राजनीति के हमाम मे सब नंगे हैं

ओम माथुर
ओम माथुर
ये नेताओं की अंतरात्मा चुनावों से पहले या उनका पद छिनने के बाद ही क्यों जागती है? जब तक कपिल मिश्रा केजरीवाल के साथ मंत्रिमंडल मे रहे,चुप रहे। उनकी तारीफ़ मे कशीदे पढते रहे। जैसे ही पद छिना। केजरीवाल उनकी नज़र मे सबसे भ्रष्ट और घटिया नेता हो गए। सालो तक मायावती की ग़ुलामी करने और यूपी मे उनके मंत्रिमंडल मे रहे नसीमुद्दीन सिद्दकी को जैसे ही बसपा से निकाला गया उन्होंने उन पर 50 करोड़ मांगने को आरोप लगते हुए उनसे जान को खतरा दिया। ऐसे ही जब राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव होते हैं, तो टिकट कटने या हारने के डर से दलबदलू नेताओ की अंततात्मा जागती है। अभी यूपी, पंजाब,उत्तराखण्ड मे ऐसे ही कई नेताओ की अंतरात्मा जगी थी। और इस कारण कई का राजनितिक पुनर्वास हो गया। दरसअल नेताओ की आत्मा,अंतरात्मा, विचारधारा, नीति सब कुर्सी होती है। इसी मे उनकी जान बसी होती है। इसके छिनने का मतलब जान निकलना होता है। इसलिए नेताओं का बिलबिलाना वाजिब है। इसलिए खुद को ईमानदार और दूसरे को भ्रष्ट साबित करने के लिए अंतरआत्मा जाग जाती है । लेकिन हकीकत यही हैं कि राजनीति के हमाम मे सभी नेता नंगे है। इसलिए केजरीवाल की नंगई पर इतना हंगामा क्यों? बस मुंह मे बवासीर होने के कारण मारे गए। ज्यादा बोलते थे, अब पोल खुली, तो जुबान को लकवा मार गया।

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