ये आपातकाल नहीं तो क्या है ?

sohanpal singh
sohanpal singh
मैं केंद्रीय सरकार का एक सेवा निवृत कर्मचारी हूँ , मेरी पेंशन स्टेट बैंक के द्वारा मिलती है जिसमे से 8 हजार रुपये में अपने पोते पोतियों के चिल्ड्रन ग्रोथ फण्ड में जमा करता हूँ और 10 हजार रुपया अपने घर खर्च के लिए पत्नी को दे देता हूँ ? चूँकि नोट बंदी के कारण पुराने 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद हो गया है इस कारण से घर में जो भी जमा पूंजी बुरे समय के लिए जोड़ कर रक्खी थी वह 500 ₹ के नोटों में थी वह सब बैंक में जमा करा दी है । पहली नवम्बर को 10 हजार रुपये जोएटीएम से निकाले थे वे 500 ₹ ,के नोट थे उन्हें 8 तारीख के बाद फिर से बैंक में जमा किया । तथा 14 तारीख को 10 हजार ₹ निकाल लिए ! चूँकि नोट बंदी के कारन चारो और हाहाकार मचा है वह 10 हजार रुपया सब ख़त्म हो गया । सरकार कहती है कि जनता कैश लैस लेनदेन करे , इस बीच मैंने अपनी बेटी के लिए एक स्कूटी खरीदी जिसकी कीमत चैक द्वारा दी वह चैक क्लीयरिंग में पास होकर दुकानदार के खाते में जमा हो गया है ? लगातार 5 दिन से मैं बैंक की लाइन में लगकर पैसा निकलने के लिए घंटो लाइन में लग कर जज़्ब तक काउंटर तक पहुँचता हूँ जवाब मिलता है पैसा ख़त्म में ? सोमवार 28 नवम्बर 2016 को किसी तरह 3 घंटे लाइन में लगने बाद नम्बर आया तो संबधित कर्मचारी ने बताया की कम्प्यूटर बता रहा है कि आपकी लिमिट खत्म हो गई है ? जब की मेरे ऊपर न तो कोई लोन है और न ही मेरी कोई लिमिट है ? उम्र के आठवें दसक में अब क्या मैं देश भक्ति के नाम पर या मोदी जी की वफ़ादारी के लिए रोज बैंक की लाइन में लगे लगे लाइफ का ही टिकट कटवा लूँ या भूखा ही मर जाऊं ? कुछ समझ मे नहीं आता की ये कैसा आपातकाल है मेरा ही पैसा मुझे ही मेरी जरूरत के लिए नहीं मिल रहा हैं! अगर देश भक्ति दर्शाने का यही पैमाना है तो मुझे नहीं बनाना है देश भक्त , मोदी जी से गुजारिश है कि वह देश द्रोह के नाम पर मुझे फांसी पर चढ़ा दें ?
एस. पी. सिंह, मेरठ ।

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