए एक सेफ रास्ता दे ही दिया जब 28/11/2016 को एक संविधान संसोधन का मसौदा सदन में पेश कर दिया कि काला धन रखने वाले 50 प्रतिशत कर देकर 50 प्रतिशत में से आधा 25 प्रतिशत तुरंत ले सकते है है और 25 प्रतिशत 4 वर्ष बाद बिना ब्याज के वापस मिल जायेगा ? या पकडे जाने पर कुल 87 प्रतिशत टेक्स देना होगा ? हम समझ नहीं पास रहे हैं कि सरकार की इतनी सहानुभूति काला धन रखने वालों से क्यों हैं ? बहुत सोंच विचार के बाद यह निष्कर्ष निकला की सरकार काला धन रखने वालों पर कभी भी नकेल नहीं डाल सकती जबतक की काला धन रखने वालों के विरुद्ध कोई अपराधिक कानून नहीं बनाती ? क्योंकि वर्तमान नोट बंदी यानि Demonitasation स्कीम में एक बहुत बड़ा झोल है क्योंकी अगर किसी के पास 10 लाख रुपये से अधिक काला धन है तो वह केवल 36 प्रतिशत टैक्स देकर अपने काले धन के 64 प्रतिशत भाग को सफ़ेद कर सकता है और सख्त कानून के आभाव में सरकार और आयकर विभाग किसी का कुछ नहीं उखड सकता और शायद सरकार ने अपनी इसी गलती को छुपाने के लिए 50 प्रतिशत कर का प्रावधान करने जा रही है जो पूरी तरह से फ़्लॉप स्कीम साबित होगी ? क्योंकि वर्तमान आयकर अधिनियम के अनुसार किसी भी आयकर दाता के पास कानूनन 4 माह का समय है अपने कारोबार और वित्तीय संसाधनों के आकलन के लिए क्योंकि 31मार्च 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष का लेख जोखा वित्तीय वर्ष 2016-17 पर ही कर निर्धारण वर्ष 2017 -18 का कर निर्धारण होगा और इस बीच कोई भी व्यक्ति अपने काले धन पर अग्रिम कर Advance Tax का भुगतान 15 दिसम्बर 2016 और 15 मार्च 2017 से पहले 2 किस्तो में कर दे तो उस पर कोई जुर्म ही साबित नहीं हो सकता और शायद सरकार को भी अपनी इसी गलती का एहसास हो गया है और उसने एक गलती और दोहरा दी है ? इस लिए हमारा कहना है की नोट बंदी को सख्ती से लागु करने के लिए सरकार ईमानदार है तो काले धन रखने वालों के लिए एक अपराधिक कानून का प्रावधान करे अन्यथा रोज रोज के नाटकों को बंद करके गरीब जनता के हिट के लिए नोटों का प्रबंध युद्ध स्तर पर करे जिससे बैंको और एटीएम के बाहर लगने वाली लाइने काम हो और लोग अपने रोजगार पर लगें ।
एस.पी.सिंह, मेरठ।

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