sohanpal singhलगता तो ऐसा है कि भारत सरकार का नेतृत्व करने वालें नेताओं को इतना घमंड हो गया है कि वह संसद को भी किसी चुनावी रैली का मंच समझने में पीछे नहीं रहते ? वह भारत की विपक्षी पार्टियों को नीचा दिखने में कभी भी शर्म महसूस नहीं करते ? पूर्व प्रधान मंत्री पर उन्होंने ताजा तंज कसा है वह उनके बौद्धिक स्तर को तो जगजाहिर करता ही है घमंड को भी दर्शाता है भारत सरकार के सर्वेसर्वा हैं इस लिए उनको छिछले आरोप नहीं लगाने चाहिए बल्किन ठोस सबूतों के साथ जिन लोगो ने घोटाले किये थे उनको जेल में डालना चाहियें ? वो कार्यवाही क्यों नहीं करते , मंचो से भाषण बाजी बहुत सुन चुकी है जनता बस इंतजार केवल इस बात का है कि 2019 के चुनाव कब होते है वैसे नोट बंदी का जवाब अभी 5 राज्यों में होने वाले चुनावों में ही झलक दिखाई दे सकती है ? नोट बंदी के रूप में गुड़ गवर्नेन्स की पोल खुल चुकी है , जब संसद में आज पूर्व वित्त मंत्री ने पोल खोली जब उन्होंने कहा कि एक ओर गरीब लोग अपने दो चार हजार रुपये बदलवाने के लिए बैंको की लाइन में 8 घंटे तक इंतजार करते रहे यहाँ तक की 100 से अधिक लोगो की मृत्यु हो चुकी है उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि एकओर लोग परेशान थे दूसरी ओर कुछ लोगो के पास 2 हजार के करोडो रुपये के नए नोट पकड़े गए क्या ये नोट प्रिंटिंग प्रैस से सीधे इन लोगो को मिले क्योंकि आर बी आई आज तक यह बताने में असमर्थ है कि कितना रुपया जमा हुआ है उसमे कितना काला धन है कितना नकली करेंसी है ? कितने नये नॉट जारी किये है ? कोई कुछ बतानेबको तैयार नहीं हैं? ये कैसा लोकतंत्र है ? अब लगता है सेवक मालिक बन बैठा है ?